Move to Jagran APP

गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश कर रहे बनारस के शशिकांत, 18 वर्षों से लगातार रख रहे रोजा

यूपी के वाराणसी निवासी शशिकांत प्रजापति गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। वह पिछले 18 वर्षों से रमजान में रोजा रखकर मानवता को प्रेम एवं भाईचारे का संदेश दे रहे हैं।

By Edited By: Published: Sat, 02 May 2020 03:01 AM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 10:16 PM (IST)
गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश कर रहे बनारस के शशिकांत, 18 वर्षों से लगातार रख रहे रोजा
गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश कर रहे बनारस के शशिकांत, 18 वर्षों से लगातार रख रहे रोजा

कलियर (रुड़की), मौसम अली। एक ओर जहां कुछ असामाजिक तत्व तरह-तरह की अफवाहें फैलाकर धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं वाराणसी निवासी 35-वर्षीय शशिकांत प्रजापति गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। शशिकांत पिछले 18 वर्षों से लगातार रमजान में रोजा रखकर मानवता को प्रेम एवं भाईचारे का संदेश दे रहे हैं।

loksabha election banner

यूपी के वाराणसी जिले के रामनगर स्थित गोलाघाट निवासी शशिकांत प्रजापति मार्च में रुड़की की कलियर दरगाह में दर्शनों के लिए आए थे। लेकिन, कोरोना महामारी के कारण देशभर में हुए लॉकडाउन की वजह से वे घर वापस नहीं लौट सके। हालांकि, इस स्थिति से वे घबराए नहीं, बल्कि कलियर में रहते हुए ही लोगों को आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। हिंदू होने के बावजूद वे रमजान में पूरे श्रद्धाभाव से रोजा रख रहे हैं। 

शशिकांत बताते हैं कि उन्होंने एमएससी-बीएड व एमसीए की डिग्री हासिल की हुई है और वर्तमान में अपना विद्यालय संचालित करते हैं। 18 वर्ष पूर्व उनके मन में विचार आया कि देशवासियों को आपसी सौहार्द का संदेश देने के लिए क्यों न रमजान के महीने में रोजा रखें। इसके बाद से वह लगातार रोजा रखते आ रहे हैं। बताते हैं कि लॉकडाउन में फंसने के बावजूद उन्होंने रोजा रखना नहीं छोड़ा। वह सुबह तीन बजे सहरी करते हैं और शाम को सात बजे दरगाह के गेट पर ही रोजा इफ्तार। शशिकांत के अनुसार रोजा रखने से न केवल मन पवित्र होता है, बल्कि हमारे भीतर की बुरी शक्तियां भी कमजोर पड़ती हैं। कहते हैं, मन में आस्था और विश्वास हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता।

11 वर्षीय इल्‍मा ने रोजा रख मांगी कोरोना के खात्‍मे की दुआ

लॉकडाउन में फंसी सहारनपुर की कक्षा छह की छात्रा इल्मा शौकत ने शुक्रवार को पहला रोजा रखा। रोजा रखकर इल्मा ने देश से कोरोना वायरस महामारी के खत्म होने की दुआ मांगी। इल्मा शौकत सोत मोहल्ले में अपनी बहन के घर 19 मार्च को एक शादी में शामिल लेने के लिए सहारनपुर से आई थी। लॉकडाउन के कारण शादी नहीं हो सकी। वहीं इल्मा भी अपने घर नहीं लौट पाई। तब से इल्मा अपने माता-पिता से दूर बहन के घर रह रही है। इल्मा ने शुक्रवार को पहला रोजा रखा।

यह भी पढ़ें: Possitive India: लॉकडाउन के दौरान बंजर खेतों को संवारने में जुटी महिलाएं

11 वर्षीय इल्मा ने कहा कि जब देश के लोग प्रधानमंत्री की अपील पर कोरोना से हर मोर्चे पर लड़ रहे हैं तो उसने भी शुक्रवार को पहला रोजा रखकर खुदा से दुआ की है कि हमारे देश और दुनिया को इस भयंकर बीमारी से निजात मिल जाए। इसके अलावा इल्मा ने कोरोना योद्धा डॉक्टर, सफाई कर्मी, पुलिसकर्मी और जो अधिकारी दिन-रात ड्यूटी देकर सेवा कर रहे हैं उनकी सेहत और रक्षा की दुआ भी मांगी। इल्मा की बड़ी बहन नगमा ने बताया कि उम्र कम होने की वजह से इल्मा को रोजा नहीं रखने के लिए कहा गया लेकिन उसने कहा कि देश के रक्षकों, भूखों व योद्धाओं के लिए रोजा रखना सवाब का काम है।

यह भी पढ़ें: Lockdown में किसानों के उत्पाद को पहुंचा रहे उपभोक्ताओं तक, जरूरतमंदों को दे रहे राशन भी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.