कोटद्वार में भाजपा ने खेला भावनात्मक कार्ड, पूर्व सीएम की बेटी को मैदान में उतारने का यूं ही नहीं लिया जोखिम
Uttarakhand Election 2022 पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री एवं वर्तमान में यमकेश्वर से विधायक ऋतु खंडूड़ी को मैदान में उतारने का जोखिम यूं ही नहीं लिया है। इसके पीछे पार्टी की मंशा भावनात्मक कार्ड खेलने की है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Vidhan Sabha Election 2022 भाजपा ने विधानसभा की कोटद्वार सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री एवं वर्तमान में यमकेश्वर से विधायक ऋतु खंडूड़ी को मैदान में उतारने का जोखिम यूं ही नहीं लिया है। इसके पीछे पार्टी की मंशा भावनात्मक कार्ड खेलने की है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी इस सीट से हार गए थे और इसी वजह से तब भाजपा की सरकार नहीं बन पाई थी। पार्टी मानकर चल रही है कि खंडूड़ी को हराने का मलाल कोटद्वार क्षेत्र की जनता को आज भी है। ऐसे में इस बार वह खंडूड़ी की पुत्री ऋतु को विजयी बनाकर अपनी भूल सुधार सकती है। माना जा रहा कि चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी यह विषय प्रमुखता से उठाकर भावनात्मक कार्ड खेल सकती है।
यमकेश्वर से विधायक ऋतु खंडूड़ी वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। पार्टी ने जब 20 जनवरी को 59 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की तो उसमें विधायक खंडूड़ी का टिकट काटकर पूर्व ब्लाक प्रमुख रेणु बिष्ट को दे दिया गया था। इससे महिला मोर्चा में असंतोष के सुर भी उभरे। ये बात भी उभरी कि पार्टी ने जब प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की तो उससे एक दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुईं महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रहीं सरिता आर्य को नैनीताल से टिकट भी दे दिया। इसके उलट अपने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष का टिकट काट दिया। इस सबको देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने मंथन किया और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के परिवार से अन्य किसी को टिकट न दिए जाने के मद्देनजर ऋतु खंडूड़ी के लिए बची हुई 11 सीटों में से किसी एक पर टिकट देने का निश्चय किया।
पार्टी ने तमाम समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ऋतु खंडूड़ी को कोटद्वार से प्रत्याशी बनाया। यद्यपि, ऋतु कोटद्वार क्षेत्र में सक्रिय नहीं रही हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी का नाम यहां की जबान पर पहले से है। उन्हें प्रत्याशी बनाने के पीछे पार्टी ने एक प्रकार से भावनात्मक कार्ड खेला है। वर्ष 2012 के चुनाव में इस सीट का चुनाव परिणाम पार्टी के पक्ष में न रहने से तब भाजपा की सरकार नहीं बन पाई थी।
वजह ये रही कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी यहां से चुनाव हार गए थे। अब खंडूड़ी की विरासत को पार्टी ने इस चुनाव में भुनाने की ठानी है। उनकी पुत्री को प्रत्याशी बनाने के पीछे ये भी बड़ा कारण माना जा रहा है। अब पार्टी इसमें कितना सफल हो पाती है, यह देखने वाली बात होगी। जातीय समीकरणों के हिसाब से देखें तो कोटद्वार समेत छह विधानसभा सीटों वाले पौड़ी जिले में भाजपा ने किसी भी ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया था। अब उसने कोटद्वार में ऋतु खंडूड़ी को टिकट देकर इस समीकरण को भी साधने का प्रयास किया है।
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