अब निर्बाध जारी रहेगा बिजली उत्पादन, गाद और सिल्ट से नहीं रुकेगी टरबाइन
उत्तरकाशी स्थित मनेरी-भाली-टू जल विद्युत परियोजना की टरबाइनें अब गाद व सिल्ट आने की स्थिति में चलती रहेंगी। इससे निर्बाध विद्युत उत्पादन जारी रखने में मदद मिलेगी।
देहरादून, जेएनएन। उत्तरकाशी स्थित मनेरी-भाली-टू जल विद्युत परियोजना की टरबाइनें अब गाद व सिल्ट आने की स्थिति में चलती रहेंगी। इससे एक तो निर्बाध विद्युत उत्पादन जारी रखने में मदद मिलेगी, वहीं गाद व सिल्ट से टरबाइनों को होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकेगा।
मानसून सीजन में नदियों में पहाड़ों से आने वाली गाद और सिल्ट की मात्र बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में टरबाइनें जाम होने लगती हैं और मात्रा अधिक बढ़ने पर मशीनों को बंद करना पड़ता है। इसका असर विद्युत उत्पादन पर पड़ने की वजह से उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड इस समस्या का स्थायी समाधान तलाशने की कोशिश में जुटा हुआ था।
पूवरेत्तर राज्यों में नई बन रही जल विद्युत परियोजनाओं अब पीपीएम तकनीकी की इस्तेमाल कर गाद और सिल्ट से होने वाले नुकसान कम जा रहा है। इस तकनीकी को राज्य की मनेरी-भाली-टू परियोजना में लगाया गया है। बता दें कि मनेरी-भाली-टू परियोजना 3000 पीपीएम तक काम कर सकती है। पीपीएम का स्तर इससे अधिक बढ़ने पर टरबाइनों को बंद करना पड़ता है। नई तकनीकी के लग जाने से पीपीएम का स्तर हर परिस्थिति में तीन हजार से कम ही रहेगा और मशीन अपनी पूरी क्षमता से चलती रहेगी।
कैसे काम करती है तकनीक
टरबाइन को जाने वाली टनल के नीचे बड़े हॉपर लगाए गए हैं। गाद या सिल्ट आने पर वह छनकर इसमें चले जाते हैं। इसे दूसरी तरफ से फ्लश कर दिया जाता है। हॉपर की संख्या सौ के करीब है।
मानसून सीजन में नहीं पड़ेगा गाद का असर
यूजेवीएनएल के प्रवक्ता विमल डबराल के मुताबिक, मनेरी-भाली-टू परियोजना में मानसून सीजन में गाद और सिल्ट की मात्र बढ़ने पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। अब नई बन रही सभी परियोजनाओं में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
बकाया जमा करने पर जोड़ी डाटकाली टनल की बिजली
बकाया जमा करने पर ऊर्जा निगम ने देहरादून-दिल्ली हाइवे पर स्थित डाटकाली टनल की बिजली जोड़ दी। ऊर्जा निगम ने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने अब टनल के लिए स्थायी कनेक्शन ले लिया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि बिल का भुगतान नियमित करते रहना होगा।
बता दें कि डाटकाली टनल को अक्टूबर 2018 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया था। टनल के निर्माण के दौरान कार्यदायी संस्था भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी ने ऊर्जा निगम से अस्थायी कनेक्शन लिया था। इसी कनेक्शन पर अब तक टनल रोशन हो रही थी।
काम खत्म होने के बाद कार्यदायी संस्था ने बिजली का बिल जमा नहीं किया। ऊर्जा निगम इसका काफी समय तक इंतजार करता रहा। तब तक टनल की देखभाल की जिम्मेदारी एनएच खंड के पास थी, जबकि जनवरी में जिला पंचायत को दे दी गई। मगर बिजली के बिल का बकाया जस का तस पड़ा रहा।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में 51 हजार विद्युत मीटर खराब, अब बदलने की तैयारी
इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए ऊर्जा निगम ने गत दिनों अस्थायी कनेक्शन काट दिया, जिससे टनल की बत्ती गुल हो गई। ऊर्जा निगम के अधीक्षण अभियंता शैलेंद्र कुमार ने बताया कि लोक निर्माण विभाग की ओर से बकाया जमा करने के साथ ही टनल के लिए स्थायी कनेक्शन ले लिया गया है।
यह भी पढ़ें: यूपीसीएल के जूनियर इंजीनियर्स की अनंतिम वरिष्ठता सूची जारी