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Haridwar Literature festival: समीर अनजान बोले, सरल भाषा में गंभीर बातें लिखना मुश्किल

बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार समीर अनजान की रचनात्मक यात्र पर केंद्रित एक विशेष संवाद सत्र दर्द दिलों के कम हो जाते का आयोजन किया गया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 02:56 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 02:56 PM (IST)
Haridwar Literature festival: समीर अनजान बोले, सरल भाषा में गंभीर बातें लिखना मुश्किल
Haridwar Literature festival: समीर अनजान बोले, सरल भाषा में गंभीर बातें लिखना मुश्किल

हरिद्वार, जेएनएन। लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार समीर अनजान की रचनात्मक यात्रा पर केंद्रित एक विशेष संवाद सत्र 'दर्द दिलों के कम हो जाते' का आयोजन किया गया। इस दौरान उन्होंने अपने अनुभव लोगों से साझा किए। कहा कि सबसे मुश्किल है, आसान भाषा में गहरी बातें लिखना। इसलिए फिल्मों में गीत लिखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। 

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बॉलीवुड में अपना संघर्ष बताते हुए समीर ने कहा कि जीवन में कुछ भी सरलता से हासिल नहीं होता। बताया कि उनके पिता गीतकार अनजान उनके प्रेरणास्नोत हैं। वह कहते थे, जन्नत हासिल करने को मरना पड़ता है। इस प्रेरणा और सीख के बल पर उन्होंने संघर्ष किया और अपनी प्रतिभा से बॉलीवुड के सर्वाधिक गीत लिखने का रिकॉर्ड कायम किया। कहा कि, चाहे कोई भी क्षेत्र हो जब तक हम अपने दिल की नहीं सुनेंगे, सफल नहीं हो सकते। फिल्म और साहित्य के रिश्तों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि विधा के तौर पर फिल्मी गीत भी साहित्य का अभिन्न अंग हैं। 

शिल्प के तौर पर जरूर वहां अपनी कुछ सीमाएं हैं, लेकिन यदि गीत मनुष्य के हृदय को छूता है तो वह निश्चित रूप से मनुष्य के अंदर संवेदनशीलता को बढ़ाता है। साथ ही उन्हें बेहतर करने को प्रेरित भी करता है। अपने गीतों पर केंद्रित पुस्तक के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य और रचनात्मकता को संरक्षित करने के लिए उन्होंने अपने गीतों को पुस्तक के रूप में संकलित किया है। किसी भी रचनात्मक व्यक्ति को सतत संवेदना के स्तर की एक खास बेचैनी से गुजरना होता है, जब तक यह बेचैनी बची रहेगी, तब तक उनकी भी रचनात्मक यात्र चलती रहेगी। सत्र के अंत में उन्होंने प्रतिभागियों के कई दिलचस्प सवालों के जवाब भी दिए। संवाद सत्र के सूत्रधार प्रो. श्रवण कुमार शर्मा रहे। 

बेहतर जीवन प्रबंधन का गुर सिखाती है गीता: गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता जीवन प्रबंधन का सबसे बड़ा माध्यम और सार है। जो मनुष्य को संशय से बाहर निकालकर सद्कर्म की प्रेरणा देता है। कहा कि गीता सबसे बड़ा चिकित्सा शास्त्र है, जो मनोरोगी को संदेह की स्थिति से उबारता है। 

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गुरुकुल कांगड़ी विवि में आयोजित हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन श्रीमद्भागवत गीता ज्ञान यज्ञ के विशेष सत्र को गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया। कहा कि युद्धभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान अजरुन को दिया, जो अपने पारिवारिक संबंधों के मोह में अपने धर्म से भटक रहा था। भगवान श्रीकृष्ण ने उसे इस मनोविषाद से उबारकर अपना कर्म करने को प्रेरित किया। 

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भारत-नेपाल के बीच सेतु बनेगा हिंदी साहित्य 

लिटरेचर फेस्टिवल में नेपाल से हिस्सा लेने पहुंचीं साहित्यकार डॉ. श्वेता दीप्ति ने कहा कि भारत और नेपाल की साझा संस्कृति है। दोनों के साहित्यिक मूल्यों में भी समानता है। दोनों देशों के बीच हिन्दी साहित्य की सरिता बहती है, जो दिलों को जोड़ने का कार्य कर रही है। नेपाल के वरिष्ठ साहित्यकार बसंत चौधरी की रचना कर्म पर केंद्रित एक विशेष संवाद सत्र में बतौर मुख्य वक्ता डॉ. श्वेता दीप्ति ने कहा कि बसंत चौधरी नेपाल के चर्चित साहित्यकार और गीतकार हैं। संवाद सत्र का संचालन अंत: प्रवाह सोसायटी के सचिव संजय हांडा ने किया। 

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