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उत्तराखंड में सियासी उठापटक की एक बड़ी वजह टिकट की गारंटी भी, भाजपा नेतृत्व से यही चाहते हैं असंतुष्ट

Uttarakhand Politics विधानसभा चुनाव से पहले चल रही सियासी उठापठक में एक बड़ी वजह टिकट की गारंटी भी मानी जा रही है। भाजपा के नजरिये से देखें तो आगामी चुनाव में कुछ विधायकों के टिकट कटने तय माने जा रहे हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 07:10 AM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 07:10 AM (IST)
उत्तराखंड में सियासी उठापटक की एक बड़ी वजह टिकट की गारंटी भी, भाजपा नेतृत्व से यही चाहते हैं असंतुष्ट
उत्तराखंड में सियासी उठापटक की एक बड़ी वजह टिकट की गारंटी भी।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Politics अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले चल रही सियासी उठापठक में एक बड़ी वजह टिकट की गारंटी भी मानी जा रही है। भाजपा के नजरिये से देखें तो आगामी चुनाव में कुछ विधायकों के टिकट कटने तय माने जा रहे हैं। इनमें भाजपा के साथ ही कांग्रेसी पृष्ठभूमि के विधायक भी शामिल हैं। इससे सशंकित जिन विधायकों और नेताओं के नाम दूसरे खेमों में जाने को लेकर चर्चा में हैं, वे पार्टी नेतृत्व से टिकट या फिर सत्ता में आने पर मंत्री पद चाहते हैं। माना जा रहा कि इस सबके मद्देनजर ही वे जोड़-तोड़ की कोशिशों में जुटे हैं।

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दरअसल, उत्तराखंड बनने के बाद से सत्ता के मामले में मिथक भी बना हुआ है। वह है हर पांच साल बाद सत्ता में बदलाव। अब तक के परिदृश्य को देखें तो भाजपा व कांग्रेस यहां बारी-बारी राज करते आए हैं। पिछली बार प्रचंड बहुमत से सत्तासीन हुई भाजपा इस मर्तबा यह मिथक तोड़ने की तैयारी में है। ऐसे में कसौटी पर खरा न उतर पाने वाले विधायकों के टिकट कटना तय माना जा रहा है। ऐसे विधायकों की संख्या डेढ़ दर्जन के आसपास बताई जा रही है। जाहिर है कि चुनाव में फिर से प्रचंड बहुमत हासिल करने के मद्देनजर पार्टी कुछ नए चेहरों पर दांव खेलेगी और इसके लिए पुरानों के टिकट कटेंगे ही।

इसी साल अगस्त में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तराखंड दौरे के दौरान भी यह बात साफ हुई थी। हालांकि, पार्टी की ओर से बेहतर प्रदर्शन न कर पाने वाले विधायकों को स्वयं को साबित करने का मौका भी दिया गया है। बावजूद इसके सशंकित विधायकों व नेताओं के मन में किंतु-परंतु के बादल भी घुमड़ रहे हैं। वर्तमान में चल रही उठापठक को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

सशंकित विधायक व नेता भाजपा से आगामी चुनाव में कम से कम टिकट की गारंटी अवश्य चाहते हैं। इनमें से कुछ सत्ता में आने पर अभी से मंत्री पद का आश्वासन भी चाहते हैं। यही कारण भी है कि चुनाव से पहले पालाबदल का राजनीतिक दांव खेलने अथवा इस बारे में दबाव बनाने से भी वे गुरेज नहीं कर रहे। अब देखने वाली बात ये होगी कि पार्टी नेतृत्व इस चुनौती से किस तरह निबटता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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