नई शिक्षा नीति पर क्रियान्वयन के लिए होगा स्पेशल टास्क फोर्स का गठन
शिक्षा मंत्री ने कहा नई शिक्षा नीति पर क्रियान्वयन के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन होगा। इसमें शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षाविद् और निजी विद्यालयों के भी प्रतिनिधि शामिल होंगे।
देहरादून, जेएनएन। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा नई शिक्षा नीति पर क्रियान्वयन के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन होगा। इसमें शिक्षा विभाग के अधिकारी, शिक्षाविद् और निजी विद्यालयों के भी प्रतिनिधि शामिल होंगे। जल्द कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा।
मंगलवार को देहरादून के ननूरखेड़ा स्थित स्टूडियो से नई शिक्षा नीति पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने अधिकारियों से चर्चा की। वर्चुअल क्लास के माध्यम से प्रदेशभर के अधिकारी इससे जुड़े। शिक्षा मंत्री ने कहा यह नई शिक्षा नीति नई पीढ़ी को नई दिशा देगी। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार विद्यालयी शिक्षा में इसके ज्यादातार बिंदु लागू किया जाएगा। ताकि गुणवत्तापरक शिक्षा को किए जा रहे प्रयास सफल हों। उन्होंने कहा कि कई वर्षों में नई शिक्षा नीति आई है। इसे समूल रूप से लागू करने को सामूहिक प्रयास चाहिए।
शिक्षा मंत्री के कार्यक्रम में आए सुझाव
- स्कूल कॉम्प्लेक्स के लिये तय परिधि में पहाडी क्षेत्रों के लिये छूट दी जाए।
- शासकीय व अशासकीय विद्यालयों के लिये समान नीति लागू की जाए।
- निजी स्कूलों को सहायक पुस्तकें लगाने की छूट न दी जाए।
- डाइट को किसी विश्वविद्यालय से संबद्धता लेकर व्यवसायिक कोर्स चलाने की अनुमति।
- नैतिक शिक्षा कार्यक्रम का अनिवार्य संचालन।
- छात्र-शिक्षक अनुपात का पूर्णतया पालन जारूरी।
- आंगनबाडी भी स्कूली शिक्षा के तहत ही संचालित किये जाएं।
- नामांकन को लेकर अभिभावकों की भी तय करें जिम्मेदारी।
- प्री-प्राइमरी का सेटअप अभी उस अनुरूप नहीं, इसमें बदवाल करना होगा।
- कला, संगीत व खेल को कोर करिकुलम का हिस्सा बनाएं।
- एनसीसी व आपदा प्रबंधन जैसे विषय कक्षा नौ के बाद अनिवार्य किये जाएं।
- स्कूलों की मॉनिटरिंग के लिये माह में दो दिन निरीक्षण के नियत किये जाएं।
- प्री प्राइमरी के शिक्षकों को बाल मनोविज्ञान में भी डिप्लोमा।
- छात्र नामांकन को आधार कार्ड से लिंक करें। इससे ड्रापआउट की स्पष्ट स्थिति पता चलेगी।
- केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर पीआरटी, पीजीटी एवं टीजीटी कैडर को लागू किया जाए।
- प्रत्येक गांव में एक लाइब्रेरी की स्थापना की जाए।
- कौशल विकास को पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाएं।
- इंटर कालेजों को संसाधन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए।
- शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिये कोर्स का पुनर्निर्धारण।
- राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान की तर्ज पर स्टेट ओपन स्कूल की स्थापना।
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