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Haridwar Kumbh Mela 2021: अखाड़ों में पहुंची छिद्दरवाला के जंगल से लाई गई धर्मध्वजा की लकड़ी

Haridwar Kumbh Mela 2021 अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापना और नगर पेशवाई की तिथियां घोषित होने के बाद शुक्रवार को मेला अधिष्ठान ने छिद्दरवाला के जंगल से लाई गई धर्मध्वजा की लकड़ी अखाड़ों को सौंप दी है। मेलाधिकारी ने बैरागी कैंप में सबसे पहले बैरागी अखाड़ों के संतों को लकड़ी सौंपी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 02:58 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 02:58 PM (IST)
Haridwar Kumbh Mela 2021: अखाड़ों में पहुंची छिद्दरवाला के जंगल से लाई गई धर्मध्वजा की लकड़ी
बैरागी कैंप में बैरागी संतों को धर्मध्वजा की लकड़ी सौंपते मेलाधिकारी दीपक रावत।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापना और नगर पेशवाई की तिथियां घोषित होने के बाद शुक्रवार को मेला अधिष्ठान ने छिद्दरवाला के जंगल से लाई गई धर्मध्वजा की लकड़ी अखाड़ों को सौंप दी है। मेलाधिकारी दीपक रावत ने बैरागी कैंप में सबसे पहले बैरागी अखाड़ों के संतों को लकड़ी सौंपी। धर्मध्वजा की लकड़ी मिलने के बाद बैरागी संत खासे उत्साहित हैं।

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कुंभ मेले में धर्मध्वजा का विशेष महत्व है। अखाड़ों में धर्मध्वजा की स्थापना होने के साथ कुंभ मेले का आगाज हो जाता है। पिछले दिनों सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने छिद्दरवाला के जंगल में लकड़ी चिह्नित की थी।

शुक्रवार को मेला अधिष्ठान ने जंगल से लाई धर्मध्वजा की लकड़ी अखाड़ों को सौंपा। अखाड़े की की ओर से कुंभ मेले की जिम्मेदारी संभाल रहे बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा कि मेलाधिकारी स्वयं ध्वजा की लकड़ी लेकर उनके पास आए हैं। इससे साफ जाहिर है कि धर्मनगरी में कुंभ मेला दिव्य और भव्य होगा। मेलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि धर्मध्वजा की लकड़ी हरिद्वार लाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती थी। 

पांच को आह्वान अखाड़े की पेशवाई

श्रीपंच दशनाम आह्वान अखाड़े की धर्म ध्वजा तीन मार्च को फहराई जाएगी। जिसके बाद पांच मार्च को धूमधाम के साथ भव्य पेशवाई निकाली जाएगी। शुक्रवार को भूपतवाला स्थित अखाड़े में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्रीपंच दशनाम आह्वान अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्य गिरि महाराज ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की धरोहर है। जो पूरे विश्व में अनेकता में एकता को दर्शाता है। कुंभ मेले के दौरान जो व्यक्ति पतित पावनी मां गंगा में स्नान कर लेता है। उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का शमन होकर जीवन भवसागर से पार हो जाता है। कुंभ मेला दुनिया भर में किसी भी धार्मिक प्रयोजन के लिए भक्तों का सबसे बड़ा संग्रहण है। इसलिए कुंभ मेले के दौरान सभी श्रद्धालुओं को मां गंगा में स्नान कर स्वयं को पुण्य का भागी बनाना चाहिए। अखाड़े के मुख्य संरक्षक श्रीमहंत नीलकंठ गिरि महाराज ने कहा कि कुंभ मेले के दौरान मां गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालु अनंत काल तक धन्य हो जाते हैं और उन्हें मुक्ति का मार्ग प्राप्त हो जाता है। श्रीमहंत कर्णगिरि महाराज ने कहा कि प्रयागराज कुंभ के सफल आयोजन से पूरे विश्व में एक सकारात्मक धार्मिक संदेश का प्रचार हुआ। हरिद्वार कुंभ मेले की व्यवस्था भी उसी तर्ज पर होनी चाहिए। ताकि कुंभ का आयोजन ऐतिहासिक रूप से सफल हो सके।

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