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घुटनों के रोगियों को राहत देगी ये खास डिवाइस, IIT रुड़की के सहायक प्राध्यापक ने किया है तैयार; बताई खासियस

घुटनों की चोट जकड़न अकड़न व दर्द की समस्या से परेशान मरीजों को राहत देने के लिए आइआइटी रुड़की के प्रबंधन अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. आरएल धर ने घुटने का एक ऐसा पुनर्वास उपकरण बनाया है जो सस्ता तो है ही उसका इस्तेमाल करना भी काफी आसान है। रिहैबिलिटेशन डिवाइस के मामले में भारत 90 प्रतिशत अमेरिका और 10 प्रतिशत यूरोप समेत दूसरे देशों पर निर्भर है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Published: Wed, 01 May 2024 06:00 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2024 06:00 PM (IST)
आइआइटी रुड़की के प्रबंधन अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. आरएल धर

रीना डंडरियाल, रुड़की। बढ़ती उम्र, खेलों के दौरान लगने वाली चोट, आधुनिक जीवनशैली, खानपान आदि कारणों से वर्तमान में लोग घुटने संबंधी दिक्कतों से परेशान हैं। वहीं, मेडिकल उपचार के बाद मरीज को सामान्य स्थिति में आने के लिए अक्सर घुटने के पुनर्वास उपकरण (रिहैबिलिटेशन डिवाइस) की जरूरत पड़ती है। लेकिन, काफी महंगी होने के कारण हर किसी के लिए डिवाइस खरीदना संभव नहीं होता।

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घुटनों की चोट, जकड़न, अकड़न व दर्द की समस्या से परेशान मरीजों को राहत देने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के प्रबंधन अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. आरएल धर ने घुटने का एक ऐसा पुनर्वास उपकरण बनाया है, जो सस्ता तो है ही, उसका इस्तेमाल करना भी काफी आसान है।

रिहैबिलिटेशन डिवाइस के मामले में भारत 90 प्रतिशत अमेरिका और 10 प्रतिशत यूरोप समेत दूसरे देशों पर निर्भर है। यह 70 से 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिकल डिवाइस होती हैं और इनकी कीमत 30 से 50 हजार रुपये या इससे अधिक होती है।

किसी कारणवश शरीर का कोई अंग जब चोटिल हो जाता है, तब मेडिकल उपचार के बाद मरीज के सामान्य स्थिति में आने के लिए सहायक यानी पुनर्वास उपकरण की जरूरत पड़ती है। खर्चा अधिक होने से हर मरीज फिजियोथेरेपिस्ट के पास नहीं जा पाता और डिवाइस महंगी होने के कारण इन्हें खरीद भी पाता।

ऐसे में कई मरीज घरेलू नुस्खे अपनाते हैं, लेकिन इसमें लंबा समय लगता है। डा. आरएल धर बताते हैं कि इसी को देखते हुए उन्होंने एक ऐसी डिवाइस बनाने की सोची, जिसकी कीमत कम हो, गुणवत्ता अच्छी हो, मरीज उसका घर पर ही इस्तेमाल कर सके और उसमें कम से कम पार्ट हों।

केंद्र ने उत्पादन को दिया लाइसेंस

डॉ. आरएल धर ने जो डिवाइस बनाई है, वह मैकेनिकल डिवाइस है। इसका वजन आठ से दस किलो है और इसे बनाने में पांच से लेकर आठ हजार रुपये तक का खर्चा आया है। उन्होंने बताया कि इस आविष्कार में चार से पांच साल लगे। इस प्रोटोटाइप मैटेलिक डिवाइस को हल्के मैटेरियल (फाइबर आदि) से भी बनाया जा सकता है।

बताया कि घुटने के इस पुनर्वास उपकरण का पेटेंट मिल गया है। केंद्र ने इसके उत्पादन के लिए लाइसेंस भी दे दिया है। अब वे मैन्यूफेक्चरर से संपर्क कर रहे हैं, ताकि इसका व्यवसायीकरण कर जरूरतमंद लोगों को लाभ मिल सके। इस उपकरण की कीमत कम करने पर भी काम हो रहा है।

यह है आविष्कार

घुटने के इस पुनर्वास उपकरण में पैडल के साथ लकड़ी का एक आधार है। इस पर रबड़ शीट लगाई गई है, जहां पैर रखा जाएगा। इसे जूते की तरह पहनना होगा, लेकिन यह खुला होगा। पैडल एक प्लेटफार्म पर चल सकता है। पैडल के सामने वाले हिस्से में वजन को सहारा देने के लिए कई फास्टनर हैं।

पैडल के पास पीछे, बढ़ते ब्रैकेट में रिंग और छिद्रों से गुजरते हुए एक लंबे बोल्ट के जरिये जुड़े हुए कम से कम दो रिंग हैं। मरीज के पैर को जगह पर रखने के लिए पैडल में पट्टियां और हुक भी हैं। आधार, जिस पर पैडल टिका है, वह आयताकार है। इसके प्रत्येक कोने के पास छिद्र हैं। यह छिद्र वाले माउंटिंग ब्रैकेट से भी जुड़ता है।

रोलर गेंदों को मुक्त गति के लिए कोनों के पास आधार के नीचे से जोड़ा जाता है। पैडल के सामने की फास्टनर डिवाइस में वजन और प्रतिरोध जोड़ने के लिए नट का उपयोग करते हैं।

दो तरह से किया जा सकता है प्रयोग

डिवाइस का उपयोग मरीज बिस्तर पर लेटकर या कुर्सी पर बैठकर कर सकता है। बिस्तर पर लेटते समय मरीज फ्लैट प्लेटफार्म बेस और कुर्सी पर बैठते हुए घुमावदार प्लेटफार्म बेस चुन सकता है। पैर को पट्टियों के जरिये पैडल से बांधने में मदद करने के लिए दोनों प्लेटफार्म पर एक रबर शीट चिपकाई गई है, जो रोलर गेंदों के कारण आसानी से चलती है।

दो टी आकार के स्टैंड एक लंबी छड़ से जुड़े हुए हैं। प्रत्येक स्टैंड में दो भाग हैं, एक क्षैतिज आधार और छेद वाली एक ऊर्ध्वाधर पट्टी। बैठने की स्थिति में डिवाइस का उपयोग करते समय घुमावदार प्लेटफार्म को सहारा देने के लिए राड दी गई है, जो सपाट प्लेटफार्म को ऊपर उठाती है। इसका उपयोग सोने की स्थिति में डिवाइस का उपयोग करते समय किया जा सकता है।

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