Uttarakhand Political Crisis: जानें- त्रिवेंद्र के बाद अब कौन हो सकता है नया सीएम, ये हैं रेस में सबसे आगे
Uttarakhand Political Crisis उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मची हुई है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत शाम चार बजे इस्तीफा दे सकते हैं। ऐसे में अब सवाल यही उठ रहा है कि उत्तराखंड का नया सीएम कौन होगा? नए सीएम की रेस में पांच नाम सबसे आगे चल रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Political Crisis उत्तराखंड की भाजपा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन का मसला तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे से हल हो गया, मगर अब यक्ष प्रश्न यह है कि अगले 10 महीनों के लिए कौन यह कांटो भरा ताज पहनेगा। खासकर, नए मुख्यमंत्री को विधानसभा चुनाव में पार्टी के पिछले प्रदर्शन की कसौटी पर परखा जाना तय है और 70 में से 57 से ज्यादा सीटों पर परचम फहराना कोई आसान लक्ष्य नहीं।
ऐसे में भाजपा नेतृत्व किस पर भरोसा जताता है, सबकी नजरें इस पर टिकी हुई हैं। हालांकि विधानमंडल दल की बैठक से ठीक पहले सियासी गलियारों में चार नाम चर्चा में हैं। इनमें से त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का जिम्मा संभालने वाले धन सिंह रावत व नैनीताल सांसद अजय भट्ट मुख्य हैं। यह बात दीगर है कि इन चार नामों से इतर कोई अन्य भी बाजी मारने में कामयाब हो जाए।
रमेश पोखरियाल निशंक: अविभाजित उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रहे निशंक अभी केंद्र की मोदी सरकार में शिक्षा मंत्री हैं। उत्तराखंड में स्वामी और कोश्यारी सरकार में भी कैबिनेट के सदस्य रहे निशंक वर्ष 2009 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। वह लगभग सवा दो साल तक इस पद पर रहे। इसके बाद वह लगातार दो बार हरिद्वार सीट से लोकसभा पहुंचे। वरिष्ठता और राजनीतिक योग्यता, दोनों पैमानों पर वह पूरी तरह खरे उतरते हैं।
अजय भट्ट: नैनीताल से सांसद भट्ट उत्तराखंड की पहली अंतरिम सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष पद का दो बार जिम्मा संभाल चुके होने के कारण उन्हें संगठन का भी व्यापक अनुभव है। उनकी छवि तेजतर्रार राजनेता की रही है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी वह निभा चुके हैं। भट्ट इससे पहले भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शुमार रहे हैं। हालांकि अलग-अलग कारणों से वह मौका चूक गए।
सतपाल महाराज: उत्तराखंड के अलग राज्य बनने से पहले केंद्र में मंत्री रह चुके सतपाल महाराज भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं। पौड़ी गढ़वाल सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके महाराज आध्यात्मिक गुरु हैं और सामाजिक क्षेत्र में भी खासे सक्रिय रहते हैं। वर्ष 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद इनका नाम भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में रहा। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में इन्हें पर्यटन, संस्कृति, सिंचाई विभागों का जिम्मा दिया गया।
धन सिंह रावत: त्रिवेंद्र सरकार में बतौर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उच्च शिक्षा, सहकारिता, दुग्ध विकास महकमों का जिम्मा संभालने वाले धन सिंह रावत छात्र जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे। भाजपा में प्रदेश महामंत्री (संगठन) जैसा अहम दायित्व वह संभाल चुके हैं। इन्हें चुनावी कौशल में दक्ष माना जाता है। सहज, सरल स्वभाव के कारण जनता पर इनकी पकड़ बेहतर समझी जाती है।
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