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दीपावली पर टिमटिमाएंगे आत्मनिर्भरता के दीये, यहां प्रतिदिन दो से ढाई हजार दीये तैयार कर रही महिलाएं

अमूमन गायों का दूध तथा अन्य डेयरी उत्पादों तक की सीमित माना जाता है। मगर यदि कोई सही इस्तेमाल करे तो गाय का दूध ही नहीं बल्कि गोबर और गोमूत्र भी बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकता है। अठूरवाला निवासी पुष्पा नेगी ने भिनव प्रयोग अपनी डेयरी में किया है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 31 Oct 2021 06:13 PM (IST)Updated: Sun, 31 Oct 2021 06:13 PM (IST)
दीपावली पर टिमटिमाएंगे आत्मनिर्भरता के दीये, यहां प्रतिदिन दो से ढाई हजार दीये तैयार कर रही महिलाएं
दीपावली के लिए गाय के गोबर से दीये तैयार करती महिलाएं।

महेंद्र चौहान, डोईवाला: अमूमन गायों का दूध तथा अन्य डेयरी उत्पादों तक की सीमित माना जाता है। मगर, यदि कोई सही इस्तेमाल करे तो गाय का दूध ही नहीं बल्कि गोबर और गोमूत्र भी बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकता है। अठूरवाला निवासी पुष्पा नेगी ने कुछ ऐसा ही अभिनव प्रयोग अपनी डेयरी में किया है। गायों के गोबर से वह सुंदर दीये और अन्य उत्पाद तैयार कर रही हैं, जिससे कई स्थानीय महिलाओं को भी घर बैठे रोजगार मिल रहा है।

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अठुरवाला डोईवाला निवासी पुष्पा नेगी अठुरवाला में ही डेयरी का संचालन करती हैं।

उन्होंने भी सिर्फ दूध व अन्य डेयरी उत्पादों के लिए यह शुरुआत की थी। दूध के अलावा गाय का गोबर और गोमूत्र का कोई खास उपयोग नहीं हो पाता था। मगर, पुष्पा ने इसका सही उपयोग करने का मन बनाया। कुछ महिलाओं को साथ लेकर गोबर से दीये, स्वास्तिक, ऊं चिह्न व अन्य उत्पाद तैयार करने शुरू किए। एकलव्य वेलफेयर सोसायटी अठुरवाला के नाम से महिला समूह का गठन कर पिछले तीन माह से गाय के गोबर में मुल्तानी मिट्टी को मिलाकर दीये तैयार कर रही हैं। समूह की 15 से 20 महिलाएं प्रतिदिन दो से ढाई हजार दीये तैयार कर रही हैं, जिन्हें रंगों से सजाकर और आकर्षक बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि पिछले कुछ समय से बाजार में मिट्टी के अलावा चीन निर्मित प्लास्टिक के दीयों का चलन भी बढ़ गया है। ऐसे में हम ग्राहकों को गाय के गोबर से बने स्वदेशी दीयों का विकल्प उपलब्ध करा रहे हैं। इस्तेमाल के बाद इन दीयों को खेत, किचन गार्डन और गमलों में डाल सकते हैं, जो जैविक खाद के रूप में मिट्टी को उपजाऊ करने का काम करेंगे। उन्होंने बताया कि गोबर से जैविक खाद तथा गोमूत्र से फिनाइल तथा अर्क बनाने का काम भी उनका समूह कर रहा है।

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बाजार में पसंद किए जा रहे गोबर के दीये

पूजा नेगी बताती हैं कि शुरुआत में जानकारी का अभाव व मार्केटिंग को लेकर परेशानी हुई। मगर, हिंदू जागरण मंच की टीम और इंटरनेट मीडिया ने इस काम में उनकी बड़ी मदद की। उन्होंने बताया कि आज उनके समूह द्वारा तैयार किए जा रहे दीयों को अच्छा बाजार मिल गया है। ऋषिकेश, हरिद्वार, कोटद्वार, देहरादून के साथ ही कई जगह से गोबर से बनाए दीयों की डिमांड है। उन्होंने बताया कि बाजार में गोबर से बने दीये ग्राहक भी खासा पसंद कर रहे हैं।

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