देहरादून, जेएनएन। देहरादून में रविवार को तीन खबरें चर्चा में रहीं। पहली चमोली जिले में चौबीस घंटे के अंतराल में फिर से बादल फट गया। इस बार मौसम की मार घाट विकासखंड के धुर्मा गांव पर पड़ी। यहां सात आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं, राजपुर थाना क्षेत्र के गोविंदनगर इलाके में पॉलीटेक्निक द्वितीय वर्ष के छात्र ने खुदकुशी कर ली। छात्र के कमरे के बगल रहने वाले लोगों ने रविवार की सुबह खिड़की से उसका शव कमरे में पंखे से लटकते देखा तो पुलिस को सूचना दी। इधर, सरकार ने राजभवन से वापस मंगाया पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर जारी अध्यादेश।
बारिश का कहर
चमोली जिले में चौबीस घंटे के अंतराल में फिर से बादल फट गया। इस बार मौसम की मार घाट विकासखंड के धुर्मा गांव पर पड़ी। यहां सात आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हो गए। इनमें रह रहे लोगों ने आधी रात घरों से भागकर जान बचाई। बरसाती नालों के उफान और साथ आए मलबे से इलाके में पैदल मार्गों के साथ ही काफी कृषि भूमि और फसल नष्ट हो गई। चमोली जिले में इस मानसून सत्र में बाद फटने की यह छठी घटना है। कुमाऊं मंडल के कुछ इलाकों में बारिश और भूस्खलन से तमाम दुश्वारियां खड़ी हो गई हैं। इधर, बदरीनाथ मार्ग गोविंदघाट में बंद होने से तीर्थयात्रियों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। यहां करीब डेढ़ हजार यात्री शनिवार से फंसे हुए हैं। केदारनाथ हाईवे सुबह दो घंटे बाधित रहा, यमुनोत्री और गंगोत्री हाईवे पूरे दिन सुचारु हैं। इधर, राज्य मौसम केंद्र ने सोमवार को प्रदेश के कुछ इलाकों में भारी बारिश की संभावना जताई है।
छात्र ने की खुदकुशी
राजपुर थाना क्षेत्र के गोविंदनगर इलाके में पॉलीटेक्निक द्वितीय वर्ष के छात्र ने खुदकुशी कर ली। छात्र के कमरे के बगल रहने वाले लोगों ने रविवार की सुबह खिड़की से उसका शव कमरे में पंखे से लटकते देखा तो पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़कर छात्र के शव को उतारा और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कमरे से कोई सुसाइड नोट तो नहीं मिला है, लेकिन पड़ोसियों ने बताया कि वह देर रात तक किसी लड़की से बात कर रहा था। इस आधार पर पुलिस मामले को प्रेम-प्रसंग से भी जोड़ कर तफ्तीश कर रही है।
राजभवन से वापस मंगाया अध्यादेश
सरकार ने राजभवन से वापस मंगाया पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर जारी अध्यादेश इसे अदालत का सख्त रुख कहें या जनमत का दबाव। पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर जारी अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने ऐनवक्त पर अपना इरादा बदलते हुए अध्यादेश में भी संशोधन कर डाला। इसका असर ये हुआ कि अध्यादेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को तमाम सुविधाएं पीछे राज्य गठन की तारीख नौ नवंबर, 2000 से मंजूर की गई, लेकिन इन्हें भविष्य में भी बहाल रखने से सरकार ने कदम पीछे खींच लिए।
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