आजादी के बाद यहां तैयार हुई टनल, नहीं लगेगा जाम
देहरादून में मां डाट काली के पास चल रहे टनल की खुदार्इ का काम पूरा हो गया है। मकर संक्रांति के अवसर पर ये कार्य पूरा किया गया।
देहरादून, [जेएनएन]: मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर डाटकाली टनल के भीतर सूरज का प्रकाश आरपार हो ही गया। यह घड़ी थी डाटकाली टनल के दोनों तरफ खुल जाने की और यह टनल निर्माण का सबसे अहम पड़ाव भी था, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग खंड रुड़की ने सफलतापूर्वक पार कर लिया।
खंड के सहायक अभियंता डीसी नौटियाल के मुताबिक, किसी भी टनल निर्माण में उसे दोनों तरफ मिलाने तक का कार्य बेहद चुनौतीभरा होता है। क्योंकि इस दौरान खुदाई के समय काफी सावधानी की जरूरत होती है। ताकि इस दौरान ऊपर का भाग नीचे न आ गिरे।
इसके अलावा टनल की खुदाई दोनों छोर से की जाती है। कई बार खतरा रहता है कि दोनों छोर कहीं आपस में मिले ही नहीं। हालांकि, डाटकाली टनल को राज्य में अब तक सुरंग निर्माण की सबसे उन्नत तकनीक से किया जा रहा है और यही कारण है कि बेहद आसानी यह टनल दोनों तरफ खुल गई है। अब टनल पर किए जाने वाले कार्य उतने चुनौतीभरे नहीं हैं।
वहीं, राजमार्ग यूनिट के मुख्य अभियंता स्तर-प्रथम ने टनल निर्माण में मिली इस सफलता पर राजमार्ग खंड की टीम व निर्माण कंपनी भारत कंस्ट्रक्शन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अब निर्माण की गति और तेज होनी चाहिए। ताकि टनल अपनी समयसीमा मई 2019 से पहले ही जनता को समर्पित कर दी जाए।
टनल पर एक नजर
कुल लंबाई 330 मीटर
उत्तराखंड के हिस्से में एप्रोच रोड 255 मीटर
उत्तर प्रदेश के हिस्से में एप्रोच रोड 105 मीटर
बीच का कोर हिस्सा 11.50 मीटर
पुरानी टनल 1921 में ब्रिटिश शासन में बनी
वर्तमान में जिस संकरी डाटकाली टनल से वाहनों की आवाजाही होती है, उसका निर्माण वर्ष 1921 में ब्रिटिश शासन में किया गया था। आज के यातायात दबाव के लिहाज से टनल बेहद संकरी हो गई है। इसके चलते डाटकाली के पूरे क्षेत्र में जाम की स्थिति बनी रहती है।
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