सुबह बताया बेटा हुआ है, शाम को बेटी बता दिया; हंगामा
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चे को लेकर हंगामा हो गया। दरअसल अस्पताल में एक महिला को सुबह बताया गया कि उसे बेटा हुआ है। लेकिन फिर शाम में बेटी बता दिया गया।
देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के स्त्री और प्रसूति रोग विभाग (दून महिला अस्पताल) में एक अजब वाकया सामने आया। डोभालवाला निवासी महिला को सुबह बताया गया कि उन्हें बेटा हुआ है, जबकि शाम को बेटी बता दी। बेटा-बेटी के फेर में मामला ऐसा उलझा कि परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। हंगामा इतना बढ़ा कि लेबर रूम के स्टाफ ने अपने बचाव के लिए दरवाजा बंद कर लिया।
जानकारी के अनुसार, डोभालवाला निवासी उमेश शाह की पत्नी आरती (23 वर्ष) को प्रसव पीड़ा हुई थी। सोमवार को उन्हें दून महिला अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। बताया जा रहा है कि मंगलवार सुबह उन्होंने बच्चे को जन्म दिया। परिजनों का कहना है कि स्टाफ ने बताया कि उनका बेटा हुआ है। जिसकी स्थिति गंभीर होने की वजह से उसे आइसीयू में भर्ती किया गया है। जबकि शाम को महिला को बताया गया कि उनकी बेटी हुई है।
इसपर परिजन अस्पताल के स्टाफ पर भड़क गए। बच्चे को जन्म देने वाली महिला का भी कहना है कि सुबह के समय उन्हें बेटा होने की बात ही नहीं बताई गई, बल्कि लड़का दिखाया भी गया था। जबकि शाम को लड़की होने की बात कही गई। इस पर अस्पताल में परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। परिजनों ने स्टाफ पर बच्चा बदलने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं अस्पताल स्टाफ से किसी की मिलीभगत है। रात आठ बजे करीब अस्पताल में परिजनों का हंगामा बढ़ता देख अस्पताल में तैनात स्टाफ ने लेबर रूम का दरवाजा ही बंद कर लिया। मामले की सूचना मिलने पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा अस्पताल पहुंचे। जिस पर परिजनों ने उन्हें भी घेर लिया।
उधर, दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है। इसकी जानकारी मिलते ही चिकित्सा अधीक्षक को मौके पर भेज दिया था। बताया गया कि अस्पताल में एक ही नाम की दो महिलाओं का प्रसव हुआ था। इन दोनों का ही नाम आरती है। नाम एक होने से गफलत की स्थिति बनी। इनमें एक महिला ने लड़के को और दूसरी ने लड़की को जन्म दिया है।
बहरहाल, परिजन अस्पताल का यह तर्क मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने इसमें बड़ी साजिश बता, अस्पताल प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की बात कही है। चिकित्सा अधीक्षक डा. केके टम्टा का कहना है कि परिजनों से बात की जा रही है। अगर जरूरत पड़ी तो डीएनए जांच भी कराई जा सकती है।
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