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स्वामी सत्यमित्रानंद को षोडशी पर जनसेवा के संकल्प के साथ दी श्रद्धांजलि

स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज के षोडशी भंडारे और श्रद्धांजलि सभा में मौजूद अतिथियों ने स्वामी जी को श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 09:30 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 09:37 PM (IST)
स्वामी सत्यमित्रानंद को षोडशी पर जनसेवा के संकल्प के साथ दी श्रद्धांजलि
स्वामी सत्यमित्रानंद को षोडशी पर जनसेवा के संकल्प के साथ दी श्रद्धांजलि

हरिद्वार, जेएनएन। ब्रह्मलीन संत पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज के षोडशी भंडारे और श्रद्धांजलि सभा में मौजूद अतिथियों ने स्वामी जी को श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने उन्हें दिव्य आत्मा बताया और कहा कि हिंदू हितों का संरक्षण करने वाले स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने रामजन्म भूमि जैसे मुद्दों पर हर समय सरकार को चेताने का काम किया। उन्होंने राम मंदिर निर्माण को लेकर देशभर में हिंदू समाज को जागृत किया। 

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बुधवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृहमंत्री अमित शाह और भारत रत्न लता मंगेशकर ने अपना लिखित संदेश भेजकर ब्रह्मलीन संत को श्रद्धासुमन अर्पित किए। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि अयोध्या में जल्द राम मंदिर निर्माण की स्वामी सत्यमित्रानंद की अधूरी इच्छा को पूरा करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानंद मां भारती के सच्चे सपूत थे। उनका सारा जीवन जनकल्याण को समर्पित था। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने उन्हें दिव्य आत्मा बताया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानंद के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि दलित, पीडि़त व उपेक्षितों की सेवा में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले स्वामी सत्यमित्रानंद सदैव याद रखे जाएंगे। शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा कि स्वामी जी समाज के मार्गदर्शक थे। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानंद केवल आध्यात्मिक गुरु ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक भी थे। 

बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने उन्हें लोगों का प्रेरणास्रोत बताया। सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानंद ने अपना पूरा जीवन सेवा को समर्पित किया। मेघालय के राज्यपाल तथागत राय ने स्वामी जी के कृतित्व को नमन करते हुए उन्हें महान विभूति बताया। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें उत्कृष्ट संत और दिव्य पुरुष की संज्ञा दी। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान ने स्वामी जी को गरीबों का हितैषी बताया। शिया धर्मगुरु कोकब मुस्तफा ने कहा कि उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण सभी का करना चाहिए। 

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानंद संतों के प्रेरणास्रोत थे। परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने कहा कि दिव्य महापुरुषों की आत्मा अजर-अमर होती है और समाज को हमेशा ही अपना आशीर्वाद प्रदान करती है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानंद ने हमेशा ही राष्ट्रोत्थान में अपना योगदान दिया। अंत में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने स्वामी सत्यमित्रानंद को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

क्या होती है षोडशी 

जूना पीठ के आचार्य डॉ. ओमप्रकाश भट्ट के अनुसार संन्यास ग्रहण करने वाला संत संन्यास ग्रहण करते समय अपने सभी कर्मकांड स्वयं करता है। इस दौरान वह अपने क्रियाकर्म के साथ ही पिंडदान भी कर देता है। इसी वजह से संत को हमेशा ब्रह्मलीन कहा जाता है। शास्त्र परंपरा के अनुसार संत का कभी अंत नहीं होता, बल्कि वह ईश्वर में लीन हो जाता है। संतों के सभी संस्कार 16 दिन में होते हैं। किसी भी मनुष्य के जीवन में सोलह संस्कार होते हैं। उसका पहला संस्कार गर्भावस्था संस्कार होता है। इन्हीं 16 संस्कारों के कारण संतों का षोडशी भंडारा होता है।

32 संन्यासी संतों को कराया षोडशी भंडारा

स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि निरंजनी अखाड़े से संबंध रखते थे, जबकि उनके शिष्य एवं उत्तराधिकारी स्वामी अवधेशानंद गिरि जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि समन्वय सेवा ट्रस्ट और भारत माता मंदिर के अध्यक्ष भी थे। इस नाते निरंजनी अखाड़े के साथ-साथ स्वामी अवधेशानंद गिरि और समन्वय सेवा ट्रस्ट के सचिव आइडी शर्मा 'शास्त्री' की ओर से षोडशी का आयोजन किया गया। इस दौरान 32 संन्यासी संतों को षोडशी भंडारा खिलाकर दान इत्यादि दिया गया। दान में उन्हें चांदी की थाली, कटोरी, चम्मच, गिलास, अंगवस्त्र के साथ-साथ दक्षिणा भी दी गई। 

इन्होंने भी दी श्रद्धांजलि 

स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी, स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी कपिल मुनि महाराज, महंत जसविंद्र सिंह, महंत प्रेमदास, महंत निर्मलदास, महंत रामरतन गिरि, महंत डोगर गिरि, महंत लखन गिरि, सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, श्रीमहंत रविंद्रपुरी, आचार्य स्वामी प्रज्ञानंद, महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुनपुरी, स्वामी चिदानंद सरस्वती, स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी अच्युतानंद तीर्थ, श्रीमहंत नारायण गिरि, महंत प्रेम गिरि, महंत रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी ऋषिश्वरानंद व कथा वाचक रमेश भाई ओझा।

पुस्तक का विमोचन

श्रद्धांजलि समन्वय सेवा ट्रस्ट की ओर से 'शब्दोउपासना मेघद्तम' पुस्तक का विमोचन भी किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद रहे।

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