पता चलेगा कि कहां-कहां है हिम तेंदुओं की मौजूदगी
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की मौजूदगी कहां-कहां है इसे लेकर तस्वीर इसी माह तक साफ होने की उम्मीद है। सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत हिम तेंदुओं के आकलन के लिए चल रहा प्रारंभिक सर्वे अब अंतिम चरण में पहुंच गया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की मौजूदगी कहां-कहां है, इसे लेकर तस्वीर इसी माह तक साफ होने की उम्मीद है। सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत हिम तेंदुओं के आकलन के लिए चल रहा प्रारंभिक सर्वे अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। इसमें सामने आए आंकड़ों का भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से विश्लेषण किया जाएगा। राज्य में सिक्योर हिमालय परियोजना के नोडल अधिकारी आरके मिश्र के मुताबिक इससे यह साफ हो सकेगा कि किन-किन क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की मौजूदगी है।
प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की ठीक-ठाक संख्या में मौजूदगी है, लेकिन इनकी वास्तविक संख्या कितनी है, इसे लेकर रहस्य बना हुआ है। इस सबको देखते हुए सिक्योर हिमालय परियोजना के तहत पहली मर्तबा राज्य में हिम तेंदुओं का आकलन (गणना) कराने का निर्णय लिया गया। इसके तहत नंदादेवी बॉयोस्फीयर रिजर्व, गंगोत्री नेशनल पार्क, गोविंद वन्यजीव विहार के साथ ही टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, बदरीनाथ, केदारनाथ वन प्रभागों में इनके आकलन के सिलसिले में सर्वे कराया जा रहा है। इन क्षेत्रों के 12800 वर्ग किमी के इलाके को 80 ग्रिड में बांटकर वहां 80 टीमें सर्वे कार्य कर रही हैं। राज्य में सिक्योर हिमालय परियोजना के नोडल अधिकारी आरके मिश्र के अनुसार प्रारंभिक सर्वे के दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्र में हिम तेंदुओं के पगचिह्न, मल आदि के नमूने लिए गए। कुछ जगह ये प्रत्यक्ष भी नजर आए। इसके अलावा स्थानीय ग्रामीणों से उन स्थानों की जानकारी ली गई, जहां हिम तेंदुए अक्सर दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि प्रांरभिक सर्वे का कार्य 22 दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद सर्वे में सामने आए आंकड़ों का भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों के सहयोग से विश्लेषण किया जाएगा।
इसमें यह पता चल जाएगा कि उच्च हिमालयी क्षेत्र के किन-किन क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की मौजूदगी हैं। कोशिश ये है कि विश्लेषण का ये कार्य इसी माह के आखिर या फिर जनवरी के पहले हफ्ते में पूरा करा लिया जाए। इसके बाद अगले चरण में इन क्षेत्रों में भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। इसके बाद कैमरा ट्रैप में आई तस्वीरों और प्रांरभिक सर्वे के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा। कोशिश ये है कि अगले वर्ष नवंबर तक हिम तेंदुओं से संबंधित आंकड़े सार्वजनिक कर दिए जाएं।