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बारिश और बर्फबारी से पारे ने लगाया गोता, किसानों के चेहरे खिले

पहाड़ पर बर्फबारी और मैदान में हुई बारिश से उत्तराखंड के तापमान में गिरावट दर्ज होने लगी। वहीं बारिश से किसानों के चेहरे भी खिल उठे। यह बारिश और बर्फबारी खेती के लिए लाभकारी है।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 26 Feb 2018 12:27 PM (IST)Updated: Thu, 01 Mar 2018 10:42 AM (IST)
बारिश और बर्फबारी से पारे ने लगाया गोता, किसानों के चेहरे खिले
बारिश और बर्फबारी से पारे ने लगाया गोता, किसानों के चेहरे खिले

देहरादून [जेएनएन]: पहाड़ पर बर्फबारी और मैदान में हुई बारिश के कारण तापमान ने एक बार फिर गोता लगाया है। इससे ठंडक बढ़ गई है। हालांकि मौसम विज्ञान केंद्र का कहना है कि सोमवार को दून में आसमान आमतौर पर साफ रहेगा, मगर 35 सौ मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी की संभावना बनी हुई है। वहीं, बारिश से किसानों के चेहरे भी खिल उठे। 

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शनिवार रात से रविवार सुबह तक बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री समेत औली, हेमकुंड, चकराता व कुमाऊं की ऊंची चोटियों में बर्फबारी हुई। जबकि निचले इलाके चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी व उत्तरकाशी जिले में बारिश से एकाएक ठंड बढ़ गई है। 

केदारनाथ मंदिर परिसर में डेढ़ फिट तक बर्फ गिरने से समूचे क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। देहरादून में 0.41, टिहरी में 10.4 मिलीमीटर, पंतनगर में 13.3 एवं मुक्तेश्वर में 07.4 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई।

मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्वानुमान के अनुसार दून में आसमान आमतौर पर साफ रहेगा। अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: 26 व 10 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। 

प्रदेश की बात करें तो तकरीबन सभी स्थानों पर हल्के बादल छाने की संभावना है। कहीं-कहीं पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है। 3500 मीटर एवं उससे अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में बर्फबारी की संभावना है।

फसलों के लिए लाभदायक है बारिश  

दिसंबर और जनवरी महीने में पूरे सूबे में औसत से बेहद कम हुई बारिश से किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। फरवरी माह का पहला पखवाड़ा भी बिना बारिश के ही गुजर जाने से किसानों की चिंताएं और बढ़ गईं थीं। लेकिन, शनिवार रात को हुई बारिश से किसान खुश हैं। 

कृषि निदेशक गौरीशंकर ने बताया कि बारिश एवं बर्फबारी लगभग सभी फसलों के लिए लाभदायक है। विशेषकर रवि, सरसों, दलहन, हरी सब्जियां, मटर, टमाटर समेत सेब, नाशपाती आदि फलों के लिए बारिश बेहद लाभदायक रही। 

उन्होंने बताया कि प्रदेश के किसी भी क्षेत्र से भारी ओलावृष्टि की जानकारी नहीं है। फिर भी कहीं हल्के ओले पड़े भी हैं तो इस समय किसी भी फसल के लिए इससे नुकसान नहीं होगा। क्योंकि फलदार पौधों में इस समय फ्लावरिंग पीरियड चल रहा है। ओले से नुकसान का असर फूल के तुरंत बाद बनने वाले छोटे-छोटे फलों पर पड़ता है।

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