एतिहासिक झंडा मेले में पहुंचा संगतों का पहला जत्था, रौनक शुरू
संगतों का पहला जत्था एतिहासिक झंडा मेले में पहुंच गया है। इसी के साथ श्री दरबार साहिब में संगतों के और जत्थों का पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
देहरादून, जेएनएन। देहरादून के एतिहासिक झंडा मेला में संगतों का पहला जत्था पहुंच गया है। इसी के साथ श्री दरबार साहिब में संगतों के और जत्थों का पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। श्री दरबार साहिब में संगतों के पहुंचते ही रौनक भी शुरू हो गई है। अब संगत श्री झंडा साहिब का गिलाफ सिलना भी शुरू कर देंगी।
हरियाणा से रवाना हुआ संगतों का जत्था मंगलवार शाम करीब पांज बजे श्री दरबार साहिब में पहुंचा। जत्थे ने दर्शनी गेट से प्रवेश किया, जहां उनका फूलों के साथ भव्य स्वागत हुआ। संगतों ने श्री दरबार साहिब के महंत श्री देवेंद्र दास से आशीर्वाद लिया। वहीं, मंगलवार शाम से श्री दरबार साहिब में चहल-पहल शुरू हो गई है। श्री दरबार साहिब में पहुंचते ही संगत सेवा में जुट गई हैं।
श्री दरबार साहिब प्रबंधन समिति के व्यवस्थापक कैलाशचंद्र जुयाल ने बताया कि अब रोजाना संगतों का जत्था प्रस्थान करता रहेगा। 25 मार्च को श्री झंडा जी का आरोहण होगा, इसके लिए संगतें गिलाफ सिलना शुरू करेंगी।
रोशनी में नहाया श्री दरबार साहिब
श्री दरबार साहिब को फूल व लाइटों से सजा दिया है। शाम ढलते ही श्री दरबार साहिब में लगी लाईटें जगमग होने लगी हैं। रंग-बिरंगी लाइटों में पूरी इमारत दूधिया रोशनी से नहाती नजर आ रही है।
ये होंगे कार्यक्रम
22 व 23 मार्च: संगतें दरबार में प्रवेश करेंगी और इसके बाद श्री झंडा साहिब के गिलाफ की सिलाई शुरू की जाएगी। इस दौरान लंगर भी चलेगा।
24 मार्च: उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से सेवक श्री दरबार साहिब झंडा परिसर और महाराज जी के समक्ष मत्था टेकेंगे। सायंकाल में पूर्वी संगत के मसंदों को महाराज जी पगड़ी, प्रसाद, ताबीज व आशीर्वाद देंगे।
25 मार्च: सुबह आठ से नौ बजे तक श्री झंडा जी को उतारा जाएगा। श्री झंडा जी को दही, घी, गंगा जल से स्नान कराया जाएगा। शाम करीब पांच बजे श्री झंडा जी का आरोहण किया जाएगा।
27 मार्च: नगर की परिक्रमा की जाएगी। श्री दरबार साहिब से परिक्रमा प्रारंभ होकर सहारनपुर चौक, कांवली रोड होते हुए एसजीआरआर बिंदाल, तिलक रोड होते हुए श्री दरबार साहिब में संपन्न होगी। इसके बाद संगतों की विदाई शुरू होगी।
28 मार्च: दशमी को अगले साल (सन् 2020) के लिए गिलाफ लिखे जाएंगे।
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