आंशिक रूप से दृष्टिबाधित छात्रा को सहायक नहीं मिलने के मामले में सचिव कार्मिक को जमानती वारंट जारी
हइकोर्ट ने उत्तराखंड पीसीएस परीक्षा में आंशिक रूप से दृष्टिबाधित छात्रा को सहायक उपलब्ध नही कराए जाने को बेहद गंभीरता से लेते हुए सचिव कार्मिक को जमानती वारंट जारी किया है।
नैनीताल, जेएनएन : हइकोर्ट ने उत्तराखंड पीसीएस परीक्षा में आंशिक रूप दृष्टिबाधित छात्रा को सहायक उपलब्ध नहीं कराए जाने को बेहद गंभीरता से लेते हुए सचिव कार्मिक को जमानती वारंट जारी किया है। पिछले कई तिथियो में जवाब पेश नहीं करने पर कोर्ट ने 18 नवम्बर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था परन्तु फिर भी पेश नहीं हुए तो कोर्ट ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर 26 नवम्बर को कारण सहित व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। यह भी साफ किया है कि क्यों नहीं आपके खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 215 के अन्तर्गत आरोप तय किएं जायं। क्योंकि कोर्ट के आदेश व समय का उल्लंघन किया हुआ है।
न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ में देहरादून निवासी लक्ष्मी मेहरा की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अनुसार उसने पीसीएस की परीक्षा दी थी, लेकिन आयोग द्वारा परीक्षा तिथि को उनको सहायक मुहैया इसलिए नहीं कराया गया क्योंकि वे आंशिक रूप से विकलांग और आंशिक रूप से दृष्टिबाधित हैं। बताया गया कि ऐसे आवेदकों को सहायक देने सम्बन्धित उनके पास कोई सरकारी साशनादेश नहीं है। शासनादेश में दृष्टिबाधित शब्द लिखा हुआ है ऐसे में आपको सहायक नहीं दिया जा सकता क्योंकि आप आंशिक रूप से दृष्टिबाधित हैं। पूर्व में कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे कि वह इस साशनादेश को स्पष्ट करे। परन्तु अभी तक सरकार को कई बार समय देने के बाद भी स्पष्ट नहीं किया गया। जिस पर कोर्ट ने पिछली तिथि को सचिव कार्मिक को व्यग्तिगत रूप से पेश होने को कहा था। परंतु वे पेश नही होने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर कारण सहित 26 नवम्बर को व्यग्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए है।
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