यमुनोत्री रोप-वे का नए सिरे से होगा करार, दस साल बाद इस दिशा में फिर बढ़े कदम
प्रदेश के चारधामों में से एक यमुनोत्री धाम में 10 साल बात एक बार फिर रोप-वे बनाने की दिशा में कदम बढ़ने शुरू हो गए हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के चारधामों में से एक यमुनोत्री धाम में 10 साल बाद एक बार फिर रोप-वे बनाने की दिशा में कदम बढ़ने शुरू हो गए हैं। अब इसके लिए नए सिरे से टेंडर निकाला जाएगा। इसके लिए विभागीय तैयारियां भी शुरू की जा चुकी हैं। अब इस रोप वे की लागत 70 करोड़ से बढ़कर 180 करोड़ रुपये पहुंच गई है।
प्रदेश सरकार ने 2008 में यमुनोत्री रोप-वे बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए थे। खरसाली से यमुनोत्री के पास गरुड़चट्टी तक रोप वे बनाने के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए। वर्ष 2010 में इस रोप वे को बनाने का कार्य टॉपवर्थ इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया। करार में इस रोप-वे को 70 करोड़ की लागत से पीपीपी मोड पर बनाने की सहमति बनाई। इसके लिए ग्रामीणों ने खरसाली में चार हेक्टेयर भूमि भी पर्यटन विभाग को दी थी।
संबंधित कंपनी ने इसके अलावा अन्य जमीन भी ली थी। इसके लिए वर्ष 2014 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अनापत्ति भी जारी कर दी। इस बीच आपदा के कारण यहां पर्यटकों की आवाजाही काफी कम हो गई। कंपनी ने भी इसका हवाला देते हुए इसके निर्माण में असमर्थता जाहिर की। वर्ष 2017 में इस कंपनी से करार समाप्त कर दिया गया। हालांकि, देयकों को लेकर सरकार और कंपनी के बीच अभी मामला कोर्ट में चल रहा है। इस बीच सरकार इस रोप वे को बनाने के लिए लगातार प्रयासरत रही।
अब इसे बनाने में आने वाली अड़चनें काफी हद तक दूर हो गई हैं। माना जा रहा है कि कंपनी के देयकों के संबंध में मामला जल्द ही कैबिनेट में भी लाया जा सकता है। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर का कहना है कि यमुनोत्री रोप-वे का निर्माण कार्य जल्द शुरू करने का प्रयास है। इसके लिए अगले कुछ माह में एक बार फिर टेंडर जारी कर दिए जाएंगे।