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लचर व्यवस्था में फंसी नौनिहालों की पाठ्य सामग्री, जानिए कैसे

देहरादून जिले के हजारों नौनिहालों पर नौकरशाही की अनदेखी भारी पड़ रही है। कई स्कूलों को मुफ्त ड्रेस और किताबों की धनराशि वितरित नहीं की गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 05:04 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 08:52 AM (IST)
लचर व्यवस्था में फंसी नौनिहालों की पाठ्य सामग्री, जानिए कैसे

देहरादून, अशोक केडियाल। नौकरशाही की अनदेखी जिले के हजारों नौनिहालों पर भारी पड़ रही है। सरकारी स्कूलों में पहली से लेकर आठवीं तक की सभी छात्राओं और गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार के छात्रों को प्रतिवर्ष दी जाने वाली मुफ्त ड्रेस-किताबों की धनराशि मार्च महीने में जारी की गई। कुछ स्कूलों में तो यह राशि अभी तक वितरित ही नहीं हुई है। 

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शिक्षा सुदृढ़ करने के शिक्षा विभाग के तमाम दावे हवाई साबित हो रहे हैं। एक अप्रैल 2019 से नया शिक्षा सत्र आरंभ हो गया है। लेकिन सत्र 2018 की पुस्तक व ड्रेस की धनराशि शत-फीसद जारी नहीं की गई। देहरादून जिले में सैंकड़ों प्राथमिक व जूनियर हाई स्कूलों में कहीं छात्रों को दो ड्रेस के लिए छह सौ रुपये की धनराशि नहीं मिली तो कहीं किताबों के लिए मिलने वाली धनराशि मार्च महीने के दूसरे पखवाड़े में बांटी जा गई है। 

देहरादून जिले के प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा की सभी छात्राओं व बीपीएल परिवार के लाभार्थी छात्रों को दो ड्रेस के बदले 600 रुपये और किताबों के लिए 250 से 400 रुपये दिए जाते हैं। विभाग ने लाभार्थी छात्रों की सत्र 2018 की धनराशि कई स्कूल प्रबंधन समिति को जनवरी व फरवरी 2019 में ब्लॉक शिक्षा खंड के माध्यम से भेजी उसके बाद कुछ स्कूलों में छात्रों को मार्च अंतिम सप्ताह में दी गई, जबकि कई स्कूलों में यह अभी तक वितरित ही नहीं हुईं है। 

जिला बेसिक शिक्षाधिकारी आरएस रावत ने बताया कि जिले के सभी ब्लॉक शिक्षा खंड को मुफ्त ड्रेस व किताबों के लिए धनराशि जनवरी 2019 में जारी कर दी गई थी। ब्लॉक शिक्षा कार्यालयों के माध्यम से यह धनराशि स्कूल प्रबंधन समिति को दी जानी है। स्कूली छात्रों को यह राशि क्यों नहीं मिली इस बारे में जानकारी ली जाएगी।

प्राथमिक शिक्षा संघ के अध्यक्ष दिग्विजय चौहान का कहना है कि मुफ्त वर्दी व किताबों के लिए सरकार की ओर से मिलने वाली धनराशि समय पर नहीं मिली है। जूनियर व प्राथमिक के लाभार्थी छात्रों को मिलने वाली किताबों की 40 फीसद राशि मार्च के अंतिम सप्ताह में प्राप्त हुई है, जबकि नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। शिक्षा निदेशालय को धनराशि समय पर जारी करनी चाहिए।  

शहरों में खाते में रकम डालने का पेच 

कई स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि आदेश मिले हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में तो धनराशि स्कूल प्रबंधन समिति को दी गई है वह चाहे तो सभी छात्रों को वर्दी खरीदकर दे सकते हैं। जबकि शहरी क्षेत्रों में लाभार्थी छात्रों के खाते में यह राशि जमा करनी है। कई छात्रों के खाते इसलिए नहीं खुले हैं कि उनके पास आधार कार्ड नहीं है। ऐसे में शहरी क्षेत्र में सैंकड़ों छात्रों की वर्दी की धनराशि फंसी हुई है। 

छात्रों को मिलने वाली धनराशि 

- दो स्कूल ड्रेस (वर्दी) को 600 रुपये 

- प्राथमिक के विद्यार्थियों को किताबों के लिए 250 रुपये 

-जूनियर के लाभार्थियों को किताबों के लिए 400 रुपये 

शिक्षा सत्र शुरू, बच्चों को नहीं मिली किताबें 

एक छात्र के मन में नई कक्षा को लेकर अलग तरह की उत्सुकता होती है। नई किताबें कैसी होंगी, उनमें कैसे पाठ होंगे और उन्हें समझने को लेकर भी तमाम तरह की बातें दिमाग में रहती हैं। पर शिक्षा विभाग ने उनकी इन उम्मीदों को परवान नहीं चढ़ने दिया। सरकारी स्कूलों में नए सत्र का आगाज बगैर किताबों के हुआ। पहले दिन स्कूलों में उपस्थिति भी तुलनात्मक रूप से कम रही। 

शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर दावे तमाम किये जाते रहे हैं, पर महकमा अब भी पुराने र्ढे पर ही चल रहा है। स्थिति यह कि स्कूलों में सिर्फ सत्र बदला, बाकी कुछ नहीं बदला है। एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो गया, लेकिन बच्चों को किताबें नहीं मिल पाई हैं। गत वर्ष शिक्षा विभाग ने यह व्यवस्था की थी कि बच्चों को किताबें नहीं दी जाएंगी। बल्कि डीबीटी के माध्यम से रकम उनके खाते में डाली जाएगी। हद ये कि सैकड़ों छात्रों को अब तक पिछले सत्र का ही पैसा नहीं मिला है। 

खैर, कोई अभिभावक खुद के पैसे से किताबें लेना भी चाहे तो बाजार में अभी तक किताबें उपलब्ध नहीं हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष दिग्विजय चौहान ने कहा कि समय पर किताबें न मिलने से बच्चों को हर बार परेशानी होती है। इससे शिक्षा गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि विभाग को मालूम है कि एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में पहले से विभाग को पाठ्य पुस्तकों की व्यवस्था करनी चाहिए थी। इधर, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल का कहना है कि यह हर बार की समस्या बन गई है। 

ऐसे में छात्रों से उनकी पुस्तकें जमा करा ली गई थीं। इन्हीं किताबों से बच्चों को पढ़ाया जाएगा। जिला शिक्षाधिकारी बेसिक आरएस रावत का कहना है कि किताबें छप चुकी हैं। यह अगले कुछ दिन में ही बाजार में उपलब्ध होंगी। पैसा भी समय पर खातों में भेज दिया जाएगा। 

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