देहरादून के कैंट क्षेत्र का सीमांकन करेगा सर्वे ऑफ इंडिया Dehradun News
देहरादून कैंट बोर्ड की सीमा को लेकर उपजे विवाद को देखते हुए मुख्य अधिशासी अधिकारी (सीईओ) तनु जैन ने पूरे सीमा क्षेत्र का सर्वे कराने का निर्णय लिया है।
देहरादून, जेएनएन। देहरादून कैंट बोर्ड की सीमा को लेकर उपजे विवाद को देखते हुए मुख्य अधिशासी अधिकारी (सीईओ) तनु जैन ने पूरे सीमा क्षेत्र का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इसको लेकर सीईओ ने सर्वे ऑफ इंडिया को पत्र भेजा है।
सीईओ की ओर से भेजे गए पत्र में हॉस्टल सीलिंग प्रकरण को लेकर उपजे हालिया विवाद से जुड़े विशेष की जगह पूरे क्षेत्र का सर्वे कराने का आग्रह किया है। सीईओ तनु जैन ने बताया कि कैंट बोर्ड का गठन वर्ष 1942 में किया गया था। उस समय एक बड़ा क्षेत्र कैंट बोर्ड के अधीन आ गया था और संबंधित क्षेत्र में बोर्ड भवन निर्माण के नक्शे पास करता है या अवैध निर्माण पर सीलिंग, ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाती है। कुछ समय पहले बोर्ड ने तीन अवैध हॉस्टल को सील कर दिया था। यह क्षेत्र भी कैंट के अधीन हैं, मगर इसको लेकर हॉस्टल संचालकों की ओर से आपत्ति जताई गई है। वह इसे नगर निगम की सीमा बता रहे हैं। हालांकि, बोर्ड ने पूर्व में वर्ष 2016 में सर्वे ऑफ इंडिया समेत अन्य एजेंसी की ओर से किए गए सर्वे के आधार पर यह कार्रवाई की। सर्वे के लिहाज से यह क्षेत्र कैंट बोर्ड के अधीन है। अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह की स्थिति पैदा हो सकती है, लिहाजा पूरे क्षेत्र का जीपीएस कोर्डिनेट्स के आधार पर सर्वे कराकर उसका नक्शा भी तैयार किया जाएगा।
एमडीडीए को शामिल न करने पर उठे सवाल :हॉस्टल सीलिंग प्रकरण के बाद शुरू हुए सीमा विवाद के बाद संबंधित क्षेत्र को नगर निगम की सीमा में बताया जा रहा है। इसको लेकर जिलाधिकारी ने नगर निगम को तो टीम का हिस्सा बना लिया, मगर अवैध निर्माण के प्रकरण को देखने के बाद भी एमडीडीए को इसमें शामिल नहीं किया गया। क्योंकि यदि यह क्षेत्र कैंट बोर्ड से बाहर माना जाता है तो उस पर एमडीडीए का नियंत्रण होता। क्योंकि एमडीडीए का नियंत्रण सिर्फ कैंट बोर्ड की सीमा समेत कुछ केंद्रीय संस्थानों के आस्थानों में नहीं है। शेष नगर निगम समेत कई ग्रामीण इलाकों में भी एमडीडीए का नियंत्रण है। ऐसे में माना जा रहा है कि एमडीडीए हाईकोर्ट पर पहले से ही अवैध हॉस्टल पर कार्रवाई कर रहा है और यदि कोर्ट में एमडीडीए को शामिल करने की बात की जाती तो शायद हॉस्टलों के कैंट सीमा से बाहर होने पर भी उन्हें राहत नहीं मिलती। चूंकि नगर निगम नक्शे पास नहीं करता है, लिहाजा अवैध होने के बाद भी हॉस्टलों की सील खुलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
सीमांकन टीम में सर्वे ऑफ इंडिया को शामिल किया
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एक हॉस्टल संचालक ने सीलिंग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी से सीमा की स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने बताया कि कैंट सीमा का सर्वे कराया जा रहा है और इसमें नगर निगम के साथ ही सर्वे ऑफ इंडिया को भी शामिल किया गया है।
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