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Uttarakhand Election: सैन्य वोटरों को लुभाने में जुटे सभी दल, जिस तरफ झुके, उसका पलड़ा भारी; आंकड़ों पर डालें नजर

Uttarakhand Assembly Election 2022 प्रदेश के सैनिकों ने अपनी उपस्थिति का अहसास कराया है। सैनिक बहुल प्रदेश में जिस पार्टी की ओर सैन्य वोटर झुक जाए उसका पलड़ा हमेशा भारी रहता है। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल सैन्य वोटरों को पूरी तवज्जो देते हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 07:58 AM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 07:58 AM (IST)
Uttarakhand Election: सैन्य वोटरों को लुभाने में जुटे सभी दल, जिस तरफ झुके, उसका पलड़ा भारी; आंकड़ों पर डालें नजर
Uttarakhand Election: सैन्य वोटरों को लुभाने में जुटे सभी दल।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Election 2022 उत्तराखंड में सैनिक हमेशा से ही अहम भूमिका में रहे हैं। चाहे बात सीमा पर दुश्मनों से मुकाबले की हो या फिर चुनावी रण की, हर जगह प्रदेश के सैनिकों ने अपनी उपस्थिति का अहसास कराया है। सैनिक बहुल प्रदेश में जिस पार्टी की ओर सैन्य वोटर झुक जाए, उसका पलड़ा हमेशा भारी रहता है। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल सैन्य वोटरों को पूरी तवज्जो देते हैं। अब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो सभी राजनीतिक दल इन वोटरों को लुभाने में जुट गए हैं। कहीं सैनिकों के सम्मान में यात्रा निकल रही है, तो कहीं सम्मेलन किए जा रहे हैं। हर कोई खुद को सैनिकों का सबसे बड़ा हितैषी प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा है। 

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उत्तराखंड में तकरीबन हर परिवार से एक व्यक्ति सेना में है। प्रदेश के कुल मतदाताओं के लगभग 12 फीसद मतदाता सैन्य परिवारों से हैं। प्रदेश में सैनिक और पूर्व सैनिकों की संख्या 2.67 लाख है। यह कुल वोटरों का लगभग 3.30 प्रतिशत है, लेकिन इनमें यदि इनके स्वजन को शामिल कर दिया जाए तो यह मत प्रतिशत बढ़कर लगभग 12 तक पहुंच जाता है। ऐसे में सभी दलों की नजर सैन्य मतदाताओं पर रहती है। विशेष रूप से कई पर्वतीय सीटों पर ये वोटर सीधे असर डालते हैं। यही कारण है कि प्रदेश में आने वाली सरकारें सैनिकों के कल्याण के लिए कुछ न कुछ कदम जरूर उठाती हैं।

पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में भी सैनिक कल्याण की योजनाएं शामिल रहती हैं। यहां तक कि सैन्य पृष्ठभूमि के वोटरों को लुभाने के लिए तकरीबन हर बड़े दल में पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ गठित है। भाजपा व कांग्रेस में तो बड़े पूर्व सैन्य अधिकारी पार्टी व सरकार में अहम पदों को सुशोभित रहे हैं। इस बार प्रदेश में पुरजोर तरीके से ताल ठोकने वाली आम आदमी पार्टी ने तो अपने मुख्यमंत्री पद का चेहरा ही पूर्व सैनिक अधिकारी को ही बनाया है।

प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता कभी भी लग सकती है। ऐसे में भाजपा व कांग्रेस इस समय सैनिकों को रिझाने के लिए बड़े कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। भाजपा जहां शहीद सम्मान यात्रा के जरिये सैन्य पृष्ठभूमि के वोटरों पर नजर रख रही है, तो वहीं कांग्रेस भी अब सैनिक सम्मान सम्मेलन का आयोजन कर पूर्व सैनिकों को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है।

जिले वार पूर्व सैनिक और वीर नारियां

अल्मोड़ा - 13979

बागेश्वर - 11440

चम्पावत - 4669

पिथौरागढ़ - 24690

नैनीताल - 14075

ऊधमसिंह नगर - 9238

चमोली - 14745

देहरादून - 28689

पौड़ी - 30104

हरिद्वार - 5366

रुद्रप्रयाग - 4899

टिहरी - 6592

उत्तरकाशी - 1033

कुल योग- 169519

कुल सर्विस वोटर- 88600

सैन्य पृष्ठभूमि के कुल वोटर -

2,67,497

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