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राज्य आंदोलनकारियों ने भी किया विधानसभा पर प्रदर्शन, एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति और उत्तराखंड राज्य संयुक्त संघर्ष समिति ने भी मांगों को लेकर विधानसभा कूच किया। रिस्पना पुल से पहले बैरिकेडिंग पर पुलिस ने दोनों संगठनों को रोक लिया। दोनों ही संगठनों ने बैरिकेडिंग पर मौजूद एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 09:03 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 09:03 AM (IST)
राज्य आंदोलनकारियों ने भी किया विधानसभा पर प्रदर्शन, एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन
राज्य आन्दोलनकारियें की समस्याओं को लेकर रिस्पना पुल के समीप एसडीएम मनीष कुमार को ज्ञापन देकर वार्ता करते आंदोलनकारी।

देहरादून, जेएनएन। चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति और उत्तराखंड राज्य संयुक्त संघर्ष समिति ने भी बुधवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अलग-अलग विधानसभा कूच किया। हालांकि, रिस्पना पुल से पहले बैरिकेडिंग पर पुलिस ने दोनों संगठनों को रोक लिया। दोनों ही संगठनों ने बैरिकेडिंग पर मौजूद एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी मांगों का ज्ञापन भेजा। इस दौरान चिह्नित राज्य आंदोलनकारी समिति के सदस्य देवी प्रसाद व्यास पुलिस को चकमा देकर विधानसभा के मुख्य गेट तक पहुंच गए। वहां उन्होंने मुंह पर लगाया काले कपड़े का मास्क उतारा और मांगें न माने जाने के विरोध स्वरूप उसे हवा में लहराने लगे। पुलिसकर्मियों ने उन्हें तत्काल वहां से हटाया।

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बुधवार को चिह्नित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हरि कृष्ण भट्ट और महिला प्रकोष्ठ की केंद्रीय अध्यक्ष सावित्री नेगी के नेतृत्व में संगठन के सदस्यों ने विधानसभा कूच किया। संगठन की मांगों में मुख्य रूप से एक समान पेंशन, आंदोलनकारियों के आश्रितों को 10 फीसद आरक्षण, आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण, राज्य आंदोलन के शहीदों के हत्यारों को सजा आदि शामिल है। विधानसभा कूच में राजेंद्र भट्ट, जानकी प्रसाद, संजीव, मधु डबराल, उषा नेगी आदि शामिल रहे।

वहीं, उत्तराखंड राज्य संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्यों ने मनीष नागपाल के नेतृत्व में विधानसभा कूच किया। इसमें पीयूष गौड़, सुशील नगासी, अजय ठाकुर, विनोद चौहान आदि शामिल रहे।

कृषि विधेयकों के विरोध में  किया विधानसभा का घेराव

सर्वजन स्वराज पार्टी उत्तराखंड भी हाल ही में पारित हुए कृषि विधेयकों के विरोध में बुधवार को विधानसभा का घेराव करने पहुंची। पुलिस ने कार्यकत्र्ताओं को रिस्पना पुल से पहले लगाई गई बैरिकेडिंग पर रोका तो वह धरने पर बैठ गए।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेश्वर भट्ट ने कृषि विधेयकों को किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि केंद्र सरकार मनमानी पर उतारू है। विपक्ष के विरोध के बावजूद कृषि विधेयकों को दोनों सदनों में पास कराया गया। वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव डीके पाल ने कहा कि पार्टी इन विधेयकों का विरोध करती है और किसानों के हक के लिए उनके साथ खड़ी है। इस दौरान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगतराम डोगरा, राष्ट्रीय महासचिव राजेश बनवाल, कोषाध्यक्ष संदीप पंत, शीशपाल रौतेला, पीएस नेगी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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नव पर्वतीय विकास संस्था का विस कूच

नव पर्वतीय विकास संस्था के सदस्यों ने भी बुधवार को अध्यक्ष एमएस मलिक के नेतृत्व में विधानसभा कूच किया। रिस्पना पुल से पहले रोके जाने पर संस्था ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी सात सूत्रीय मांगों से संबंधित ज्ञापन प्रेषित किया। इस दौरान एमएस मालिक ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से उत्तराखंड की जनता बेहाल है। सरकार को जनता की समस्याओं का ध्यान रखना चाहिए। संस्था की मांगों में मुख्य रूप से पिछले छह महीने की स्कूल फीस, बिजली और पानी का बिल माफ करना, उत्तराखंड के प्रत्येक परिवार को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता, दिव्यांगों को तीन हजार रुपये मासिक पेंशन दिया जाना शामिल है। इस दौरान कांति वल्लभ भट्ट, इम्तियाज अहमद, डॉ. एम रहमान आदि मौजूद रहे। 

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