विश्व बैंक परियोजना पर जमीनी झगड़े का साया, 124 करोड़ की परियोजना में 20 ट्यूबवेलों का होना है निर्माण
विश्व बैंक परियोजना की महत्वकांक्षी पेयजल परियोजना पर जमीन झगड़े का साया पड़ने लगा है। जून में कार्यदायी संस्था पेयजल निगम को परियोजना का जिम्मा सौंपा गया था लेकिन अब तक 11 ट्यूबवेलों पर तो काम शुरू हो गया है लेकिन नौ जगह भूमि विवाद की स्थिति बनी हुई है।
देहरादून, जेएनएन। विश्व बैंक परियोजना की महत्वकांक्षी पेयजल परियोजना पर जमीन झगड़े का साया पड़ने लगा है। जून में कार्यदायी संस्था पेयजल निगम को परियोजना का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन अब तक 11 ट्यूबवेलों पर तो काम शुरू हो गया है, लेकिन नौ जगह भूमि विवाद की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में परियोजना का समय से पूरा होना मुश्किल लग रहा है।124 करोड़ की लागत से परियोजना के तहत मेहूंवाला कलस्टर में 20 ट्यूबवेल लगाने की योजना है। परियोजना का काम नवंबर 2021 में पूरा होना है। निगम की ओर से ट्यूबवेल व भूमिगत पाइपलाइन बिछाने का कार्य तिरुपति सीमेंट प्रोडक्ट नई दिल्ली को सौंपा गया है। परियोजना से ठाकुरपुर, आरकेडिया, तेलपुर, मेहूंवाला, वन विहार, लक्ष्मणगढी, सेवलां, एसबीआइ कॉलोनी, गौतमकुंड, चंद्रबनी, शिमला बाइपास क्षेत्र के करीब 1.27 लाख लोग लाभांवित होने हैं। इन क्षेत्रों में लंबे समय से पानी की दिक्कत बनी हुई है, कई क्षेत्र तो टेंकरों पर निर्भर हैं। पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता सीता राम का कहना है कि मेहूंवाला कलस्टर में विश्व बैंक परियोजना के तहत 11 ट्यूबवेल निर्माण का काम चल रहा है जबकि नौ जगह जमीन को लेकर विवाद की स्थिति है। विवाद जल्द सुलझा लिया जाएगा। कोरोना के चलते क्षेत्रवासियों से बैठकें नहीं हो सकी। पाइपलाइन का काम 33 प्रतिशत हो चुका है। उम्मीद है कि तय समय पर परियोजना का काम पूरा कर लिया जाएगा।
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यह है ट्यूबवेल लगाने को लेकर विवाद
परियोजना के तहत ट्यूबवेल निर्माण को लेकर नौ जगह विवाद की स्थिति बनी हुई है। इनमें दो जगह बनियावाला स्थित स्कूल में लगने हैं, लेकिन यहां पर ट्यूबवेल निर्माण को लेकर क्षेत्रवासियों में सहमति नहीं बन पा रही है। यही स्थिति मिलन केंद्र बडोवाला, एसबीआइ कॉलोनी, लक्ष्मणगढ़ी, ठाकुरपुर आदि शामिल हैं। ऐसे में जब तक विवाद खत्म नहीं हो जाता तब तक ट्यूबवेल का निर्माण करवाना मुश्किल है।
सिंचाई विभाग के ट्यूबवेलों से चलाया जा रहा काम
मेहूंवाला कलस्टर के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर पानी की भारी किल्लत बनी हुई है, ऐसे में पेयजल निगम ने सिंचाई विभाग के साथ समझौता कर सिंचाई वाले सात ट्यूबवेलों से क्षेत्रवासियों को पेयजल सप्लाई किया जा रहा है। सिंचाई विभाग के ट्यूबवेल काफी पुराने होने के कारण आए दिन इनमें कोई न कोई खराबी हो जाती है।(