सरकारी सिस्टम में दून महिला अस्पताल में बंधक बन गए जच्चा-बच्चा
दून महिला अस्पताल में बच्चा बदलने के कथित मामले में सिस्टम संवेदनहीन दिख रहा है। इस मामले में तीन दिन बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है।
देहरादून, जेएनएन। दून महिला अस्पताल में बच्चा बदलने के कथित मामले में सिस्टम संवेदनहीन दिख रहा है। तीन दिन बाद भी इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। न ही डीएनए टेस्ट की कोई प्रक्रिया शुरू हुई है। शिकायतकर्ता यहां-वहां भटक रहा है और अस्पताल प्रशासन व पुलिस एक-दूसरे का मुंह ताक रहे हैं। इस स्थिति में जच्चा-बच्चा अस्पताल में ‘बंधक’ बन गए हैं।
बता दें, मंगलवार रात दून महिला अस्पताल में बच्चा बदले जाने को लेकर हंगामा हुआ था। डोभालवाला निवासी महिला का आरोप है कि उसे बेटा हुआ, जबकि शाम को बेटी बता दिया। परिजनों का कहना है कि स्टाफ ने उन्हें सुबह बताया कि उनका लड़का हुआ है, जिसकी स्थिति गंभीर होने की वजह से उसे निक्कू वार्ड में भर्ती किया गया है। जबकि शाम को बताया गया कि उनकी लड़की हुई है। इस पर परिजन अस्पताल के स्टाफ पर भड़क गए। बच्चे को जन्म देने वाली महिला का कहना है कि उसे लड़का दिखाया भी गया था। परिजनों ने स्टाफ पर बच्चा बदलने का भी आरोप लगाया है। बुधवार को परिजनों ने इस मामले की तहरीर पुलिस में दी। शहर कोतवाल एसएस नेगी ने बताया कि मामले में स्वास्थ्य विभाग जांच कर रहा है। जांच के बाद जो रिपोर्ट आएगी, उसके अनुसार विधिक कार्रवाई की जाएगी।
इधर, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि पुलिस की टीम अस्पताल आई थी। उनकी तरफ से इस मामले की पूरी जानकारी ली गई है। पुलिस मामला दर्ज कर मजिस्ट्रेट की अनुमति से डीएनए जांच कराए। अस्पताल के स्तर पर जो सहयोग होगा वह दिया जाएगा। जब तक बच्चे का डीएनए टेस्ट नहीं होता, तब तक दोनों को डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा।
महिला ने पिलाया बच्चे को दूध
अस्पताल के स्टाफ पर बच्चा बदलने का आरोप लगाने वाली महिला का मातृत्व आखिर जाग गया। वह अब बच्ची को दूध पिलाने लगी है। बता दें, इस मामले में एक महिला के लड़का और दूसरी के लड़की हुई है। लड़के को तो मां का आंचल मिल गया, पर लड़की को दुत्कार दिया गया। गुरुवार को बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी के अनुरोध पर महिला ने बच्ची को दूध पिलाया, पर बाद में दूध पिलाने से मना कर दिया। पर शुक्रवार को अपनी भूल का अहसास उसे हुआ।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि बेटी को एक मां के द्वारा दूध न पिलाने की घटना से मन व्यथित है। प्रदेश में 80 प्रतिशत आबादी शिक्षित होने के बाद भी इस प्रकार की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है।
सीएमओ कार्यालय ने शुरू की जांच
शिकायतकर्ता उमेश शाह ने मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता से भी मामले की शिकायत की। जिस पर उन्होंने मामले की जांच बैठा दी है। एसीएमओ डॉ. केके सिंह की अध्यक्षता में इस टीम ने शुक्रवार को अस्पताल पहुंचकर मामले की जानकारी ली।
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