मंदी के बीच उत्तराखंड का राजस्व नौ फीसद बढ़ा, केंद्र का हिस्सा और ऊपर चढ़ा
राज्य में किए गए कारोबार में सुधार हुआ है। यही वजह रही कि वित्तीय वर्ष 2018-19 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2019-20 में अप्रैल से अगस्त के बीच जीएसटी संग्रह बेहतर स्थिति में रहा।
देहरादून, सुमन सेमवाल। मंदी की हवा के बीच उत्तराखंड में किए गए कारोबार में सुधार हुआ है। यही वजह रही कि वित्तीय वर्ष 2018-19 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2019-20 में अप्रैल से अगस्त के बीच जीएसटी संग्रह बेहतर स्थिति में रहा। बीते पांच माह में स्टेट जीएसटी (एसजीएसटी) की दर 9.14 फीसद अधिक रही। इसी कारोबार का नतीजा है कि केंद्र को मिलने वाले हिस्से (सीजीएसटी) में और भी अधिक 12.79 फीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
राजस्व सुधार के ये आंकड़े बयां करते हैं कि उत्तराखंड में माल की खपत में इजाफा हुआ है। उत्तराखंड के भीतर किए जाने वाले कारोबार पर जो भी जीएसटी लगता है, उसका 50 फीसद हिस्सा राज्य को मिलता है और 50 फीसद हिस्सा सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी) के रूप में केंद्र को मिलता है। लिहाजा, राजस्व के इस हिस्से में भी सुधार दर्ज किया गया है। हालांकि, उत्तराखंड में किए गए कारोबार से इतर जो माल दूसरे राज्यों को भेजा जाता है, उसमें जरूर कमी आई है। इसी वजह से इंटीग्रेटेड जीएसटी (आइजीएसटी) संग्रह में 9.52 फीसद की कमी दर्ज की गई। यह बात और है कि इस तरह के कारोबार का उत्तराखंड के राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ता है।
राज्य में बिके माल के राजस्व की स्थिति
स्टेट जीएसटी
माह, वर्ष 2018-19, 2019-20
अप्रैल, 351.16, 367.83
मई, 299.25, 343.63
जून, 305.53, 345.19
जुलाई, 317.45, 337.38
अगस्त, 293.57, 316.23
कुल, 1566.96, 1710.26
सेंट्रल जीएसटी
माह, वर्ष 2018-19, 2019-20
अप्रैल, 210.42, 217.10
मई, 158.58, 191.54
जून, 161.38, 188.36
जुलाई, 178.32, 192.25
अगस्त, 157.46, 187.71
कुल, 866.16, 976.96
254 करोड़ रुपये बढ़ा राजस्व
जिस माल की खपत उत्तराखंड में हुई, उस पर वसूल किए गए राजस्व में 254.1 करोड़ रुपये का इजाफा दर्ज किया गया है। इसमें स्टेट जीएसटी में 143.3 करोड़ रुपये, जबकि सीजीएसटी में 110.8 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई। यह आंकड़े बीते वित्तीय वर्ष व वर्तमान वित्तीय वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच के हैं। स्पष्ट है कि इन पांच माह में जितना माल बीते साल उत्तराखंड में खपा, उससे कहीं अधिक खपत इस साल की गई। यह स्थिति बताती है कि मंदी का उत्तराखंड के लोगों की क्रयशक्ति पर कोई असर देखने को नहीं मिला।
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