सौ साल पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म करें: हाईकोर्ट
हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में करीब सौ साल पुरानी अंग्रेजी हुकूमत के दौर से चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था को छह माह में समाप्त करने का आदेश पारित किया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने दहेज हत्या से संबंधित विशेष अपील निस्तारित करते हुए अभियुक्त की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। साथ ही उत्तराखंड में करीब सौ साल पुरानी अंग्रेजी हुकूमत के दौर से चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था को छह माह में समाप्त करने का आदेश पारित किया है।
टिहरी गढ़वाल के गांव गवाना पट्टी डागर निवासी बचन दास ने 23 दिसंबर 2011 को राजस्व पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें कहा था कि ससुरालियों ने उसकी बेटी रामेश्वरी को दहेज के लिए उत्पीड़न कर मार डाला। 21 दिसंबर 2012 को इस मामले में निचली कोर्ट ने अभियुक्त पति सुंदर लाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट ने निचली कोर्ट की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखने के साथ ही राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में राजस्व पुलिस का काम देख रहे पटवारियों को पुलिस के अधिकार खत्म कर दिए। साथ ही राज्य सरकार को छह माह का समय देते हुए कहा है कि इस अवधि में राज्य सरकार पटवारी क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था करे। छह माह के बाद राजस्व पुलिस में कोई भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की जाएगी।
न ही राजस्व पुलिस द्वारा संबंधित मामले की जांच की जाएगी। कोर्ट का कहना है कि राज्य की आबादी एक करोड़ से अधिक है और मात्र 156 थाने हैं। कोर्ट ने सरकार को छह माह के भीतर थानों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए, ताकि अपराधों पर नियंत्रण हो सके। कोर्ट का कहना है कि एक सर्किल में दो पुलिस स्टेशन होने चाहिए और थाने का संचालन सब इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए। मामले की सुनवाई शुक्रवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में हुई।
यह भी पढ़ें: भेल मजदूरों की छुट्टी के मामले में हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
यह भी पढ़ें: एनएच-74 मुआवजा घोटाला मामले में सीबीआइ जांच की मांग