राज्य आंदोलनकारियों को पुलिस ने बेरिकेड लगाकर रोका
लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज राज्य आंदोलनकारियों ने विधानसभा मार्च किया हालांकि रिस्पना पुल से पहले ही पुलिस ने बेरिकेड पर उन्हें रोक दिया। इसके बाद आन्दोलनकारी वहीं धरने पर बैठ गए और मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे।
जागरण संवाददाता, देहरादून: लंबित मांगों पर कार्रवाई न होने से नाराज राज्य आंदोलनकारियों ने विधानसभा मार्च किया हालांकि रिस्पना पुल से पहले ही पुलिस ने बेरिकेड पर उन्हें रोक दिया। इसके बाद आन्दोलनकारी वहीं धरने पर बैठ गए और मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे। बुधवार को राज्य आंदोलनकारी संयुक्त संगठन के बैनर तले उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच, उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तराखंड चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संगठन, उत्तराखंड चिह्नित आंदोलनकारी मंच से जुड़े आंदोलनकारी नेहरू कॉलोनी स्थित सनातन धर्म मंदिर के पार्क में एकत्र हुए। यहां से प्रर्दशनकारी फव्वारा चौक होते हुए विधानसभा कुछ के लिए निकले, पुलिस ने बेरिकेड लगाकर उन्हें रोक दिया। आंदोलनकारियों ने कहा कि वह लंबे समय से सरकार के सामने मांग रख रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार से वार्ता नहीं हुई है। पिछले चार वर्षों में सरकार ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का सम्मान व उनकी मांग को अनदेखा किया। जिसका जवाब आंदोलनकारी 2022 के चुनाव में देंगे। इस मौके पर वेदप्रकाश शर्मा, जगमोहन सिंह नेगी, ओमी उनियाल, धीरेंद्र प्रताप, जबर सिंह पावेल, भूपेंद्र रावत, शूरवीर सिंह सजवाण, यशवीर आर्य, मनोज ज्याड़ा, राजेंद्र रावत, संजय बलूनी, महेंद्र रावत, पुष्पलता, प्रमिला रावत,पूरण, विजेंद्र सकलानी मौजूद रहे।
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यह है राज्य आंदोलनकारियों की मुख्य मांगें
- मुजफ्फरनगर, खटीमा, मसूरी गोलीकांड के दोषियों को सजा मिले।
- क्षैतिज आरक्षण एक्ट लागू हो और चार वर्षों से चिह्नीकरण के लंबित मामलों का निस्तारण किया जाए।
- शहीद परिवार व राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश लागू किया जाए।
- गैरसैंण स्थायी राजधानी घोषित हो और राज्य में सशक्त लोकायुक्त लागू किया जाए।
- समूह ग की भर्ती व उपनल के लिए रोजगार कार्यालय पंजीकरण में स्थायी निवास प्रमाण पत्र अनिवार्य हो।
- राज्य का भू-कानून वापस करने के अलावा शहीद स्मारकों का संरक्षण व निर्माण शीघ्र किया जाए।