भारतीय वन्यजीव संस्थान के बजट में हर वर्ष होगी 25 फीसद की कटौती
वन्यजीव और जैवविविधता संरक्षण के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले चोटी के संस्थान भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) को जारी होने वाले बजट से केंद्र सरकार ने हाथ खींचने का मन बनाया है। तय किया गया है कि संस्थान के बजट में हर साल 25 फीसद की कटौती की जाएगी।
देहरादून, सुमन सेमवाल। वन्यजीव और जैवविविधता संरक्षण के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले चोटी के संस्थान भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) को जारी होने वाले बजट से केंद्र सरकार ने हाथ खींचने का मन बनाया है। तय किया गया है कि संस्थान के बजट में हर साल 25 फीसद की कटौती की जाएगी। इस तरह तीन से चार साल में केंद्र सरकार की मदद पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। इस आशय का पत्र भी वित्त मंत्रालय ने डब्ल्यूआइआइ को भेज दिया है। पत्र मिलते ही संस्थान के अधिकारी सकते में हैं। हालांकि, इसी तरह का निर्णय केंद्र के कुछ अन्य संस्थानों को लेकर भी लिया गया है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान की स्थापना वर्ष 1982 में की गई थी। स्थापना के बाद से ही यह संस्थान अपने अनुसंधान के बूते ख्याति प्राप्त करता रहा और आज विश्वभर में इसकी अलग पहचान है। वन्यजीवों पर अनुसंधान की बात आती है तो पहला नाम डब्ल्यूआइआइ का ही लिया जाता है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन काम करने वाले इस संस्थान को पिछले चार साल में हर वर्ष 26 से लेकर 34 करोड़ रुपये का बजट मिलता रहा है। हालांकि, अब केंद्र सरकार ने इस वित्तीय मदद को धीरे-धीरे कर बंद करने का निर्णय ले लिया है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग से जारी पत्र के मुताबिक संस्थान तमाम तरह के शैक्षिक पाठ्यक्रम भी संचालित करता है और इसे अब डीम्ड यूनिवॢसटी के रूप में पूरी तरह स्ववित्तपोषित हो जाना चाहिए, ताकि संस्थान को केंद्र के भरोसे न रहना पड़े।
भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ. धनंजय मोहन का कहना है कि मंत्रालय का पत्र एक दिन पूर्व ही प्राप्त हुआ है। केंद्र सरकार का यह निर्णय हमारे लिए भी हैरतभरा है। इसमें संस्थान के लिए डिसइंगेजमेंट शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द हमारे लिए नया है। इसके और क्या-क्या मायने हो सकते हैं और बजट को लेकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से बात की जा रही है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान कर्मचारी यूनियन के सचिव पीएस धमांदा ने बताया कि संस्थान ने अपने बूते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग मुकाम हासिल किया है। सरकार को शोध कार्यों के रूप में भरपूर सहयोग किया है। ऐसे में यह फैसला समझ से परे है। सभी कर्मचारी मांग करते हैं कि केंद्र सरकार इस निर्णय को वापस ले। अन्यथा कमर्चारी आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
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आइसीएफआरई और जीबी पंत को राहत
वित्त मंत्रालय के पत्र में देहरादून स्थित भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) व अल्मोड़ा के जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट को राहत दी गई है। तय किया गया है कि दोनों के लिए बजट जारी रहेगा। आइसीएफआरई को केंद्र सरकार ने बीते चार साल में प्रति वर्ष 171 से 230 करोड़ और जीबी पंत को 19 से लेकर 28 करोड़ रुपये जारी किए थे।