नौ मीटर गहरी है ऋषिगंगा पर बनी झील, नौसेना के गोताखोरों ने ईको सेंसर्स से मापी झील की गहराई
चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा पर बनी झील की गहराई मापने में कामयाबी मिल गई। इसे आठ से नौ मीटर गहरा पाया गया है। झील को लेकर खतरे की सही स् ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, देहरादून: चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा पर बनी झील की गहराई मापने में कामयाबी मिल गई। इसे आठ से नौ मीटर गहरा पाया गया है। नौसेना के गोताखोरों ने शनिवार को झील की गहराई मापने के अहम काम को अंजाम दिया। झील को लेकर खतरे की सही स्थिति का अंदाजा लगाने को अब वैज्ञानिकों का दल रविवार को मौका मुआयना करेगा। यह दल झील के पास पहुंच चुका है। झील से पानी की निकासी या इसे तोडऩे अथवा नहीं तोडऩे के बारे में फैसला और इसके लिए उपायों की तलाश वैज्ञानिकों से मिलनी वाली अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर तय की जाएगी।
बीती सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने से उफनाई ऋषिगंगा और धौलीगंगा भारी तबाही मचा चुकी हैं। हालत ये है कि इस आपदा में लापता हुए व्यक्तियों को अब तक खोजा नहीं जा सका है। शवों को ढूंढऩे के साथ राहत व बचाव कार्यों के जारी रहने के बीच चमोली जिले में मुरेंडा गांव से आगे ऋषिगंगा पर मलबे से बनी करीब 300 मीटर झील की जानकारी ने सरकार, वैज्ञानिकों और बचाव व राहत कार्यों में लगे दलों के माथे पर बल डाल दिए हैं। इस बीच झील से तीन स्थानों से जल निकासी का पता चलने के बाद कुछ राहत मिली। ये झील अब चिंता का सबब बनी हुई है। केंद्रीय गृह सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से लेकर हिमालय व पर्यावरणीय व भू विज्ञान संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक इस समस्या से निपटने के तरीके तलाश रहे हैं।
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यह तय किया गया कि ऋषिगंगा पर बनी इस झील की गहराई मापी जाए। शनिवार को नौसेना के गोताखोरों ने ईको सेंसर्स से झील की गहराई माप डाली। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि भूविज्ञानियों का दल झील के समीप पहुंच चुका है। यह दल रविवार को स्थलीय निरीक्षण करने के बाद झील के बारे में अपनी राय देगा। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एसडीआरएफ की डीआइजी रिद्धिम अग्रवाल ने वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के बाद करीब नौ मीटर यानी करीब 27 फीट गहरी झील के बारे में अहम निर्णय लिया जा सकेगा।

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