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देशभर में तस्करी से अधिक मानव का निवाला बन रहे हैं वन्यजीव, पढ़िए पूरी खबर

देश में तस्करी के लिए जितनी संख्या में वन्यजीवों का शिकार किया जाता है उससे कहीं अधिक वन्यजीवों को भोजन के लिए लोग मार रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 28 Aug 2019 02:04 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 02:04 PM (IST)
देशभर में तस्करी से अधिक मानव का निवाला बन रहे हैं वन्यजीव, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, सुमन सेमवाल। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) की फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट में अब तक का सबसे अधिक चौंकाने वाला खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट को मंगलवार को वार्षिक शोध संगोष्ठी में साझा करते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके गुप्ता ने कहा कि देश में तस्करी के लिए जितनी संख्या में वन्यजीवों का शिकार किया जाता है, उससे कहीं अधिक वन्यजीवों को भोजन के लिए लोग मार रहे हैं। 

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डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि वर्ष 1995 में संस्थान में फोरेंसिक लैब की स्थापना की गई थी। तब से लेकर अब तक इस लैब में 3784 वन्यजीवों के अंगों की फोरेंसिक जांच की गई है। प्रकरणों के विश्लेषण के आधार पर स्पष्ट हुआ कि 60 फीसद से अधिक वन्यजीवों को स्थानीय लोगों ने शिकार के लिए मारा है। मारे गए वन्यजीवों में अधिकतर जंगली सुअर, सांबर, हिरन आदि शामिल रहे।

इसके अलावा बाघ, गुलदार और हाथी के शिकार के मामले में अंगों की तस्करी की बात सामने आई। डॉ. गुप्ता ने बताया कि वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते वर्ष (2018-19) में 285 प्रकरण फोरेंसिक जांच के लिए आए थे, जबकि इस वर्ष अब तक 346 प्रकरण जांच के लिए आ चुके हैं। इनमें भी ज्यादातर प्रकरण में वन्यजीवों को लोगों ने अपना निवाला बनाने के लिए मारा। 

 

अपराधियों को सजा दिलाने में अहम भूमिका 

डब्ल्यूआइआइ की फोरेंसिक लैब के प्रभारी डॉ. एसके गुप्ता के अनुसार फोरेंसिक जांच के आधार पर वन्यजीवों का शिकार करने वाले अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में मदद मिल रही है। यही कारण है कि अपराधियों की पहचान करने के लिए अंगों के सैंपल पुलिस, सीबीआइ से लेकर कई दफा कोर्ट से भी सीधे जांच को भेजे जाते हैं। 

वर्ष 2018-19 में भेजे गए सैंपल 

वन विभाग, 189 

न्यायालय, 39 

पुलिस,    35 

कस्टम्स,  12 

सीबीआइ, 03 

वन मंत्रालय, 02 

मणिपुर का हॉग डीयर दुनिया में विरला 

मणिपुर के लमजाओ नेशनल पार्क के जिन हॉग डीयर को पाकिस्तान और म्यांमार के हॉग डीयर का हिस्सा माना जाता था, उसे भारतीय वन्यजीव संस्थान की डीएनए जांच में विरला माना गया है। वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि मणिपुर का हॉग डियर पाकिस्तान आदि की प्रजाति से बिल्कुल अलग है। ऐसे में माना जा रहा है कि मणिपुर में ऐसे 100 के करीब डीयर दुनिया में एकमात्र भारत में ही हैं। 

ई-बर्ड रखेगी शिकारियों पर नजर 

देश के विभिन्न टाइगर रिजर्व में भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ), नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के सहयोग से ड्रोन से निगरानी करेगा। इस पूरे तंत्र को 'ई-बर्ड तकनीक' नाम दिया गया है। 

इस संबंध में शोधपत्र प्रस्तुत करते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के रमेश ने कहा कि शुरुआत में संस्थान ही ड्रोन से निगरानी करेगा और देखेगा कि बाघों के संरक्षण को शिकारियों पर किस तरह नजर रखी जानी है। इसके अलावा वन्यजीव आबादी क्षेत्रों में घुसपैठ न करें, इस बात की निगरानी भी की जाएगी। बाद में पूरी तकनीक को संबंधित वन विभाग के कार्यालयों को सौंप दिया जाएगा। 

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वन्यजीवों की दशा-दिशा पर 45 शोध किए साझा 

भारतीय वन्यजीव संस्थान में आयोजित 33वीं वार्षिक शोध संगोष्ठी में वन्यजीवों की दशा-दिशा बताते 45 शोध कार्यों को साझा किया गया। साथ ही उत्कृष्ट शोध कार्यों पर पुरस्कार भी दिए गए। अब बुधवार को संगोष्ठी के तीसरे दिन आंतरिक बैठक का आयोजन किया जाएगा। 

मंगलवार को भी शोधार्थियों व वैज्ञानिकों ने विभिन्न शोध कार्य प्रस्तुत किए। अंतिम सत्र में निदेशक डॉ. वीबी माथुर ने संगोष्ठी को लेकर विचार व्यक्त करते हुए निरंतर शोध करने का आह्वान भी किया। इस अवसर पर अलग-अलग विषयों पर मौखिक प्रस्तुतीकरण, पोस्टर प्रस्तुतीकरण, फोटो प्रतियोगिता, फील्ड गतिविधि आदि में वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को पुरस्कृत किया गया। 

इन्हें मिला प्रथम पुरस्कार 

वार्षिक शोध संगोष्ठी 

मौखिक प्रस्तुतिकरण, सीस्ता घोष। 

एमएससी वर्ग, सयंती बासक। 

पोस्टर प्रस्तुतीकरण, एजाज हुसैन। 

आंतरिक वार्षिक सेमीनार 

मौखिक प्रस्तुतीकरण, एन लक्ष्मीनारायणन 

पोस्टर प्रस्तुतीकरण, नवीन कुमार दास 

हिमालयन रिसर्च सेमीनार 

मौखिक प्रस्तुतीकरण, आशना शर्मा 

पोस्टर प्रस्तुतीकरण, निधि सिंह और शिव यादव 

जैवविविधता और गंगा संरक्षण सेमीनार 

मौखिक प्रस्तुतीकरण, संगीता अंगोम 

पोस्टर प्रस्तुतीकरण, दीपिका डोगरा। 

संकटग्रस्त प्रजाति संरक्षण कार्यक्रम 

मौखिक प्रस्तुतीकरण, समीहा पठान 

पोस्टर प्रस्तुतीकरण, सुमित प्रजापत। 

फोटो प्रतियोगिता 

फ्लोरा एंड फॉना, पल्लवी घस्काबडी 

फील्ड गतिविधि, पल्लवी घस्काबडी 

नॉन थीम कैटेगरी 

उपमन्यु चक्रवर्ती 

कैमरा ट्रैप 

गौरव सोनकर 

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