घातक है सोडियम हाइपोक्लोराइड का शरीर पर छिड़काव: प्रो. रविकांत
एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रविकांत का कहना है कि सोडियम हाइपोक्लोराइड का उपयोग टनल के जरिये शरीर पर आजमाना कई रूपों में घातक हो सकता है।
ऋषिकेश, जेएनएन। सोडियम हाइपोक्लोराइड का मानव शरीर पर छिड़काव कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए उपयोगी उपचार नहीं है। शरीर पर इसके घातक प्रभाव पड़ सकते हैं। इसी वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट के मानव शरीर पर छिड़काव को गैरजरूरी बताया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रविकांत का कहना है कि सोडियम हाइपोक्लोराइड का उपयोग किसी सतह को कीटाणु रहित करने के लिए किया जाता है। इसे टनल के जरिये शरीर पर आजमाना कई रूपों में घातक हो सकता है।
प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि अब तक सामने आए शोधों में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि मानव शरीर पर सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव कोरोना वायरस के बचाव में उपयोगी नहीं है, बल्कि, इसका शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि इससे शरीर पर जलन व खुजली हो सकती है। यहां तक कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इससे नष्ट हो सकती है। इसके इस्तेमाल से त्वचा शुष्क हो जाती है।
प्रो. रविकांत ने बताया कि फिलहाल इस पर व्यापक शोध किए जा रहे हैं। डीआरडीओ भी इस पर शोध कर रहा है और हम भी परिपक्व सूचना का इंतजार कर रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सबसे जरूरी है शारीरिक दूरी बनाए रखना। इसके अलावा समय-समय पर साबुन से कम से कम 40 सेकंड तक हाथ धोना भी जरूरी है।
उधर, सुशीला तिवारी हॉस्पिटल, हल्द्वानी के वरिष्ठ फिजीशियन एसआर सक्सेना का कहना है कि सोडियम हाइपोक्लोराइड का केवल निर्जीव वस्तुओं पर ही छिड़काव किया जाना चाहिए। सड़क, दीवार, गेट व फर्श को छोड़ अन्य सजीव वस्तुओं, यहां तक कि पेड़-पौधों पर भी इसका छिड़काव घातक है। विदित हो कि उत्तराखंड शासन भी डिसइन्फेक्शन टनल के जरिये एल्कोहल, क्लोरीन व लाइजॉल के छिड़काव पर रोक लगा चुका है। सभी जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में अपर सचिव स्वास्थ्य व निदेशक राष्ट्रीय हेल्थ मिशन युगल किशोर पंत का कहना है कि एल्कोहल, क्लोरीन व लाइजॉल का इस्तेमाल किसी व्यक्ति पर नहीं किया जाना चाहिए।
रोक के बाद भी मंडी में प्रयोग हुई डिसइंफेक्शन टनल
शासन ने प्रदेश में डिसइंफेक्शन टनल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। शासन ने साफ किया है कि प्रदेश में किसी भी व्यक्ति पर टनल के जरिये एल्कोहल, क्लोरीन व लाइजॉल का छिड़काव नहीं किया जाएगा। ऐसा किया जाना हानिकारक है और केंद्र की गाइडलाइन में भी इसका जिक्र नहीं है। बावजूद इसके सोमवार को निरंजनपुर मंडी का इस्तेमाल होता रहा। दरअसल, टनल के माध्यम से व्यक्ति पर टनल के जरिये एल्कोहल, क्लोरीन व लाइजॉल का छिड़काव किया जा रहा है। कोराना संक्रमण की रोकथाम के लिए डिसइंफेक्शन टनल को कारगर बताया जा रहा है। कई शहरों में इस तरह की टनल बन भी चुकी हैं और इस्तेमाल की जा रही हैं।
निरंजनपुर स्थित सब्जी मंडी के मुख्य द्वार पर भी डिसइंफेक्शन टनल का इस्तेमाल पिछले कुछ दिन से हो रहा था, लेकिन रविवार को अपर सचिव स्वास्थ्य व निदेशक राष्ट्रीय हेल्थ मिशन युगल किशोर पंत ने डिसइंफेक्शन टनल के संबंध में सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को पत्र भेजकर किसी व्यक्ति पर टनल का इस्तेमाल नहीं करने के आदेश दिए थे। हालांकि वाहनों व परिसर आदि को स्वच्छ रखने के लिए इनका इस्तेमाल करने की छूट दी थी। बावजूद इसके सोमवार को निरंजनपुर मंडी में टनल का इस्तेमाल होता रहा। यहां से गुजरते लोगों पर रासायनिक पदाथोर्ं का छिड़काव भी किया गया।
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विजय थपलियाल (मंडी सचिव) का कहना मंडी के गेट पर लोडर गाड़ियों को सेनिटाइज करने लिए डिसइंफेक्शन टनल बनाई गई है। यहां पर मंडी में आने वाले वाहनों पर दवा का छिड़काव किया जा रहा है। टनल गेट पर होने के कारण इसके अंदर से इंसान भी गुजर रहे हैं। इसलिए रसायनों की मात्र इतनी अधिक नहीं रखी गई कि किसी इंसान को क्षति पहुंचे।
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