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Water Crisis in Uttarakhand: फिर हलक तर करेंगे सूख चुके 311 हैंडपंप, पहाड़ों में हुई वर्षा के पानी से इस तरह किया जाएगा रिचार्ज

Water Crisis in Uttarakhand अब जल संस्थान ने पहाड़ को इस समस्या से निजात दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके लिए संस्थान की योजना पर्वतीय क्षेत्रों में सूख चुके 311 हैंडपंप को फिर से रीचार्ज करने की है। विभाग का दावा है कि सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो अधिकांश हैंडपंप इसी वर्षाकाल में फिर से पानी देने लगेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra Published: Sat, 11 May 2024 09:21 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2024 09:21 AM (IST)
Water Crisis in Uttarakhand: जल संरक्षण के साथ ही बढ़ेगा भूमिगत जल का स्तर

तुहिन शर्मा, जागरण देहरादून: Water Crisis in Uttarakhand: गर्मी के मौसम में प्रदेश में उत्पन्न होने वाला पेयजल संकट किसी से छिपा नहीं है। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में जलस्रोत सूखने से लोगों को पानी के लिए कई किमी दौड़ लगानी पड़ती है।

अब जल संस्थान ने पहाड़ को इस समस्या से निजात दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके लिए संस्थान की योजना पर्वतीय क्षेत्रों में सूख चुके 311 हैंडपंप को फिर से रीचार्ज करने की है। इसके तहत पहाड़ों से वर्षा के पानी को पीवीसी पाइप के जरिये हैंडपंप तक लाकर जमीन के नीचे पहुंचाया जाएगा, जिससे भूजल का स्तर बढ़ सके। इससे जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

4.67 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान

विभाग का दावा है कि सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो अधिकांश हैंडपंप इसी वर्षाकाल में फिर से पानी देने लगेंगे। इसमें लगभग 4.67 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

जल संस्थान ने करीब 10 वर्ष पहले प्रदेश के विभिन्न पर्वतीय जिलों में 10,094 हैंडपंप लगाए थे। लेकिन, भूजल का स्तर गिरने से हैंडपंप भी सूखते चले गए। वर्तमान में 311 हैंडपंप सूखे पड़े हैं। इनमें सर्वाधिक 89 हैंडपंप पौड़ी जिले के कोटद्वार में हैं।

जब इन हैंडपंप से पानी निकलना बंद हो गया तो विभाग ने अधिकांश से मशीन निकाल उसका प्रयोग अन्य जगहों पर करना शुरू कर दिया। हैंडपंप सूखने से स्थानीय लोगों को गर्मी के मौसम में भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। इस बार भी यह क्रम शुरू हो गया है। इसी को देखते हुए जल संस्थान ने इन हैंडपंप को फिर से रीचार्ज करने की योजना बनाई है।

विभाग का अनुमान है कि इस प्रक्रिया में एक हैंडपंप पर करीब 1.5 लाख रुपये खर्च होंगे। इसी अनुसार परियोजना का बजट तैयार कर जल्द ही शासन को भेजा जाएगा और वहां से धनराशि मिलने के बाद कार्य शुरू हो जाएगा।

ऐसे किया जाएगा रीचार्ज

विभाग के मुताबिक, सूख चुके हैंडपंप के समीप एक गड्ढा खोद कर उसमें जाली बिछाई जाएगी। इसके बाद पहाड़ों से पीवीसी पाइप के माध्यम से वर्षा के पानी को हैंडपंप के समीप लाकर उक्त गड्ढे के माध्यम से जमीन के अंदर प्रवेश कराया जाएगा।

अगले वर्षाकाल में शुरू हो पाएंगे कुछ हैंडपंप

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कुछ हैंडपंप का भूजल स्तर काफी कम है। इसे बढ़ाने के लिए इस वर्षाकाल के साथ ही अगले वर्ष होने वाली वर्षा के पानी को भी एकत्र करना पड़ सकता है।

सूखे 42 नौलों में भी पानी की उम्मीद

पहाड़ी क्षेत्रों में भूजल स्तर कम होने से 42 नौले भी सूख चुके हैं। इस परियोजना से भूजल बढ़ेगा तो सूखे नौलों में भी फिर से पानी आने की उम्मीद है।

पहाड़ी क्षेत्रों में सूख चुके हैंडपंपों को रीचार्ज करने के लिए योजना तैयार है। शासन से अनुमति मिलते ही इसके लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जाएगा। उम्मीद है कि अधिकांश हैंडपंप इस वर्षाकाल में शुरू हो जाएंगे।

-धर्मेंद्र कुमार सिंह, महाप्रबंधक, जल संस्थान, देहरादून

जल संस्थान की शाखावार हैंडपंप की स्थिति

  • शाखा, स्थापित हैंडपंप, सूखे हैंडपंप
  • पौड़ी, 979, 15
  • कोटद्वार, 785, 89
  • चमोली, 297, 24
  • कर्णप्रयाग, 357, 0
  • रुद्रप्रयाग, 499, 8
  • नई टिहरी, 799, 12
  • देवप्रयाग, 490, 0
  • घनसाली, 194, 1
  • उत्तरकाशी, 485, 0
  • पुरोला, 371, 4
  • नैनीताल, 428, 6
  • हल्द्वानी, 184, 0
  • लालकुआं, 309, 4
  • रामनगर, 467, 20
  • अल्मोड़ा, 606, 8
  • रानीखेत, 632, 15
  • पिथौरागढ़, 500, 32
  • डीडीहाट, 380, 37
  • चंपावत, 780, 16
  • बागेश्वर, 552, 20

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