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दुर्गम में तैनात शिक्षक 10 फीसद प्रावधान पर भड़के, पढ़िए पूरी खबर

10 फीसद ही अनिवार्य तबादले का प्रावधान शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। दुर्गम और सुगम में लंबे अरसे से जमे शिक्षकों के बीच इस प्रावधान ने फूट डाल दी है।

By Edited By: Published: Sun, 12 May 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 06:09 PM (IST)
दुर्गम में तैनात शिक्षक 10 फीसद प्रावधान पर भड़के, पढ़िए पूरी खबर

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v style="text-align: justify;">देहरादून, राज्य ब्यूरो। चालू शैक्षिक सत्र में 10 फीसद ही अनिवार्य तबादले का प्रावधान शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। दुर्गम और सुगम में लंबे अरसे से जमे शिक्षकों के बीच इस प्रावधान ने फूट डाल दी है। 11 पर्वतीय जिलों में दुर्गम में जमे बड़ी संख्या में शिक्षक इस प्रावधान से भड़क गए हैं। सुगम में उतरने की राह बंद होने से खफा ये शिक्षक तबादला एक्ट को लागू करने और 10 फीसद प्रावधान को खत्म करने की पैरवी कर रहे हैं। वहीं मैदानी जिलों हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के शिक्षक दुर्गम में जाने की नौबत आने के भय से उक्त प्रावधान के पक्ष में उतर पड़े हैं। 
राजकीय शिक्षक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी की शनिवार को आयोजित बैठक में तबादलों को लेकर शिक्षक नेता ही दो फाड़ नजर आए। बैठक में संघ ने अंतरमंडलीय तबादलों को दोबारा से खोलने की मांग भी की। संघ का प्रतिनिधिमंडल आचार संहिता खत्म होने के बाद उक्त संबंध में शिक्षा मंत्री के साथ ही शासन स्तर पर आला अधिकारियों से मुलाकात करेगा। लघु सिंचाई महकमे के जोगीवाला स्थित सभागार में शनिवार को आयोजित संघ की प्रांतीय बैठक में प्रांतीय पदाधिकारियों, मंडलीय और जिला इकाइयों के पदाधिकारियों ने बड़ी संख्या में शिरकत की। 
बैठक में शिक्षकों के तमाम बड़े मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन गहमागहमी के केंद्र में तबादले का मुद्दा ही रहा। इस मौके पर शिक्षक नेताओं ने कहा कि दो साल से तबादला सत्र शून्य है। ऐसे में बड़ी संख्या में शिक्षक दुर्गम से सुगम में आने की बाट जोह रहे हैं। पर्वतीय जिलों से आए संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षो से तैनात शिक्षकों के लिए सुगम में आने का रास्ता बंद है। 10 फीसद ही तबादले किए जाने के प्रावधान से दुर्गम में कार्यरत शिक्षकों में रोष है। तबादलों में पारदर्शिता के लिए एक्ट लागू किया गया, लेकिन उसमें अमल नहीं हो पा रहा है। 
शिक्षक नेताओं ने तल्ख होते हुए कहा कि एक्ट लागू करने का उद्देश्य सफल नहीं हो पा रहा है। 10 फीसद का प्रावधान तबादलों में मनमानी का उदाहरण है। अंतरमंडलीय तबादले हों वहीं हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की जिला इकाइयों के पदाधिकारी और अन्य शिक्षक नेता 10 फीसद तबादलों के सरकार के फैसले के पक्ष में डटे रहे। संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी और महामंत्री सोहन सिंह माजिला ने कहा कि शिक्षकों की इस मांग को उचित स्तर पर उठाया जाएगा। बैठक में तबादला एक्ट में अंतर मंडलीय तबादलों पर साधी गई चुप्पी को भी निशाने पर लिया। 
उन्होंने कहा कि अंतरमंडलीय तबादलों पर रोक नहीं होनी चाहिए। इस संबंध में एक्ट में व्यवस्था आवश्यक है। वेतनवृद्धि की रिकवरी से रोष बैठक में एलटी शिक्षकों से वेतन वृद्धि की रिकवरी किए जाने पर भी संघ के नेताओं ने आपत्ति की। उन्होंने कहा कि आहरण वितरण अधिकारी की ओर से 1999 से 2005 के बीच नियुक्त एलटी शिक्षकों को उक्त वेतन वृद्धि दी गई। अब दस साल बाद उक्त वेतन वृद्धि की रिकवरी का औचित्य नहीं है। गौरतलब है कि आचार संहिता हटने के बाद उक्त प्रकरण में संघ के प्रत्यावेदन पर वित्त महकमे की ओर से बैठक बुलाई गई है। संघ ने कहा कि उक्त रिकवरी से करीब ढाई हजार शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। 
संघ ने यात्रा अवकाश की व्यवस्था बहाल करने की मांग भी की। ऑनलाइन अपडेट हो सेवापुस्तिका शिक्षक नेताओं ने बैठक में एलटी से प्रवक्ता पदों पर पदोन्नति तुरंत करने की मांग की। उन्होंने कहा कि वार्षिक चरित्र पंजिका अपडेट न होने का खामियाजा शिक्षकों को पदोन्नति में देरी के रूप में भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने सेवापुस्तिका और चरित्र पंजिका को ऑनलाइन अपडेट करने पर जोर दिया। 
बैठक में संघ के प्रांतीय संरक्षक एमएम सिद्दिकी, प्रांतीय उपाध्यक्ष मुकेश बहुगुणा, संयुक्त मंत्री योगेश घिल्डियाल, कोषाध्यक्ष अनुज चौधरी, गढ़वाल मंडलीय अध्यक्ष रविंद्र सिंह राणा, अल्मोड़ा जिलाध्यक्ष हीरा सिंह बोरा, पिथौरागढ़ जिलाध्यक्ष गोविंद सिंह भंडारी समेत गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के विभिन्न जिलों से पदाधिकारी मौजूद थे।

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