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आदि कैलास पर्यटन योजना : लाखों की परियोजना में उगी झाडिय़ां

विभागीय उदासीनता और सही कार्य योजना न होने के कारण लाखों की योजना में झाडिय़ां उग गई हैं। योजना के तहत 50 लाख की धनराशि से बने भवन वर्तमान में खंडहर में तब्दील होता जा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 01:57 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 01:57 PM (IST)
आदि कैलास पर्यटन योजना : लाखों की परियोजना में उगी झाडिय़ां

नैनीताल, जेएनएन : विभागीय उदासीनता और सही कार्य योजना न होने के कारण लाखों की योजना में झाडिय़ां उग गई हैं। यहां तक कि लोगों द्वारा मामले की जानकारी प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारियों के सामने उठाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह मामला नैनीताल जनपद के ग्रामसभा पिनरौ में आदि कैलास पर्यटन योजना से संबंधित है। इस योजना के तहत 50 लाख की धनराशि से बने भवन वर्तमान में खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। 2008 में भारत सरकार द्वारा कैलास पर्यटन योजना के तहत पिनरौ में एक सामुदायिक भवन के निर्माण के साथ-साथ एक क्षेत्र की वेबसाइड और क्षेत्र में पर्यटन को विकसित करने के लिए कई कार्य प्रस्तावित किए गए। महत्वपूर्ण योजना के तहत भारत सरकार को कुल 70 लाख रुपये देने थे। जिसमें से 50 लाख रुपये हार्डवेयर कार्य (जिसमें हट, पार्किंग आदि) निर्माण के लिए तथा 20 लाख रुपये सॉफ्टवेयर कार्य (क्षेत्र की वेबसाइट, बेरोजगारों को रोजगारपरक बनाना स्थानीय भोजन आदि ) निर्माण के लिए उत्तराखंड सरकार का 32 लाख रुपये लगाने थे। भारत सरकार ने हार्डवेयर कार्य के तहत प्रथम किस्त के रूप में 50 लाख रुपये  तथा सॉफ्टवेयर कार्य के लिए 20 लाख रुपये तत्काल अवमुक्त कर दिया था। कार्य को संपादित करने के लिए कार्यदायी संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम को बनाया गया।

सॉफ्टवेयर कार्य का जिम्मा झारखंड की समर फाउंडेशन नाम की एनजीओ का सौंपा गया। एनजीओ ने वेबसाइड निर्माण को छोड़ सभी कार्य का लगभग 70 प्रतिशत कार्य पूरा किया और तब से नदारद है। जब कि उत्तराखंड सरकार ने आज तक एक रुपये इस योजना में नहीं दिया। वहीं दूसरी तरफ पांच वर्ष पूर्व भारत सरकार ने अपने हार्डवेयर कार्य के बचे 10 लाख रुपये भी अवमुक्त कर दिए। कार्यदायी संस्था के द्वारा इस धन का प्रयोग आज तक इस भवन में नहीं किया गया। नतीजन पूरा भवन 11 वर्ष के भीतर खंडहर में तब्दील हो गया। क्षेत्र पंचायत सदस्य उमेश पलडिय़ा ने आला अधिकारियों से योजना के अन्तर्गत कार्य को पूरा करने की मांग की है।

वेबसाइड बनाए बगैर गायब हो गई एनजीओ : योजना के तहत पर्यटन को क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए 20 लाख रुपये तहत वेबसाइड निर्माण के साथ साथ फोटोग्राफी का प्रशिक्षण, स्थानीय व्यंजन निर्माण का प्रशिक्षण,पर्यटकों को सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाना और लोक संस्कृति की जानकारी, मोमबत्ती निर्माण की जानकारी उपलब्ध कराना था। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक झारखंड की समर फाउंडेशन एनजीओ द्वारा एक-दो कार्य किए गए पर वेबसाइड निर्माण आदि कार्य छोड़ दिए गए। जिससे क्षेत्र का पर्यटन परवान नहीं चढ़ सका। केएमवीएन के जीएम अशोक कुमार जोशी का इस मामले में कहना है कि यह प्रकरण मेरी जानकारी में नहीं है। अभी कुछ समय ही मुझे विभाग में ज्वाइन किया है। मामले की जानकारी लेकर ही कुछ कहा जा सकता है।

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