ये कैसी मानवता, बच्ची को एक बार दूध पिला मुकरी मां, पढ़िए पूरी खबर
महिला आयोग की अध्यक्ष ने जच्चा से अनुरोध किया कि मानवता के नाते वह बच्ची को दूध पिला दें। इस पर आरती ने बच्ची को दूध पिलाया। हालांकि दोबारा दूध पिलाने से इन्कार कर दिया।
देहरादून, जेएनएन। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी व सदस्य शारदा त्रिपाठी ने गुरुवार को दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के स्त्री एंव प्रसूति रोग विभाग (दून महिला अस्पताल) का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने बच्चा बदलने का आरोप लगाने वाली प्रसूता आरती व उसके पति उमेश से बात की। दंपती ने उनके सामने भी बच्चा बदले जाने की बात दोहराई। कहा कि अस्पताल स्टाफ ने सुबह उन्हें बताया कि लड़का हुआ है, जबकि शाम को लड़की बता दिया।
दंपती ने बच्चों की डीएनए जांच कराने व डॉक्टर व स्टाफ पर कार्रवाई की मांग भी की। वहीं, महिला आयोग की अध्यक्ष ने जच्चा से अनुरोध किया कि मानवता के नाते वह बच्ची को दूध पिला दें। क्योंकि उस मासूम का कोई कसूर नहीं है। इस पर आरती ने निक्कू वार्ड में जाकर बच्ची को दूध पिलाया। हालांकि, दोबारा दूध पिलाने से साफ इन्कार कर दिया। उसने कहा कि डीएनए टेस्ट के बाद ही वह अब बच्ची को स्वीकार करेंगी। दंपती से बात करने के बाद बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष व सदस्य ने लेबर रूम का निरीक्षण कर दोनों नवजात के कागजात भी जांचे।
उन्होंने कहा कि पुलिस को कहा जाएगा कि इस मामले में दर्ज तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर मजिस्ट्रेट से अनुमति लेकर बच्चों का डीएनए टेस्ट जल्द कराया जाए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। परिजन एक दिन पहले ही पुलिस को तहरीर दे चुके हैं।
निक्कू वार्ड में अव्यवस्था, इंफेक्शन का डर
अस्पताल पहुंची बाल अधिकारी संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने लेबर रूम व निक्कू वार्ड का निरीक्षण भी किया। इस दौरान वार्ड में गंदगी व अव्यवस्थाएं देख उन्होंने वहां पर तैनात स्टाफ को फटकार भी लगाई। अस्पताल में कुछ मरीजों व तीमारदारों ने उनसे शिकायत की कि अस्पताल के डॉक्टर व अन्य स्टाफ द्वारा उनके साथ बुरा वर्ताव किया जाता है। जिस पर उन्होंने अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ आदि को खरी-खोटी सुनाई। कहा कि निक्कू वार्ड में गंदगी पसरी हुई है। इससे इंफेक्शन का भी खतरा है। वह पहले जितनी भी बार अस्पताल का निरीक्षण करने आई हैं, हालात ऐसे ही दिखे। उन्होंने विभागाध्यक्ष डॉ. चित्रा जोशी को निर्देश दिए कि वह अपने स्तर से अस्पताल में तैनात स्टाफ को व्यवस्थाएं बनाने के लिए कहें। अगली बार इस तरह की लापरवाही मिलने पर वह सरकार को कार्रवाई के लिए पत्र लिखेंगी।
डीएनए टेस्ट तक डिस्चार्ज नहीं होंगे जच्चा-बच्चा
यह ममाला सुलझने के बजाय उलझता ही जा रहा है। स्थिति यह कि लड़के को आंचल देने के लिए दोनों महिलाएं तैयार हैं, जबकि लड़की को दूध तक नहीं पिलाया जा रहा है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन भी पसोपेश की स्थिति में है। अधिकारियों का कहना है कि मामला सवंदेनशील है, इसलिए जब तक बच्चों का डीएनए टेस्ट नहीं हो जाता, दोनों ही जच्चा-बच्चा डिस्चार्ज नहीं किए जाएंगे। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि इस संर्दभ में निर्देश दे दिए गए हैं। इधर, बच्चा बदलने का आरोप लगाने वाले दंपती ने अपने स्तर पर भी डीएनए जांच कराने की बात कही है। उनका कहना है कि अस्पताल की तरफ से कराई जाने वाली जांच पर उन्हें एतबार नहीं है।
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