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स्कूली शिक्षा को दर्शाता तोत्तो चान नाटक ने जीत लिया दूनवासियों का दिल

स्कूली शिक्षा के विभिन्न पहलुओं और तरीकों को दर्शाता नाटक तोत्तो चान केे मंचन ने दूनवासियों का दिल जीत लिया।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 12:01 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 08:17 AM (IST)
स्कूली शिक्षा को दर्शाता तोत्तो चान नाटक ने जीत लिया दूनवासियों का दिल
स्कूली शिक्षा को दर्शाता तोत्तो चान नाटक ने जीत लिया दूनवासियों का दिल

देहरादून, जेएनएन। स्कूली शिक्षा के विभिन्न पहलुओं और तरीकों को दर्शाता नाटक तोत्तो चान का मंचन नगर निगम सभागार में आयोजित किया गया। नाटक ने सभागार में उपस्थित लोगों का मन जीत लिया। भोपाल से आए विहान ड्रामा ग्रुप ने इस नाटक का मंचन किया। नाटक का आयोजन अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के सौजन्य से किया गया था।

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नाटक की कहानी एक छोटी बच्ची तोत्तो-चान की है। वह कौतूहल और जिज्ञासाओं से लबरेज एक खुशमिजाज लड़की है। जब तोत्तो-चान स्कूल जाती है, तब उसे भी बाकी सब की तरह बाल शिक्षा केपारंपरिक विचारों व पढ़ाने के वही रटे-रटाये तरीके से पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं रहती। 

वह स्कूल की खिड़की में खड़ी होकर बाहर के नजारों को देखती रहती है। शरारतों की वजह से उसे स्कूल से निकाल दिया जाता है। इसके बाद उसकी मां उसे ऐसे स्कूल में भेजना चाहती है, जहां बच्चों को अभिव्यक्ति और विचारों की स्वतंत्रता की मिलती है। तब वह उसे नये स्कूल तोमोए में ले जाती है। जो रेल की बोगियों में लगता है। 

तोमोए के पढ़ाने का ढंग निराला है। वे बच्चों को प्रकृति के जरिये सिखाते हैं। इसके बाद तोत्तो चान के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। नाटक की कहानी शिक्षक व बच्चों के रिश्ते को बहुत सुंदर ढंग से पेश करती है। मुख्य पात्र तोत्तो चान एक बातूनी और खुशमिजाज लड़की है, जिसके मन में ढेरों सवाल हैं। उसकी जिज्ञासा को स्कूल के हेडमास्टर ने पहचाना और उसे अभिव्यक्ति की जगह दी। वह एक ऐसा पेड़ बनना चाहती है। जिसमें कोई पतंग ना फंसे, वह एक ऐसी नदी बनना चाहती है जिसमें कभी कोई नाव न डूबे। 

नाटक में शिक्षा के अलग अलग पहलुओं और शिक्षा से जुड़े कई सवालों को प्रभावी तरीके से उठाया गया। तोत्तो-चान की भूमिका में नन्ही तनिष्का ने दर्शकों का दिल जीत लिया। नाटक का निर्देशन सौरभ अनंत ने किया और हेमंत देवलकर ने इसे संगीत से सजाया। 

नाटक के बारे में शिक्षकों ने कहा कि यह अनुभव वो हमेशा याद रखेंगे। नाटक के बाद शिक्षकों के साथ संवाद भी हुआ। जिसमें शिक्षकों ने अपनी जिज्ञासा भी रखी। कार्यक्रम में अजीम फाउंडेशन उत्तराखंड के अंबरीश ने संस्था के उद्देश्यों और कार्य प्रणाली के बारे में बताया। 

उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्हें यकीन है यह नाटक शिक्षकों एवं अभिभावकों में शिक्षा को लेकर एक नया नजरिया विकसित करने में मदद करेगा। इस अवसर पर कैलाश कांडपाल, प्रमोद रावत, कुसुमलता, विनोद लखेड़ा, बसंत डंडियाल, वीरेंद्र कृषाली आदि मौजूद रहे।

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