खुद रक्तदान करने के साथ ही दूसरों को प्रेरित कर रहे यह स्टेशन मास्टर
हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर तैनात स्टेशन मास्टर भारतभूषण सैनी पिछले तीन वर्षों से खुद रक्तदान करने के साथ ही दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। इनकी मुहिम रंग ला रही है।
हरिद्वार, मनीष कुमार। 'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल, लोग जुड़ते गए कारवां बनता गया।' मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी की इन पंक्तियों को हरिद्वार रेलवे स्टेशन के कर्मयोगी यथार्थ बना रहे हैं। पिछले तीन वर्षों से खुद रक्तदान करने के साथ ही दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने की इनकी मुहिम रंग लाती दिख रही है। समूचे रेल परिवार को इस महादान में शामिल करने की उम्मीदें लिए ये कर्मयोगी अभी से ही नए साल में होने वाले रक्तदान शिविर की तैयारियों में जुट गए हैं।
हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर तैनात स्टेशन मास्टर भारतभूषण सैनी अब तक 26 दफा रक्तदान कर चुके हैं। बीते 12 साल से रक्तदान कर वह दूसरों का जीवन बचा रहे हैं। भारतभूषण सैनी बताते हैं, 'हमारी ओर से किया गया रक्तदान कई ङ्क्षजदगियां बचाता है। इस बात का एहसास हमें तब होता है, जब हमारा कोई अपना खून के लिए ङ्क्षजदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और खून के इंतजाम के लिए जमीन-आसमान एक कर देते हैं।' बताते हैं, यदि हम समाज के साथ अपने कार्यक्षेत्र में लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करें तो जरूरतमंदों की समय रहते मदद की जा सकती है।
रंग लाया प्रयास
वर्ष 2017 में भारतभूषण सैनी ने कुछ साथियों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया, इससे जुड़ी भ्रांतियां दूर की। बस फिर क्या था स्टेशन मास्टर आशीष शर्मा और शशिकांत मिश्रा भी इस नेक काम में उनके साथ जुड़ गए। सबने रेलकर्मियों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया और एक के बाद एक कई साथी इस पहल से जुड़ते चले गए। 28 अक्टूबर 2017 को पहली बार हरिद्वार स्टेशन पर रक्तदान शिविर का आयोजन कर 23 यूनिट रक्त एकत्र किया गया। इसके बाद हर साल 28 अक्टूबर को शिविर आयोजित करने का प्रण भी लिया गया। वर्ष 2018 में एक सक्रिय सदस्य के अस्वस्थ होने के चलते 20 यूनिट रक्त एकत्र किया गया, जबकि 2019 में 28 यूनिट रक्तदान एकत्र हुआ। उस वक्त 55 रेलकर्मी रक्तदान को पहुंचे थे। हालांकि परीक्षण के बाद इनमें केवल 28 रक्तदान के योग्य पाए गए।
लोगों से अपील
भारत भूषण सैनी (स्टेशन मास्टर, हरिद्वार) का कहना है कि रक्तदान करके देखिए अच्छा लगता है। हम सबकी एक छोटी सी कोशिश उखड़ती सांसों को नई जिंगी दे सकती है। आइए नए साल में ज्यादा से ज्यादा रक्तदान का संकल्प लें।
आशीष शर्मा (स्टेशन मास्टर, हरिद्वार) का कहना है कि रक्तदान करने के बाद यह अनुभूति होती है कि हमारे इस नेक कार्य से किसी भी जरूरतमंद की जान बच सकती है। चाहे वह किसी धर्म और जाति से हो। समाज के प्रत्येक व्यक्ति से मेरी विनती है कि रक्तदान करें।
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शशिकांत मिश्रा (स्टेशन मास्टर प्रथम, हरिद्वार) का कहना है कि रक्तदान महादान है। हालांकि इसे लेकर अब भी भ्रांति बनी है कि शरीर में खून की कमी हो जाएगी। इन्हीं भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत है। रक्तदान करें इससे कुछ भी हानि नहीं है। रक्तदान करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
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