आपदा ने अपनों को छीना, परायों ने जगाई उम्मीद की लौ; पढ़िए पूरी खबर
देहरादून में एक दंपती बेसहारा बच्चों की मदद कर रहे हैं। उनकी प्रेरणा से आज कई सेवानिवृत्त लोग अपनी पेंशन की राशि से आपदा पीड़ितों की मदद कर रहे हैं।
देहरादून, सतेंद्र डंडरियाल। वर्ष 2013 की चारधाम आपदा ने समूची केदारघाटी समेत पूरे पहाड़ को गहरे जख्म दिए। केदारघाटी में तो आज भी उस खौफनाक मंजर को याद कर लोग सिहर उठते हैं, जिसने देखते ही देखते घाटी में सब-कुछ तबाह कर डाला था। सबसे ज्यादा तकलीफ तो उन बच्चों को झेलनी पड़ी, जिनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया था। ऐसे विपरीत हालात में इन बच्चों का सहारा बने सेवानिवृत्त शिक्षा निदेशक (विद्यालयी शिक्षा) पुष्पा मानस और उनके पति एडवोकेट कालिका प्रसाद मानस। सीमांत चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक से ताल्लुक रखने वाले इस दंपती की प्रेरणा से आज कई सेवानिवृत्त लोग अपनी पेंशन की राशि से आपदा पीड़ितों की मदद कर रहे हैं।
वर्तमान में देहरादून में रह रहे मानस दंपती ने मदद के लिए सबसे पहले चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक की उन बेटियों को चुना, आपदा में जिनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया था। वर्ष 2013 में पुष्पा मानस उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद में महासचिव के पद पर तैनात थीं। राज्यपाल इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं। तब वह तत्कालीन राज्यपाल के निर्देश पर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को राहत सामग्री वितरित करने के लिए गईं। परिषद का महासचिव होने के नाते उन्होंने तत्कालीन सरकार को सुझाव दिया कि आपदा प्रभावित बच्चों को राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों में निश्शुल्क प्रवेश दिलाकर उनके शिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। लेकिन, तकनीकी कारणों से उनके सुझाव पर अमल नहीं हो पाया। पुष्पा मानस ने आपदा की विभीषिका को करीब से देखा था, इसलिए उन्होंने स्वयं ही ऐसी बेटियों की मदद का संकल्प लिया। शुरुआत कुछ बेटियों को आर्थिक मदद देने के साथ हुई, जिनमें हर जाति-धर्म की बेटियां शामिल थीं। इन बेटियों में से कई ने दसवीं व 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और कई आज उच्च शिक्षा हासिल कर रही हैं।
पेन्शन की धनराशि से बनाया ट्रस्ट
बेटियों की मदद का दायरा बढ़ने लगा तो पुष्पा मानस ने अपने माता-पिता के नाम पर 'पार्वती देवी गंगाराम भट्ट ट्रस्ट' की स्थापना की। इसमें उनके पति एडवोकेट कालिका प्रसाद मानस, आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के सेवानिवृत्त डिप्टी कमांडेंट उनके बड़े भाई कुशला नंद भट्ट व भाभी लीला भट्ट, सेवानिवृत्त शिक्षक बहन सुरेखा शर्मा व ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से सेवानिवृत्त अधिकारी उनके पति किशोर शर्मा ने भी सहयोग दिया। सभी सेवानिवृत्त परिजनों ने ट्रस्ट में अपनी पेन्शन की राशि देकर क्षेत्र की मातृ-पितृ विहीन मेधावी बेटियों की मदद का सिलसिला शुरू किया। शैक्षिक सत्र 2015-16 में ट्रस्ट के जरिये 17 मातृ-पितृ विहीन मेधावी बेटियों को छात्रवृत्ति दी गई। सत्र 2016-17 में यह संख्या 26, सत्र 2017-18 में 42 और सत्र 2018-19 में 50 पहुंच गई। जबकि, सत्र 2019-20 के लिए 106 बेटियों को मदद दी गई।
ऐसे जुटाई मदद, चल पड़ा सिलसिला
निजी संसाधनों से ही 5.20 लाख की धनराशि जमा कर कॉरपस फंड बनाकर उसे बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट किया गया। इससे अर्जित ब्याज से मातृ-पितृ विहीन बेटियों को हर साल शैक्षिक सहायता देने का संकल्प लिया गया। फिक्स्ड डिपॉजिट के अलावा सभी लोग हर साल 15-15 हजार रुपये की धनराशि जमा करते हैं। इससे बेटियों को छात्रवृत्ति व शैक्षिक सहायता दी जाती है।
मदद को आगे आने लगे लोग
पुष्पा मानस बताती हैं कि शुरुआत में परिवार को लोगों ने ही मदद की, लेकिन बाद में स्वेच्छा से कुछ लोग इस पुनीत कार्य का हिस्सा बन गए। उन्होंने ट्रस्ट में आर्थिक सहयोग देकर बेटियों की छात्रवृत्ति में हाथ बंटाया। इनमें समाजसेवी, नौकरीपेशा, कारोबारी यानी हर तरह के लोग शामिल थे। साथ ही छात्रवृत्ति के लिए मानक भी निर्धारित किए गए। यह भी तय हुआ कि छठी से 12वीं कक्षा तक की बेटियों को मदद दी जाएगी। लेकिन, इसके लिए संबंधित विद्यालय के प्रधानाचार्य की संस्तुति जरूरी होगी।
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बेटियों ने दिखाई प्रतिभा
आपदा में माता-पिता को खोने वाली बेटियों ने हार नहीं मानी और हालात का सामना कर बोर्ड परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त किया। ट्रस्ट की ओर से शैक्षिक सत्र 2019-20 में छात्रवृत्ति के लिए चयनित 106 मातृ-पितृ विहीन मेधावी बेटियों में से 12 ने हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इनमें जीआइसी उडमांडा में पढ़ने वाली सलोनी ने 81 प्रतिशत व जीआइसी देवीखेत में पढऩे वाली नेहा ने 83 प्रतिशत अंक हासिल किए। पुष्पा मानस बताती हैं कि इन 12 के अलावा अन्य बेटियां भी पढ़ने में बहुत अच्छी हैं। सभी ने विषम परिस्थितियों में लगन से पढ़ाई की। बताया कि शैक्षिक सत्र 2019-20 में ट्रस्ट ने 1.86 लाख की छात्रवृत्ति बांटी है।
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