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25 सालों से यहां आजादी के दिन फहराया जाता है अभिमंत्रित तिरंगा

धर्मनगरी में 25 वर्ष पहले एक अनोखी परंपरा की शुरुआत हुर्इ थी। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा आजादी के दिन अभिमंत्रित तिरंगे का आरोहण करते और कराती है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 07:10 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 08:41 AM (IST)
25 सालों से यहां आजादी के दिन फहराया जाता है अभिमंत्रित तिरंगा
25 सालों से यहां आजादी के दिन फहराया जाता है अभिमंत्रित तिरंगा

हरिद्वार, [अनूप कुमार]: धर्मनगरी के अखाड़ों में स्वतंत्रता दिवस मनाने की अनोखी परंपरा है। जिसका निर्वहन अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा पिछले 25 वर्षों से करती आ रही है। पहले महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक निजी तौर पर यह आयोजन करते थे, लेकिन महासभा का गठन होने के बाद इसके बैनर तले समारोह आयोजित होने लगे। वह विभिन्न अखाड़ों से संबंधित मठ-मंदिरों और आश्रमों में आजादी के दिन अभिमंत्रित तिरंगे का आरोहण करते और कराते हैं। 

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पं. कौशिक ने चांदपुर (बिजनौर) के बाद धर्मनगरी में इस अनोखी परंपरा की शुरुआत 25 वर्ष पहले की थी। आज भी वह विभिन्न अखाड़ों और उनसे जुड़े मठ-मंदिरों के सहयोग से विशेष यज्ञ-हवन व धार्मिक अनुष्ठानों के साथ तिरंगे को राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा, राष्ट्रीय एकता, राष्ट्र समृद्धि व राष्ट्र उन्नति की भावना एवं कामना के साथ अभिमंत्रित कर फहराने की परंपरा को निभा रहे हैं। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा अखाड़ों के साधु-संन्यासियों के साथ स्वतंत्रता दिवस से पहले ही तैयारियां शुरू कर देती है। इस दौरान हरिद्वार के सभी प्रमुख मंदिरों में तिरंगे की विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद स्वतंत्रता दिवस पर अखाड़ों या फिर उनसे जुड़े मठ-मंदिरों और आश्रमों में समारोहपूर्वक फहराया जाता है। इस स्वतंत्रता दिवस पर वह 11 जगह अभिमंत्रित तिरंगे का आरोहण कराएंगे। खास बात यह है कि वह आरोहण के लिए खादी से बने तिरंगे का ही इस्तेमाल करते हैं। 

दादा ज्वाला प्रसाद से मिली प्रेरणा

पं. कौशिक ने राष्ट्रप्रेम के लिए किए जाने वाले इस कार्य का श्रेय लेने अथवा महिमामंडित करने की कभी  कोशिश नहीं की। वह कहते हैं कि यह राष्ट्रधर्म के निमित्त कार्य है। सो, इसमें अपना महिमामंडन क्यों किया जाए। कहते हैं उन्हें इसकी प्रेरणा अपने दादा पं. ज्वाला प्रसाद से मिली। दादाजी चाहते थे कि जिस तरह विभिन्न धार्मिक और तीर्थ स्थलों पर धार्मिक पर्वों के दौरान जलसे का सा माहौल रहता है, ठीक उसी तरह राष्ट्रीय पर्व पर भी इन स्थानों पर जलसा होना चाहिए। ताकि आम जनमानस इससे जुड़े और यह केवल सरकारी आयोजन भर न रहे। दादाजी हमेशा इसके लिए प्रयासरत रहे। यही बात उनके मन में भी घर कर गई। 

गली-मोहल्लों से की थी शुरुआत

बताते हैं, 25 वर्ष पहले वे बिजनौर जिले के चांदपुर से रोजी-रोटी की तलाश में हरिद्वार आए थे। यहां आने के बाद उन्होंने देश की आजादी के पर्व को धार्मिक आयोजनों की तरह धूमधाम से आयोजित करने की योजना बनाई। पहले-पहल छोटे पैमाने पर इसकी शुरुआत गली-मोहल्लों के मंदिर से की। माता स्व. सावित्री देवी और पिता स्व. कामेश्वर प्रसाद ने हौसला दिया तो फिर धीरे-धीरे अखाड़ों से जुड़े अलग-अलग मठ-मंदिरों में बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजन उनके सहयोग से कराने लगे। अखाड़ों ने भी इसमें भरपूर दिया, जिससे उत्साहित होकर वह चांदपुर सहित अन्य स्थानों पर इस तरह का आयोजन कराने लगे। 

निरंजनी अखाड़े में होगा बड़ा समारोह

पं. कौशिक ने बताया कि इस बार निरंजनी अखाड़ा स्वतंत्रता दिवस को राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा, राष्ट्र एकता, राष्ट्र समृद्धि और राष्ट्र उन्नति की भावना-कामना के संकल्प के साथ मना रहा है। इसके लिए तिरंगे के साथ श्रावण के दूसरे सोमवार से धार्मिक अनुष्ठान और यज्ञ-हवन शुरू हो गया है, जो अगले एक सप्ताह तक जारी रहेगा। 15 अगस्त को अभिमंत्रित तिरंगा निरंजनी अखाड़े में आयोजित बड़े समारोह में फहराया जाएगा। इस दौरान वंचितों व गरीबों को भोग-प्रसाद का वितरण भी किया जाएगा।

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