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सरकार के खिलाफ संयुक्त मोर्चा में आक्रोश, आर-पार की लड़ार्इ का ऐलान

संयुक्त मोर्चा ने सरकार के खिलाफ आर पार की लड़ार्इ लड़ने का ऐलान कर दिया है। शनिवार को संयुक्त मोर्चा से जुड़े कार्मिक सांकेतिक कार्य बहिष्कार पर रहे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 07:15 PM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 07:15 PM (IST)
सरकार के खिलाफ संयुक्त मोर्चा में आक्रोश, आर-पार की लड़ार्इ का ऐलान

देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक और आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा ने सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। प्रदेशभर में सांकेतिक प्रदर्शन के बाद मोर्चा ने 27 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने का निर्णय ले लिया है। इस दौरान राजधानी, जनपद और तहसील मुख्यालयों में कर्मचारी धरना-प्रदर्शन करेंगे। 

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प्रदेश के करीब 27 विभागों के कार्मिक अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले चार माह से आंदोलनरत हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव तक वार्ता की गई। मगर, आश्वासन के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। शनिवार को पूर्व तय कार्यक्रम के अनुसार संयुक्त मोर्चा से जुड़े कार्मिक सांकेतिक कार्यबहिष्कार पर रहे। इस दौरान सभी विभागों के कार्मिक परेड ग्राउंड में पहुंचे। जहां प्रदर्शन जनसभा में तब्दील हुआ। 

इस दौरान मोर्चा के मुख्य संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कार्मिकों को उनकी सुविधा में कोई कटौती न किए जाने का भरोसा दिया था। मगर, इस संबंध में कोई आदेश आज तक जारी नहीं हुआ है। सरकार को मोर्चा ने पूरे तीन माह का समय दिया है। अब आर-पार की लड़ाई का वक्त आ गया है। ऐसे में 27 अगस्त को प्रदेशभर में संयुक्त मोर्चा से जुड़े कार्मिक कामकाज ठप कर अनिश्चितकालीन कार्यबहिष्कार पर रहेंगे। इस बीच तहसील से लेकर जनपद स्तर तक आंदोलन को सफल बनाने की रणनीति तय की जाएगी।

ये रहे मौजूद 

इस मौके पर मोर्चे के संयोजक रवि पचौरी, संतोष रावत, गजेंद्र कपिल, रामचंद्र रतूड़ी, अरुण पांडे, शक्ति प्रसाद भट्ट, बनवारी सिंह रावत, गोविंद सिंह नेगी, एसपी राणाकोटि, नंदकिशोर त्रिपाठी, गुड्डी मटूड़ा, हेमंत रावत, सीपी सुयाल, दिनेश गुसांई, प्रवीन रावत, डीएस असवाल, रेणु लांबा, आदि ने संबोधित किया।

सोशल मीडिया में नहीं धरातल पर आएं: परेड ग्राउंड में हुई जनसभा को संबोधित करते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा कि व्हाट्सएप और फेसबुक पर बड़ी-बड़ी बात करने वाले नेता धरातल पर गायब हैं। ऐसे नेताओं को आंदोलन तोडऩे में भी सक्रिया भूमिका का आरोप लगाया गया। कहा गया कि सोशल मीडिया पर आंदोलन नहीं लड़ा जाता। इसके लिए धरातल पर आना होगा।

विभीषण पर रखें नजर

आंदोलन को कमजोर करने वाले कई विभीषण हमारे बीच हैं। इन पर नजर रखी जानी चाहिए। ऐसे लोगों को बेनकाब कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। मोर्चा का मनोबल तोड़ने वालों को आंदोलन में कोई जगह नहीं दी जानी चाहिए।

गायब दिखे कई बड़े पदाधिकारी 

उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा का सांकेतिक कार्यबहिष्कार पहले से प्रस्तावित था। मगर, शनिवार को परेड ग्राउंड में मुट्ठीभर भीड़ जुट पाई। इस दौरान कई बड़े पदाधिकारी भी गायब दिखे। इस पर मौजूद कर्मचारियों नेताओं ने कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसा तो आंदोलन सफल होने वाला नहीं है। कहा गया कि 27 को कर्मचारियों के इस आंदोलन का भविष्य ही नहीं बल्कि दूसरे कर्मचारी संगठनों की एकजुटता की भी परीक्षा देखने को मिलेगी। 

मोर्चे की प्रमुख मांगे

-समस्त कार्मिकों-शिक्षकों को पूरे सेवाकाल में तीन अनिवार्य पदोन्नति या एसीपी पूर्व की भांति दी जाए। 

-ऊर्जा निगम के कार्मिकों को भी एसीपी का लाभ दिया जाए। 

-4600 ग्रेड वेतन वाले कार्मिकों को 17140 मूल वेतन अनुमान्य किया जाए। 

-सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार भत्तों का लाभ दिया जाए। 

-यू-हेल्थ कार्ड योजना का लाभ सभी कार्मिकों को दिया जाए। 

-स्वायत्तशासी संस्थाओं, सार्वजनिक निगमों, उपक्रमों को सातवें वेतनमान का एरियर भुगतान किया जाए। 

-उपनल, आउटसोर्स, पीटीसी व समान श्रेणी के कार्मिकों को नियमित किया जाए। 

-स्थानांतरण एक्ट के तहत 50 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले महिला-पुरुष को छूट दी जाए। 

-वेतन समिति को भंग कर पूर्व की भांति सीएस की अध्यक्षता में विसंगतियों का निराकरण हो। 

-पदोन्नति में शिथिलीकरण की व्यवस्था पुन: बहाल किया जाए। 

-पुरानी पेंशन नीति को लागू किया जाए। 

-पदों में कटौती के प्रस्ताव को खारिज किया जाए।

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