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रोडवेज कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर, बसों के पहिए हुए जाम

कर्मचारियों की विभिन्न मांगों को लेकर उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने देहरादून मंडल में कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया। इससे करीब चार सौ बसों के पहिये जाम हो गए।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 16 Mar 2018 12:16 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 10:51 AM (IST)
रोडवेज कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर, बसों के पहिए हुए जाम
रोडवेज कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर, बसों के पहिए हुए जाम

देहरादून, [जेएनएन]: खटारा बसों को बेड़े से बाहर करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार आधी रात से कार्य बहिष्कार पर गए रोडवेज कर्मियों के चलते शुक्रवार सुबह से शाम तक करीब तीन सौ बसें बस अड्डों पर खड़ी रहीं। कर्मियों ने आइएसबीटी पर धरना-प्रदर्शन व नारेबाजी की। वहीं, दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम के साथ ही चंडीगढ़ आदि के लिए वाल्वो व एसी बसों का संचालन पूरी तरह प्रभावित रहा। देहरादून से दिल्ली, सहारनपुर, मेरठ आदि जाने वाली साधारण बसों की संख्या में भी कमी रही। देर शाम प्रबंधन से वार्ता सफल होने पर यूनियन का आंदोलन खत्म हुआ और शाम छह बजे से बस संचालन सुचारू कर दिया गया। 

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उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से दून मंडल में प्रस्तावित बेमियादी कार्य बहिष्कार पर कर्मचारियों ने पहले से छुट्टी लेना शुरू कर दिया। गुरुवार शाम से बसों की संख्या घटने लगी थी। अकेले दून जिले में ही दो सौ से ज्यादा चालक व परिचालक छुट्टी पर चले गए थे। गुरुवार देर रात तक तीन दौर की वार्ता के बावजूद यूनियन का प्रबंधन से समझौता नहीं हुआ एवं आधी रात 12 बजे से यूनियन हड़ताल पर चली गई।

हड़ताल का सबसे ज्यादा असर देहरादून के डीलक्स, ग्रामीण डिपो, हरिद्वार, रुड़की व कोटद्वार डिपो में देखने को मिला। यहां गुरुवार रात से शुक्रवार की शाम तक बसों का संचालन प्रभावित रहने से लंबी दूरी के यात्रियों को कुछ घंटे परेशानी उठानी पड़ी। हालांकि, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद व इंप्लाइज यूनियन हड़ताल में शामिल न होने से इन यूनियनों से जुड़े नियमित और आउट-सोर्स चालक-परिचालकों से कुछ बसों का संचालन कराया गया, मगर एसी व वाल्वो सेवा तब भी ठप रही।

इस दौरान प्रबंधन ने यूनियन से वार्ता के लिए कमेटी का गठन किया। मंडलीय प्रबंधक संचालन पवन मेहरा व मंडलीय प्रबंधक तकनीकी मुकुल पंत, एजीएम पूजा केहरा व प्रतीक जैन की कमेटी ने दोपहर में हड़तालियों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की और देर शाम उन्हें मना लिया। वार्ता में यूनियन के क्षेत्रीय मंत्री केपी सिंह, प्रदेश प्रवक्ता विपिन कुमार, हरेंद्र कुमार, देवेंद्र मान व दीपक शाह शामिल रहे।  

बुजुर्ग चालकों से भी चलवाई बस

हड़ताल से रोडवेज को रिटायरमेंट के करीब जा पहुंचे नियमित चालकों को भी मैदान में उतारना पड़ा। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद व इंप्लाइज यूनियन से जुड़े सभी चालकों को डयूटी पर भेजा गया। ऋषिकेश, हरिद्वार व पांवटा साहिब मार्ग पर बुजुर्ग चालकों को भेजा गया। हड़ताल में जेएनएनयूआरएम डिपो की ज्यादातर खड़ी रहने से नियमित यात्रियों को दिक्कतें आईं। दरसअल, दून से हरिद्वार, ऋषिकेश और पांवटा साहिब, विकासनगर रूट पर सैकड़ों दैनिक यात्री सफर करते हैं। इनमें छात्र-छात्राएं, शिक्षक व सरकारी-गैरसरकारी आफिसों के कर्मी शामिल हैं। 

उप्र की उम्मीदों पर फिरा पानी

देहरादून में बसों की हड़ताल का लाभ लेने को उप्र रोडवेज ने पूरी तैयारी की हुई थी, पर उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। उप्र ने दून मंडल के सभी बस अड्डों पर संचालन के लिए 200 अतिरिक्त बसों को भेजने की रणनीति बनाई थी। इनमें दिल्ली, आगरा, जयपुर, गुडग़ांव आदि रूट शामिल थे, लेकिन शाम को हड़ताल खत्म हो गई और ये बसें उत्तराखंड से नहीं चल सकीं। 

ये हुआ प्रबंधन से समझौता

-परिचालकों से बुकिंग लिपिक की डीपीएसी 24 मार्च को होगी। 

-पंजाब, हिमाचल, जम्मू, चंडीगढ़ रूट पर हटे सभी चालक-परिचालक तीन दिन में दोबारा तैनात होंगे। 

-एसकेएस कंपनी की आडिट जांच एक सप्ताह में होगी। 

-श्रीनगर डिपो के कर्मियों का लंबित भुगतान पांच दिन के अंदर किया जाएगा।

-खटारा अनुबंधित एसी बसों का संचालन तत्काल रोका जाएगा।

-संविदा व विशेष श्रेणी कार्मिकों के अनुशासनात्मक प्रकरणों में शिथिलता 31 मार्च तक की जाएगी।

-संविदा व विशेष श्रेणी कर्मियों को राष्ट्रीय पर्वों पर नियमित कर्मियों की तरह डबल भुगतान होगा। 

-दिल्ली मार्ग पर अनुबंधित ढाबे क्लालिटी कैफे का अनुबंध खत्म किया जाएगा। 

-सभी वाल्वो बसों में हेल्पर की सुविधा दी जाएगी। 

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