आज खुलेगा प्रदेश का पहला बाल थाना, मुख्यमंत्री करेंगे उद्घाटन
प्रदेश का पहला बाल थाना डालनवाला कोतवाली में शुक्रवार से शुरू होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत थाने का उद्घाटन करेंगे। एसएसपी डॉ. वाइएस रावत ने बताया कि पूरे प्रदेश में बाल थाना खोले जा रहे हैं और इसकी शुरुआत डालनवाला कोतवाली से हो रही है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदेश का पहला बाल थाना डालनवाला कोतवाली में शुक्रवार से शुरू होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत थाने का उद्घाटन करेंगे। एसएसपी डॉ. वाइएस रावत ने बताया कि पूरे प्रदेश में बाल थाना खोले जा रहे हैं और इसकी शुरुआत डालनवाला कोतवाली से हो रही है।
यदि किसी अपराध में कोई बच्चा पकड़ा जाता है तो उसे बाल थाने में रखा जाएगा। यह अवधि एक दिन से ज्यादा नहीं होगी। बाल थाने में घर जैसा माहौल देने का प्रयास किया जाएगा। थाने में खेलने, पढऩे आदि की सुविधा मिलेगी। वहां पर एक बाल अधिकारी को भी तैनात किया जाएगा, जोकि बच्चों का ध्यान रखेगी। इस व्यवस्था का मकसद बाल अपराधियों को सुधारना है। देहरादून के डानलवाला स्थित थाना के पास बालमित्र पुलिस थाना बनकर तैयार हो चुका है। यहां अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले और गुमशुदा नाबालिगों को विशेष काउंसलिंग कराई जाएगी। साथ ही उन्हें बेहतर माहौल देने के लिए कक्ष की दीवारों पर कार्टून और परिसर में खेल के सामान भी रखे गए हैं।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की देखरेख में डालनवाला थाना के पास तकरीबन पांच लाख रुपये की लागत से बाल मित्र थाना बनाया गया है। जो बीते दिसंबर तक बनकर तैयार हो चुका है। थाना का उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों नववर्ष के प्रथम सप्ताह में होना था, लेकिन बीते दिनों उनके अस्वस्थ के चलते उद्घाटन नहीं हो सकता। ऐसे में शुक्रवार को थाने का उद्घाटन होगा। इस परिसर में छोटे अपराधों या बाल श्रम जैसे अन्य मामलों में पकड़े गए बच्चों को काउंसलिंग दी जाएगी।
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बच्चे पुलिस से न डरें इसलिए बाल थाना में जाने के लिए अलग गेट और उनके लिए एक स्पेशल कमरा बनाया गया है। इस अलग कमरे में खिलौनों के साथ कॉमिक बुक्स और दीवारों पर डोरेमोन, छोटा भीम, मोगली से लेकर समेत कई कार्टून बनाए गए हैं। इसके साथ ही बच्चे के रहने के लिए दो बेड की व्यवस्था की गई है। यहां एक ऐसा माहौल बनाया गया है, जिससे कोई बच्चा पुलिस के साथ बातचीत करते समय असहज या किसी तरह का डर महसूस न करे। पुलिस भी सादी वर्दी में बच्चे के साथ रहेगी और जरूरत पड़ने पर आयोग, वन स्टॉप सेंटर और अस्पतालों से काउंसलर यहां बच्चों की काउंसलिंग भी करेंगे।
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