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हरिद्वार : हरकी पैड़ी पर सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर गंगा स्‍नान को उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

हरकी पैड़ी पर सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के दिन श्राद्ध व तर्पण को भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा स्नान को जुटी हुई है। पुलिस ने व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े बंदोबस्त किए हुए हैं। शहर में भारी वाहनों की आवाज आई पर पूरी तरह से रोक है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 11:38 AM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 07:36 PM (IST)
हरकी पैड़ी पर सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा स्नान को जुटी।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। सर्वपितृमोक्ष अमावस्या पर कोविड-19 प्रोटोकाल की पाबंदियों के बीच धर्मनगरी में लाखों श्रद्धालुओं ने विधि-विधान के साथ कर्मकांड कर पितरों को विदा किया। साथ ही, ब्राह्मणों को सात्विक भोजन कराया गया। श्राद्ध पक्ष के कर्मकांड करने के बाद श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर स्नान कर पुण्य अर्जित किया। वहीं नारायणी शिला पर कोविड प्रोटोकाल के चलते मेला आयोजन व श्राद्ध कर्म करने पर प्रशासन की पाबंदी पर श्रद्धालुओं ने नाराजगी जताई। 

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बुधवार को अमावस्या पर सुबह से ही हरकी पैड़ी और हरकी पैड़ी क्षेत्र के सभी गंगा घाटों, कुशावर्त घाट व विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। हरकी पैड़ी पर सुबह पांच बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगनी शुरू हो गई थी। जो दिन चढऩे के साथ-साथ बढ़ती गई, दोपहर तक तो यहां भारी भीड़ उमड़ गई थी। धार्मिक आस्था के अनुरूप श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के निमित्त तर्पण व कर्मकांड संपन्न कराया। साथ ही, वस्त्र, भोजन, पिंडदान सहित अन्य वस्तुएं दान दी।

पितृमोक्ष अमावस्या पर शहर में नगर निगम कार्यालय और डाम कोठी के बीच मायापुर क्षेत्र में स्थित नारायणी शिला में प्रतिवर्ष सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर मेले का आयोजन होता है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां श्राद्ध कर्म और तर्पण के लिए बड़ी संख्या में आते हैं। लेकिन, इस बार प्रशासन ने कोविड-19 प्रोटोकाल के चलते यहां मेले के आयोजन व नारायणी शिला पर श्राद्ध-तर्पण करने पर पाबंदी लगा दी। इससे अमावस्या पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी रही। उनका आरोप था कि प्रशासन ने वीवीआइपी के लिए व्यवस्था बनाने के पाबंदी लगाने का काम किया है।

ज्ञात-अज्ञात पितरों का किया श्राद्ध

माना जाता है कि पितृपक्ष के 15 दिन के दौरान पितृ धरती पर आ जाते हैं और पितृमोक्ष अमावस्या के दिन इनकी वापसी होती है। अमावस्या पर जिन पितरों की मृत्यु की तिथि पता नहीं होती, जिनके बारे में हमें ज्ञात नहीं होता, यानि कि सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध इस दिन किया जाता है। साथ ही जिन्होंने अश्विन पूर्णिमा पर श्राद्ध नहीं किया, उन्होंने भी सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर पितरों को मोक्ष दिलाया। ब्रह्मकुंड पर गंगा स्नान देर शाम तक चलता रहा।

ट्रेन और बसों में रही भीड़

पितृमोक्ष अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर पर यात्रियों की भीड़ रही। हरिद्वार के पड़ोसी जिलों के अलावा हिमाचल, पंजाब, हरियाणा रूट की बसों में ज्यादा भीड़भाड़ दिखी। वहीं रेलवे स्टेशन पर टिकट लेने के लिए यात्रियों में मारामारी मची रही। हरिद्वार से मुरादाबाद, रुड़की सहारनपुर, दिल्ली, अमृतसर आदि जाने वाले यात्रियों को ट्रेन में खड़े रहकर सफर करना पड़ा। इसके साथ ही रायवाला, ऋषिकेश, देहरादून आदि के लिए जाने वाली ट्रेनों में भी यात्रियों की भारी भीड़ रही।

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