दरबार साहिब में होने लगी झंडा मेले की तैयारियां, इस दिन से होगा शुरू
चैत्र कृष्ण पंचमी यानी 25 मार्च से शुरू होने वाले दूनघाटी के एतिहासिक झंडा मेला की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
देहरादून, दीपिका नेगी। होली के पांच दिन बाद चैत्र कृष्ण पंचमी (25 मार्च) से शुरू होने वाले दूनघाटी के एतिहासिक झंडा मेला की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मेला शुरू होने से पहले दरबार श्री गुरु राम राय महाराज के श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज संगत को लेने पैदल सहसपुर तक जाएंगे। इसके बाद परंपरा के अनुसार वहां से कांवली गांव होते हुए संगत को दरबार साहिब लाया जाएगा। पंचमी तिथि को झंडेजी के आरोहण के साथ एक माह तक चलने वाले मेले की शुरुआत हो जाएगी।
झंडा मेला की कहानी
देहरादून के जन्म और विकास की गाथा दरबार साहिब श्री गुरु राम राय से ही आरंभ होती है। नानक पंथ के सातवें गुरु हरराय महाराज के च्येष्ठ पुत्र रामराय ने इसी स्थान पर झंडा चढ़ाया था। कालांतर में दून में पनपी इस मेले की ख्याति पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश व दिल्ली तक फैल गई। आज तो विदेशों से भी बड़ी संख्या में संगत मेले का हिस्सा बनती है।
दूनघाटी का वार्षिक समारोह बना झंडा मेला
वर्ष 1675 में चैत्र कृष्ण पंचमी के दिन गुरु रामराय महाराज के कदम दून की धरती पर पड़े। वर्ष 1676 इसी दिन उनकी प्रतिष्ठा में एक बड़ा उत्सव मनाया गया। यहीं से झंडा मेला की शुरुआत हुई, जो कालांतर में दूनघाटी का वार्षिक समारोह बन गया। यह वह दौर है, जब देहरादून एक छोटा-सा गांव हुआ करता था। मेले में पहुंचने वाले लोगों के लिए भोजन का इंतजाम करना आसान नहीं था। इसी को देखते हुए श्री गुरु रामराय महाराज ने ऐसी व्यवस्था बनाई कि दरबार की चौखट में कदम रखने वाला कोई भी व्यक्ति भूखा न लौटे। इसके लिए उन्होंने दरबार में एक सांझा चूल्हे की स्थापना की, जिसकी आग आज भी निरंतर जल रही है।
दर्शनी गिलाफ से सजते हैं झंडेजी
झंडा मेले में झंडेजी पर गिलाफ चढ़ाने की भी अनूठी परंपरा है। चैत्र पंचमी के दिन झंडे की पूजा-अर्चना के बाद पुराने झंडेजी को उतारा जाता है और ध्वज दंड में बंधे पुराने गिलाफ, दुपट्टे आदि हटाए जाते हैं। दरबार साहिब के सेवक दही, घी व गंगाजल से ध्वज दंड को स्नान कराते हैं। इसके बाद शुरू होती है झंडेजी को गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया। झंडेजी पर पहले सादे (मारकीन के) और फिर शनील के गिलाफ चढ़ते हैं। सबसे ऊपर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है और फिर पवित्र जल छिड़ककर भक्तजनों की ओर से रंगीन रुमाल, दुपट्टे आदि बांधे जाते हैं।
अराइयांवाला में पुराने श्री झंडे जी का आरोहण
देहरादून में होने वाले एतिहासिक श्री झंडा मेला की तैयारियां शुरू हो गई हैं। रविवार को इस कड़ी में श्री दरबार साहिब में झंडा साहिब की विशेष पूजा-अरदास की गई। वहीं, दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्री महंत देवेंद्र दास महाराज के नेतृत्व में संगतों का एक दल आराइयांवाला (हरियाणा) के लिए रवाना हुआ और विधिवत एवं हर्षोल्लास के साथ श्री झंडा साहिब का आरोहण किया।
सुबह नौ बजे श्री दरबार साहिब से सौ सदस्यीय जत्था अराइयांवाला (हरियाणा) के लिए रवाना हुआ और दोपहर 12 बजे अराइयावाला पहुंचा, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। वहां पूरे श्रद्धाभाव से पुराने झडे जी को उतारा गया। श्री दरबार साहिब के जन संपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने कहा कि पुराने झंडे जी को विधि-विधान से दूध, दही, घी, मक्खन, गंगा जल और पंचगव्य से स्नान कराया गया। सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति में 60 फीट ऊंचे झंडे जी को चढ़ाया गया। देर शाम तक संगतों ने श्री गुरु राम राय महाराज जी के जयकारे लगाए।
संगतों ने देहरादून की ओर प्रस्थान शुरू किया श्री दरबार साहिब के पुजारी, श्री महंत देवेंद्र दास महाराज का हुक्मनामा लेकर बड़ा गांव (हरियाणा) से देहरादून की ओर रवाना हो गए। मान्यता है कि इसके बाद से संगतें पैदल देहरादून की ओर प्रस्थान करती हैं। इसी के साथ पंजाब समेत अन्य राज्यों से संगतों के जत्थे देहरादून के श्री झंडा साहिब की ओर पैदल निकलने शुरू हो गए हैं। अब यहां रोजाना संगतों के जत्थों के पहुंचते रहेंगे।
ये हैं कार्यक्रम
19 मार्च
शाम को पैदल संगत श्री दरबार साहिब में पहुंचेगी। श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज की अगुआई में श्री दरबार साहिब प्रबंधन द्वारा पैदल संगत का भव्य स्वागत किया जाएगा व पैदल संगत महंत देवेंद्र दास जी महाराज से आशीर्वाद लेंगी। हर बार की तरह संगतें दर्शनी गेट से श्री दरबार साहिब में प्रवेश करेंगी।
22 मार्च
देश-विदेश में रहे रहे सिख समुदाय के लोग देहरादून के श्री दरबार साहिब में पहुंचेंगे।
25 मार्च
दरबार साहिब झंडे जी के आरोहण के साथ मेले का शुभारंभ हो जाएगा।
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