सीजन की पहली बर्फबारी सेब के लिए वरदान, रिचार्ज होंगे सूखे जलस्त्रोत
सीजन की पहली बर्फबारी से ग्रामीणों के चेहरे खिलखिला उठे हैं। सीजन की पहली बर्फबारी सेब के लिए वरदान साबित होती है।
By Edited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 10:04 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 03:44 PM (IST)
v style="text-align: justify;">त्यूणी(देहरादून), चंदराम राजगुरु। दिसबंर माह के शुरुआती चरण की बर्फबारी पर्वतीय फलों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। जौनसार-बावर और बंगाण क्षेत्र में कृषि-बागवानी पर निर्भर सैकडों ग्रामीण परिवारों के लिए दिसबंर माह की बर्फबारी खुशियों की सौगात लाई है। ग्रामीण किसान-बागवानों में मौसम के पहले हिमपात से कृषि फसलों व सेब की पैदावर बंपर होने की उम्मीद जागी है।
मौसम की बेरुखी के कारण बागवानी में लगातार दो साल से नुकसान झेल रहे किसानों को इस बार समय रहते अच्छी बर्फबारी होने से चेहरे पर रोनक लौट आई। जानकारों की माने तो चिलिंग पीरियड में हुई इस बर्फबारी से पहाड़ के ऊंचे इलाकों में लंबे समय तक नमी रहने से फसल व पर्वतीय फलों के उत्पादन में पहले से कई गुना ज्यादा इजाफा होगा। देहरादून जनपद के सबसे ज्यादा सेब उत्पादन वाले त्यूणी और चकराता तहसील क्षेत्र के सैकडों ग्रामीण परिवारों की आजीविका कृषि-बागवानी पर निर्भर है।
जौनसार-बावर के डिरनाड़, बागी, निनूस, ओवरासेर, कथियान, भटाड़, छजाड़, डांगूठा, ऐठान, फनार, किस्तुड़, सारनी, खादरा, बाणाधार, मेघाटू, मुंधोल, सैंज-कुनैन, कुल्हा, रडू, बुल्हाड़, कोटी-कनासर, डूंगरी, बेगी-बागनी, सैंज-तराणू व खाटुवा समेत आसपास के ऊंचाई वाले ग्रामीण इलाकों में करीब तीन हजार से अधिक छोटे-बड़े सेब बगीचे हैं। यहां पर्वतीय फलों में सेब, आड़ू खुमानी, पुलम व नाशपाती की पैदावार अच्छी होती है।
जौनसार-बावर के त्यूणी से सटे बंगाण क्षेत्र के मासमोर, कोठीगाड़ व पिंगल पट्टी में करीब दो हजार सेब के बाग हैं। मौसम के साथ देने से यहां हजारों मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। लेकिन बीते वर्ष-2017 में मौसम की बेरुखी के कारण जौनसार-बावर के शिलगांव, फनार, बावर, देवघार, कांडोई-भरम व कंडमाण क्षेत्र में भारी ओलावृष्टि से सेब उत्पादन में 60 से 70 फीसद गिरावट दर्ज की गई।
राजस्व विभाग की सर्वे रिपोर्ट में सेब फसल को सबसे ज्यादा नब्बे फीसद नुकसान शिलगांव क्षेत्र में होने की पुष्टि की गई। जिससे बागवानों की कमर टूट गई। बागवानी में लगातार दो साल से नुकसान झेल रहे क्षेत्र के सैकड़ों किसानों के चेहरे इस बार दिसबंर माह के शुरुआती चरण की बर्फबारी से खिल उठे। जानकारों के मुताबिक 15 दिसबंर से 15 जनवरी के बीच का समय चिलिंग पीरियड कहलाता है।
इस दौरान बारिश व बर्फबारी होने से पहाड़ के सेब उत्पादन वाले ऊंचे इलाकों में लंबे समय तक नमी रहती है। ग्रामीण बागवानों में चिल्हाड़ के पिताबंरदत्त बिजल्वाण, डूंगरी के मातबर सिंह चौहान, बुल्हाड़ के विजयपाल सिंह रावत, मेघाटू के संतराम जिनाटा ने कहा कि दिसबंर माह की बर्फबारी कृषि फसलों व सेब उत्पादन के लिए काफी फायदेमद है। वहीं, सचल केंद्र त्यूणी व चौसाल के प्रभारी उद्यान अधिकारी आरपी जसोला का कहना है कि दिसबंर माह की बर्फबारी पर्वतीय फलों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमद है। सीजन की पहली बर्फबारी से इस बार सेब का उत्पादन काफी अच्छा रहेगा।
बर्फबारी से रिचार्ज होंगे सूखे जलस्त्रोत
दिसबंर माह के शुरुआती चरण की बर्फबारी से जौनसार-बावर में पेयजल संकट झेल रहे अटाल, सैंज, मेघाटू, कुल्हा, मैंद्रथ, रायगी, डूंगरी, भंद्रोली, हनोल, चातरा, कथियान, फनार, भूठ, लाखामंडल, क्वांसी, चकराता, लोहारी, कोटी व नागथात समेत आसपास के कई ग्रामीण इलाकों में सूखने की कगार पर पहुंचे जलस्त्रोत दोबारा से रिचार्ज होंगे। जिससे लोगों को गर्मी के दिनों में पेयजल समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
ये हैं सेब की प्रजातियां
जौनसार-बावर व बंगाण क्षेत्र के ऊंचाई वाले ग्रामीण इलाकों में स्पर प्रजाति, रेड डिलीसियस, रॉयल डिलीसियस, गोल्डन डिलीसियस व स्टार किंग डिलीसियस सेब प्रजाति की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है।
2017 में हुआ सबसे कम उत्पादन
कृषि-बागवानी को बढ़ावा देने के लिए जौनसार-बावर परगने के त्यूणी, चौसाल व कोटी-कनासर में खोले गए तीन उद्यान सचल दल केंद्र से करीब पांच हजार ग्रामीण बागवान जुडे हैं। उद्यान सचल दल केंद्र त्यूणी में वर्ष-2012 में 1332 मीट्रिक टन, वर्ष-2013 में 1430, वर्ष-2014 में 1540, वर्ष-2015 में 1620, वर्ष-2016 में 1390 व वर्ष-2017 में करीब 950 मीट्रिक टन सेब उत्पादन रहा।
इसके अलावा उद्यान सचल दल केंद्र कोटी-कनासर में वर्ष-2012 में 1350 मीट्रिक टन, वर्ष-2013 में 1495, वर्ष-2014 में 1585, वर्ष-2015 में 1720, वर्ष-2016 में 1290 व वर्ष-2017 में करीब 1100 मीट्रिक टन सेब उत्पादन रहा। उद्यान सचल दल केंद्र चौसाल में वर्ष-2012 में 1320 मीट्रिक टन, वर्ष-2013 में 1410, वर्ष-2014 में 1550, वर्ष-2015 में 1690, वर्ष-2016 में 1400 व वर्ष-2017 में करीब 750 मीट्रिक टन सेब उत्पादन रहा।
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