coronavirus के मोर्चे पर सिस्टम की ये खामियां, खड़ी कर रही चुनौतियां; जानिए
राज्य में चुनौतियां अभी बरकरार हैं और कोरोना का खतरा टला नहीं है क्योंकि सिस्टम में अब भी कई झोल नजर आ रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना की सांख्यिकी से सिस्टम गदगद जरूर है, लेकिन इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि राज्य में चुनौतियां अभी बरकरार हैं और कोरोना का खतरा टला नहीं है। क्योंकि सिस्टम में अब भी कई झोल नजर आ रहे हैं। एक नहीं, कई उदाहरण हैं, जहां कोरोना के मोर्चे पर लापरवाही उजागर हुई है। जिससे कई दिक्कतें पैदा की।
पिछले कुछ दिन से जिस तरह बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी लौट रहे हैं और एक जनपद से दूसरे जनपद में लोगों का आवागमन हो रहा है, उससे भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यही नहीं, लॉकडाउन के तीसरे चरण में मिली छूट का जिस तरह दुरुपयोग किया जा रहा है, वह भी खतरे का ही सिग्नल है। आशंका यह है कि स्थिति नियंत्रित होते-होते यकायक मुश्किलें बढ़ न जाएं। जानकार इसे कोरोना संक्रमण के लिहाज से खतरनाक मानते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही ऊधमसिंहनगर कोरोना मुक्त होने की तरफ बढ़ रहा था। पर परिस्थितियां एकाएक बदल गई। अब उत्तरकाशी ने एक नयी चिंता को जन्म दे दिया है। ऐसे में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए की गई तैयारियों को रफ्तार देनी होगी। ताकि आने वाले दिनों में चुनौतियां और न बढ़ सकें।
केस-1
गदरपुर निवासी मामा-भांजा आठ मई को मुंबई से 1400 किमी की दूरी तय कर टेंपो से रुद्रपुर पहुंचे। यह लोग कुशारघाट, झांसी, एटा व बरेली रुकते हुए आए। किच्छा में पुलिस ने इन्हें रोक लिया और ट्रेवल हिस्ट्री जानने के बाद जिला अस्पताल भेज दिया। ताज्जुब ये कि सैंपल लेकर इन्हें भेज दिया गया। उनमें कोरोना का पुष्टि होने के बाद अब संपर्क में आए छह और लोगों को आइसोलेट किया गया है।
केस-2
बीते माह बाजपुर के राजीव नगर क्षेत्र का रहने वाला ट्रक चालक कोरोना पॉजिटव पाया गया था। वह सामान लेकर हिमाचल प्रदेश गया था। लौटने के बाद उसे संस्थागत के बजाय होम क्वारंटाइन किया गया। सैंपल भी तब लिया गया, जब उसकी तबीयत बिगड़ी। उसके कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद न केवल मोहल्ला सील, बल्कि उसके संपर्क में आए लोगों को भी क्वारंटाइन करना पड़ा।
केस-3
बाहरी राज्यों से जिन प्रवासियों को वापस लाया जा रहा है, उनकी एकाध जगह पर सिर्फ थर्मल स्क्रीनिंग ही की जा रही है। किसी में लक्षण मिल मिलने पर ही आइसोलेशन या संस्थागत क्वारंटाइन में भेजा जा रहा है। जबकि अन्य को होम क्वारंटाइन की सलाह दी जा रही है। एक जनपद से दूसरे जनपद में आ-जा रहे लोगों के लिए भी यही नियम लागू हो रहे हैं।