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नियमों के भंवर में डूबा सिपाही का परिवार, इंसानियत बनी खेवनहार

वर्ष 2016 के हरिद्वार अर्द्धकुंभ में लापता हुए सिपाही जनकराज के परिवार के समक्ष नियमों के भंवर में फंसने से रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में हरिद्वार पुलिस मदद को आगे आई।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 09:59 AM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 08:21 PM (IST)
नियमों के भंवर में डूबा सिपाही का परिवार, इंसानियत बनी खेवनहार
नियमों के भंवर में डूबा सिपाही का परिवार, इंसानियत बनी खेवनहार

हरिद्वार, [मेहताब आलम]: वर्ष 2016 के हरिद्वार अर्द्धकुंभ में लापता हुए सिपाही जनकराज के परिवार पर दोतरफा मुसीबत टूट पड़ी है। एक तरफ दो साल जनकराज का कोई पता नहीं चल पाया और दूसरी तरफ उसकी तनख्वाह भी बंद हो गई। उसकी बूढ़ी मां ने मदद के लिए विभाग में गुहार लगाई तो अफसरों ने नियमों का हवाला देकर पल्लू झाड़ लिया। 

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ऐसे में हरिद्वार की कनखल थाना पुलिस खेवनहार बनकर सामने आई। यद्यपि, पुलिस जनकराज को ढूंढकर तो नहीं ला सकी, मगर अपनी तनख्वाह से अंशदान कर उसके परिवार का सहारा जरूर बनी है।

चंपावत जिले के ग्राम गेड़ाखाली नंबर 4 (टनकपुर) निवासी दर्शन राम और सीता देवी का पुत्र जनकराज वर्ष 2007 में उत्तराखंड पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुआ। वर्ष 2016 में बागेश्वर में तैनाती के दौरान वह अद्र्धकुंभ मेला ड्यूटी के लिए हरिद्वार आया। 

लेकिन, जनकराज को नहीं मालूम था कि दुर्भाग्य उसका पीछा कर रहा है और 17 जनवरी 2016 को वह कनखल स्थित बैरागी कैंप से अचानक लापता हो गया। आसपास तलाश करने के बाद उसकी गुमशुदगी दर्ज की गई, जो आज तक पहेली बनी हुई है। 

जनकराज लापता होने के दिन छुट्टी पर था, लिहाजा नियमानुसार उसका वेतन बंद कर दिया। घर चलाने के इस एकमात्र जरिये के बंद होने से उसके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। जनकराज की बूढ़ी मां सीता देवी ने देहरादून स्थित पुलिस मुख्यालय से मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन नतीजा सिफर रहा। 

बागेश्वर पुलिस ने जरूर लोन के सहारे इस परिवार की कुछ मदद की, लेकिन इस शर्त पर कि जनकराज के वापस आने पर रकम लौटानी पड़ेगी। 

ऐसे में विवश सीता देवी ने कनखल पुलिस से संपर्क साधा तो थाना प्रभारी अनुज सिंह ने भरोसा दिलाया कि उनके स्तर से जो भी बन पड़ेगा, मदद करेंगे। 

उपनिरीक्षक डीपी काला सहित सिपाहियों ने भी जनकराज की बूढ़ी मां को मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने जनकराज के बेटे सौम्यवर्द्धन के स्कूल में दाखिले के लिए भी खाते में रकम ट्रांसफर की। जनकराज की मां सीता देवी और पत्नी कलावती इसे पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों का बदला मानती हैं।

रो-रोकर पिता की आंख में आया मोतिया 

बेटे के सदमे में रो-रोकर बुजुर्ग पिता दर्शन राम की आंख में मोतियाङ्क्षबद आ गया। मगर, परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि आंख का ऑपरेशन कर सकें। जनकराज का एक चार साल का बेटा भी है, जिसकी परवरिश की चिंता उसके बूढ़े मां-बाप व पत्नी को खाए जा रही है। फिलहाल तो कनखल पुलिस ही इस परिवार का सहारा है।

पेंशन को प्रयास कर रहे एसएसपी

हरिद्वार के एसएसपी कृष्ण कुमार वीके भी व्यक्तिगत तौर पर जनकराज के परिवार की मदद कर रहे हैं। एसएसपी के अनुसार वह इस प्रयास में भी जुटे हैं कि जनकराज के परिवार को हर महीने पेंशन मिल जाए। ताकि बेटे के लौटने तक परिवार को कोई दिक्कत न हो।

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