Uttarakhand Crime News:पूर्व आयकर आयुक्त ने हरिद्वार जेल में किया सरेंडर, हाईकोर्ट ने बरकार रखी सजा, सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत
आय से अधिक संपत्ति के मामले में स्पेशल जज प्रिवेंशन आफ करप्शन (सीबीआइ) देहरादून ने 13 फरवरी 2019 को श्वेताभ सुमन को सात साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उसे देहरादून की सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया था।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: रिश्वत लेने और आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार पूर्व आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन ने सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर सरेंडर कर दिया है। दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने श्वेताभ को सीबीआइ कोर्ट से हुई पूर्व की सजा को कायम रखते हुए हिरासत में लेने के आदेश दिए थे। इस पर श्वेता सुमन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) दाखिल की। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट से भी श्वेताभ सुमन को राहत नहीं मिली। चूंकि, देहरादून से 2019 में श्वेताभ सुमन को हरिद्वार जेल शिफ्ट किया गया था, इसलिए मोहलत खत्म होने पर श्वेताभ सुमन ने रविवार को जिला कारागार रोशनाबाद पहुंचकर सरेंडर किया है।
आय से अधिक संपत्ति के मामले में स्पेशल जज प्रिवेंशन आफ करप्शन (सीबीआइ) देहरादून ने 13 फरवरी 2019 को श्वेताभ सुमन को सात साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उसे देहरादून की सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया था। वहीं, जेल में मोबाइल पकड़े जाने के बाद 2019 में ही पूर्व आइआरएस अधिकारी श्वेताभ सुमन को हरिद्वार जेल शिफ्ट किया गया था। सजा के खिलाफ श्वेताभ सुमन ने नैनीताल हाइकोर्ट में अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने अपील का निस्तारण होने तक श्वेताभ सुमन को अंतरिम जमानत दे दी।
इसके बाद उसे हरिद्वार जेल से रिहा कर दिया गया था। इस बीच पांच मार्च 2022 को नैनीताल हाईकोर्ट ने श्वेताभ सुमन की पूर्व की सजा बहाल करते हुए बेल बांड खारिज कर दी। साथ ही उसे हिरासत में लेने के आदेश दिए। इस आदेश के खिलाफ श्वेताभ सुमन ने फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन 22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने श्वेताभ की स्पेशल लीव पिटीशन खारिज कर दी। इतना ही नहीं, 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सात दिन के भीतर सरेंडर करने के आदेश दिए थे।
सरेंडर के अलावा कोई रास्ता नहीं बचने पर आखिरकार श्वेताभ सुमन ने जिला कारागार रोशनाबाद पहुंचकर सरेंडर कर दिया। जिला कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक मनोज कुमार आर्य ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि श्वेताभ सुमन सजायाफ्ता कैदी है। अंतरिम जमानत निरस्त होने पर उसने जेल पहुंचकर सरेंडर किया है।
इसलिए किया जेल में सरेंडर
थाने में एफआइआर होने या कोर्ट में मुकदमा विचाराधीन होने के दौरान कोई भी आरोपित अमूमन कोर्ट में ही सरेंडर करता है। लेकिन, यहां ऐसा नहीं हुआ। चूंकि श्वेताभ सुमन को कोर्ट सजा सुना चुका है और उससे जुड़ा कोई मामला भी कहीं विचाराधीन नहीं है, इसलिए श्वेताभ सुमन ने सीधे रोशनाबाद जेल पहुंचकर सरेंडर कर दिया।
जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) इंद्रपाल बेदी के अनुसार, कोर्ट से सजा होने के बाद कोई भी अपराधी राज्य सरकार के अधीन हो जाता है। कोर्ट से सीधे तौर पर उसका कोई संबंध नहीं रह जाता। वहीं, जिला कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक मनोज कुमार आर्य ने बताया कि सजा होने के चलते जेल में श्वेताभ सुमन के अपराध सिद्ध वारंट थे, इसलिए उसने जेल पहुंचकर सरेंडर किया है। सरेंडर करने की जानकारी न्यायालय को भेज दी गई है।
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