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बीमा पॉलिसी के नाम पर प्रलोभन देकर करते थे ठगी, गिरोह के तीन सदस्य नोएडा व बुलंदशहर से गिरफ्तार

बीमा पॉलिसी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को डालनवाला कोतवाली पुलिस ने बुलंदशहर व नोयडा से गिरफ्तार कर लिया है। तीनों बीते अगस्त महीने में हुई 36 लाख रुपये की ठगी में वांछित चल रहे थे।

By Sumit KumarEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 06:30 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 06:30 AM (IST)
बीमा पॉलिसी के नाम पर प्रलोभन देकर करते थे ठगी, गिरोह के तीन सदस्य नोएडा व बुलंदशहर से गिरफ्तार
पुलिस के सामने गिरोह ने अब तक करीब तीस घटनाएं करने की बात कबूली है।

देहरादून, जेएनएन। बीमा पॉलिसी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को डालनवाला कोतवाली पुलिस ने बुलंदशहर व नोयडा से गिरफ्तार कर लिया है। तीनों बीते अगस्त महीने में हुई 36 लाख रुपये की ठगी में वांछित चल रहे थे। मुख्य आरोपित कुछ साल पहले नोएडा के एक कॉल सेंटर में नौकरी कर चुका है वहीं से ठगी का यह आइडिया दिमाग में आया और नौकरी छोड़कर ठगी करने लगे।पूछताछ में पता चला कि इस गिरोह के तार पश्चिम बंगाल, राजस्थान से लेकर अन्य राज्यों में फैले हुए हैं। गिरोह ने अब तक करीब तीस घटनाएं करने की बात कबूली है।

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डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि बीती 12 अगस्त को उमा निवासी ईसी रोड ने डालनवाला कोतवाली में तहरीर देकर 36 लाख रुपये की ठगी का मुकदमा दर्ज कराया। उनका आरोप था कि वर्ष 2018 में उनके पति की मृत्यु हो चुकी है। अगस्त 2019 में उनके मोबाइल नम्बर पर एक अज्ञात मोबाइल नम्बर से फोन आया। उसने अपना नाम कृष्णानन्द मण्डल बताया। कहा कि वह फण्ड क्लीयरन्स डिपार्टमेन्ट दिल्ली का कर्मचारी है। उनके पति के नाम पर चौसठ लाख नब्बे हजार रूपये की बीमा पालिसी है। इसके बाद अलग-अलग नंबरों से अन्य व्यक्तियों ने भी संपर्क किया। पालिसी की धनराशि देने के एवज में अलग-अलग खातों में लगभग 36 लाख रूपये जमा कराए गए, लेकिन इसके बाद सभी मोबाइल बंद कर गायब हो गए। मुकदमा दर्ज करने के बाद एसपी सिटी श्वेता चौबे की अगुवाई में साइबर सेल व डालनवाला पुलिस की संयुक्त टीम गठित की गई। 

ऐसे हुई ठगों की पहचान और गिरफ्तारी

टीम ने उमा को जिन नंबरों से फोन आए थे और जिन खातों में रकम जमा कराई गई थी। उनकी जांच शुरू की। पता चला कि सभी मोबाइल नम्बर फर्जी आइडी पर लिए गए थे। लेकिन सीडीआर में एक संदिग्ध नम्बर मिला। यह नम्बर अंकुर पाठक उर्फ बबलू निवासी कुमारपुर, थाना पहासु बुलन्दशहर उत्तर प्रदेश के नाम पर था। जिन खातों में पैसा जमा किया गया था, वह सभी बुलन्दशहर के मिले। टीम ने बुलन्दशहर पहुंचकर खातों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की तो उनमें से दो बैंक खाते प्रशान्त शर्मा तथा हरवीर सिंह के नाम पर मिले। जिनका पता तस्दीक करने पर वह सही पाये गये। इसके बाद टीम ने शनिवार की देर शाम की हरवीर सिंह व प्रशान्त शर्मा को खुर्जा बुलन्दशहर से तथा अंकुर पाठक उर्फ बबलू को नोएडा से गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपितों के कब्जे से ठगी गई धनराशि, मोबाइल फोन व अन्य दस्तावेज प्राप्त हुए। आरोपित अंकुर पाठक से एक लाख 10 हजार रुपये, प्रशान्त शर्मा से एक आधार कार्ड, फोन व एक लाख सत्तर हजार रुपये नकद बरामद हुए हैं। जबकि 1.90 लाख रुपये जमा एक अकॉउंट को फ्रीज करा दिया गया है।

कॉल सेंटर से सीखा ठगी का यह पैंतरा

पूछताछ में अंकुर पाठक उर्फ बबलू ने बताया कि वह पूर्व में नोएडा स्थित एक काल सेन्टर में काम करता था। जहां फोन पर पालिसी व अन्य जानकारियां ग्राहकों को दी जाती थी।अच्छी आमदनी न होने के कारण दो वर्ष पहले नौकरी छोड़ दी, लेकिन वहां से निकलने से पहले कई लोगों का डाटा अपने पास रख लिया। बताया कि वह जानता था कि पालिसी के नाम पर लोगों को आसानी से शिकार बनाया जा सकता है। जिस पर प्रलोभन देकर ठगी करने की योजना बनाई। इसके लिए अपने गांव के दोस्त प्रशान्त शर्मा को भी गैंग में शामिल कर लिया। बैंक खातों के लिए गांव के आसपास के बेरोजगार युवकों को झांसे में लिया। रकम मंगाने और उसे निकाल कर देने के बाद कमीशन देते थे। वह और प्रशान्त फोन के माध्यम से सम्पर्क कर लोगों को झांसे में लेकर ठगी करने लगे। हरवीर व अन्य लोग बैंक खातों से धनराशि की निकासी का कार्य करते थे। जिसे आपस में बांट लेते थे।

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वॉयस कन्वर्टर फोन का करते थे इस्तेमाल

अंकुर ने बताया कि इसके लिए उसने वाइस कन्वर्टर सुविधा वाला फोन खरीदा। जिससे महिला की आवाज बदलकर लोगों को फोन किया करता था। क्योकि महिला की आवाज सुनकर लोग आसानी से झांसे में आ जाते थे। जबकि बात करने के लिये फर्जी आईडी से प्राप्त सिमों का इस्तेमाल किया करते थे। देहरादून में जिस महिला से हमारे द्वारा ठगी की गयी थी, उसका नम्बर मुझे काल सेन्टर के माध्यम से ही प्राप्त हुआ था। इस नम्बर को उसने उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान में इसी प्रकार की ठगी करने वाले अन्य गिरोह के सदस्यो को भी दिया गया था।

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